संदीप कुमार मिश्र: आज विश्व के तकरीबन
सभी बड़े राष्ट्र आतंकवाद की चपेट में है।वहीं हम अपने देश की बात करें तो हमारे
यहां आतंकी हमले का सबसे ज्यादा दंश महाराष्ट्र ने झेला हैं।आज जब आतंक से मानवता
लगातार शर्मसार हो रही है तो चर्चा होना भी लाजमी है कि क्या एक बार फिर भारत में
आतंकी वारदाते बढ़ सकती हैं ? खासकर महाराष्ट्र को कितना सतर्क रहने की जरुरत है ? ये सवाल इसलिए कि महाराष्ट्र ही भारत का वो महत्वपुर्ण राज्य है जहां आतंकियों
ने हमला करने के लिए नए नए तरिको का इस्तेमाल किया है,ऐसे में क्या उसी फार्मुले
पर आतंकी देश में आतंक फैलाएंगे...।
दरअसल हमारे देश में पहला सुनियोजित धमाका
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में 1993 में हुए।मुंबई धमाके में पहली बार
देखने को मिला कि आतंकी देश के अंदर बैठे गद्दारों,अपराधियों को बहकाकर उन्हें देश
में आतंक फैलाने के लिए इस्तेमाल किया। 1993 की घटना के बाद एक अन्य राज्य में दूसरा
आतंकी तबका सिर्फ इसलिए खड़ा हुआ कि उसे लगा कि उसके कौम के साथ नाइंसाफी हुई है। इसलिए उसे बदला लेने का हक़ है।ये वो दौर था जब सिमी और इंडियन मुजाहिदीन जैसे आतंकी
संगठन अपनी जड़ें देश में जमा रहे थे,और इन संगठनो को हमारा नापाक पड़ोसी
पाकिस्तान लगातार मदद मुहैया करवा रहा था।
जब आईएस की जड़े मजबूत होने लगी,और हर
देश के युवा आईएस से जुड़ने लगे तभी भारत में भी कुछ युवा इस आतंकी संगठन से जुड़ने
की कोशिश करने लगे।जिसमें मुंबई से सटे कल्याण से सबसे पहले खबर आई कि इंजीनियरिंग
की पढ़ाई करने वाले नौजवान इस्लामिक स्टेट की लड़ाई में गए हैं।ये खबर पहली बार
सोचने पर मजबूर कर दी कि ऐसा पहली बार हुआ कि दुसरे देश की लड़ाई के लिए किसी अन्य
देश के युवा जुड़ने लगे थे। अब खतरा इसलिए ज्यादा लगने लगा था कि सब कुछ जानने और
समझने के बाद युवा इस खतरनाक आतंकी संगठन से जुड़ रहे थे।
पेरिस हमले बाद कहा जा रहा है कि आईएसआईएस
अपने नापाक मंसुबों को भारत में भी फैलाना चाहता है। भारत की खुफिया एजेंसियों ने
देश के करीब डेढ़ सौ युवकों पर ISIS की तरफ झुकाव रखने का शक जताया है,जिनपर
लगातार पैनी नज़र रखी जा रही है।जिन 150 युवकों पर ये शक है उनमें से ज्यादातर
दक्षिण भारत के हैं, जो की इंटरनेट के माध्यम से ISIS की गतिविधियों के संपर्क में आए हैं।
कहा जा रहा है कि अब तक 23 लोग भारत से
आईएसआईएस में शामिल होने के लिए इराक और सीरिया जा चुके हैं। जिनमें से 6 की मौत हो गई है और एक वापस मुंबई लौट आया है।यहां तक की भारत सरकार ने भी
अंदेशा जताया कि आईएस का खतरा है लेकिन निपटने के इंतजाम किए जा रहे हैं।आईएस का
खतरा तब देश में और चिंता का सबब बन रहा है, जब पेरिस में आतंकियो ने वही फार्मुला
इस्तेमाल किया जो भारत मे सात साल पहले 26/11 में इस्तेमाल हुआ था। दरअसल ये वक्त है विश्व के सभी मुल्कों को मिलकर आतंकवाद का
सामना करने की,क्योंकि ये समस्या किसी एक देस की नहीं है।मानवता के दुश्मन हर जगह
एक ही है।
अंतत: आतंक का गहराता संकट मानवता के लिए बड़ी
चिंता का सबब है,जिससे निश्चित रुप से सजग रहने की आवश्यकता है।क्योंकि अतंक का
कोई इमान,मजहब और धर्म नहीं होता...।।
(इमेज
सौजन्य गुगल)
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