Friday 30 June 2017

हनुमान जी महाराज के 12 नामों की महिमा अपरंपार


संदीप कुमार मिश्र- मंगलवार को बजरंगबली की पूजा का सबसे उत्तम दिन माना गया है, वहीं बजरंगबली के नामों का भी विशेष महत्व है। इन नामों को यदि समयानुसार लिया जाए तो बजरंगबली जल्दी प्रसन्न होकर अपनी कृपा प्रदान करते हैं।
बजरंगबली के नामों की महिमा :-
राम भक्त, महाबल, बजरंग बली, महावीर हनुमान, शंकर सुमन, केसरी नंदन, अंजनी पुत्र, पवन सुत, अमित विक्रम, समेष्ट, लक्ष्मण, प्राण दाता प्रातःकाल उठते ही जिस अवस्था में हैं, इन बारह नामों को ग्यारह बार लेने वाला व्यक्ति दीर्घायु होता है।



लाल स्याही से मंगलवार को भोज पत्र पर ये बारह नाम लिखकर मंगलवार के ही दिन ताबीज बांधने से कभी सिरदर्द नहीं होगा। गले या बाजू में तांबे का ताबीज ज्यादा उत्तम है।
नित्य नियम से बजरंगबली का नाम लेने वाले व्यक्ति को हमेशा पारिवारिक सुख मिलता रहता है।
रात को सोते समय बजरंगबली का नाम लेने वाला व्यक्ति अपने शत्रु को हराकर विजय प्राप्त करता  है।
इन बारह नामों का निरंतर जाप करने वाले व्यक्ति की बजरंगबली दसों दिशाओं से एवं आकाश-पाताल से रक्षा करते हैं।

यात्रा के समय एवं न्यायालय में पड़े विवाद के लिए इन बारह नामों को लेने से सभी बाधाऐं और विघ्न दूर होते हैं।

हनुमानजी की आराधना से मन को मिलेगी शांति


संदीप कुमार मिश्र- जो व्यक्ति रोज हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ करते है उन भक्तों को हनुमानजी सभी सुख मिलते हैं और धन की प्राप्ति होती है। ऐसे लोगों को किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होती है।

आपको बता दे की सुंदरकांड श्रीरामचरितमानस का चौथा अध्याय का सबसे अधिक पढ़ा जाने वाला भाग है क्योंकि इसमें हनुमान जी के बल, बुद्धि, पराक्रम व शौर्य का वर्णन किया गया है। सुंदरकांड के पाठ को पढ़ने व सुनने से मन में एक अद्भुत ऊर्जा का संचार होता है। सुंदरकांड के हर दोहा, चौपाई व शब्द में गहन अध्यात्म छुपा है, जिससे मनुष्य जीवन की हर समस्या का सामना कर सकता है।


जिस तरह विवाहित स्त्रियां अपने पति या स्वामी की लंबी उम्र के लिए मांग में सिंदूर लगाती हैं, ठीक उसी प्रकार हनुमानजी भी अपने स्वामी भगवान श्रीराम के लिए पूरे शरीर पर सिंदूर लगाते हैं। इसलिए मंगलवार या शनिवार को हनुमान जी के मंदिर में जाकर उन्हें सिंदूर व चमेली का तेल अर्पित करें। आपकी मनोकामनाएं जरूर पूरीं होगीं और जीवन में सुख-शांति बानी रहेगी।

जानिए कैसे पड़ा इस मंदिर का नाम टपकेश्वर महादेव मंदिर


संदीप कुमार मिश्र- देहरादून की खूबसूरत वादियों में स्थित है एक धार्मिक स्थल जो भगवान शिव के प्रमुख धाम टपकेश्वर के नाम से जाना जाता है....यह मंदिर देहरादून के गढ़ी कैंट क्षेत्र में नदी के किनारे स्थापित है...मंदिर में स्थित गुफा में भगवान शिव के शिवलिंग रूप के दर्शन किए जाते हैं...जहां यह शिवलिंग स्थापित है उस स्थान पर एक चट्टान से जल कि बूंदे हमेशा ही इस शिवलिंग पर टपकती रहती हैं...इस अदभुत चमत्कार के कारण ही इसे टपकेश्वर कहा जाता है।
टपकेश्वर मंदिर एक प्राचीन मंदिर है...जो पौराणिक तीर्थस्थल है...यहां पर स्थित स्वयंभू शिवलिंग टपकेश्वर महादेव के नाम से विख्यात है...सभी शिव भक्तों के लिए यह एक महत्वपूर्ण स्थान है....
इस मंदिर में जिस स्थान पर शिवलिंग की स्थापना है...उसके ठीक ऊपर की चट्टान से हमेशा ही पानी की बूंदें शिवलिंग पर टपकती रहती हैं.... ।।।

पौराणिक कथाओं के अनुसार यह स्थान गुरु द्रोणाचार्य की साधना स्थली भी रहा है....उन्हीं के द्वारा यहां शिवलिंग की स्थापना किये जाने की लोक कथाएं प्रचलित हैं....
टपकेश्वर महादेव मंदिर का मुख्यद्वार बड़े ही सुंदर तरिके से बनाया गया है...सुनहरे रंग से लिखा हुआ टपकेश्वर महादेव का नाम दूर से ही नज़र आने लगता है...
इस मंदिर की खास बात ये है कि यहां आने वाले भक्त गुफा में प्रवेश करते ही झुक जाते हैं...और सबसे खास बात ये कि गुफा की दिवारों से पानी की बुंदे गिरती रहती हैं...ये पानी कहां से आता है...ये कोई नहीं जानता...आश्चर्य कर देनें वाला ये दृश्य हमारे मन में आस्था और भक्ती को और मजबुत कर देती है...पहाड़ों से गिरती हुई यही पानी की बुंदें महादेव के पिंड़ी रूप पर गिरती है...
भगवान भोलेनाथ की महिमाअद्भुत है...हमारी  जितनी आस्था भगवान के उतनें रूप...और हर रूप निराला.... तभी तो उत्तराखण्ड को देवभूमी कहते हैं जहां देवी देवताओं का वास होता है...प्राकृतिक रूप से सम्पन्न हिमालय की सुंदर घाटियों में बसे देहरादून में बाबा का ये मंदिर यहां की सुंदरता को और बढ़ा देता है...।।।

टपकेश्वर महादेव का ये मंदिर सिद्धपीठ माना जाता है...लोकमान्यता है कि जो कोई श्रद्धालु सच्चे मन से इस स्थान पर विधिवत पूजा कर भगवान शिव से प्रार्थना करता है...उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है।।।

एक शिवलिंग ऐसा जिसमें है लाखों छिद्र

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संदीप कुमार मिश्र:  हमारे देश भारत में भगवान शिव के कई शिवलिंग और मंदिर है।जहां भक्त अपने आराघ्य देव को प्रसन्न करने और मनोकामना पूर्ति के लिए आते हैं और पूजा अर्चना करते हैं।लेकिन आज हम आपको बताएंगे एक ऐसे मंदिर के बारे में...जहां है एक दुर्लभ शिवलिंग...आईए जानते है आदि देव महादेव के उस अद्भुत शिवलिंग के बारे में...जिसके दर्शन मात्र से मनुष्य की हो जाती है सभी मनोकामनाएं पूरी...छत्तीसगढ़ के खरौद नगर में है लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर...जिसके गर्भगृह में है...एक दुर्लभ शिवलिंग स्थापित...।
दरअसल इस शिवलिंग में तकरीबन एक लाख छिद्र है।ऐसा कहा जाता है कि इन छिद्रों से से एक छिद्र ऐसा भी है जिसका रास्ता पाताल तक जाता हैं।इतना ही नहीं इस मंदिर को छत्तीसगढ़ की काशी कहा जाता है...।

हिन्दू धर्म शास्त्रों में वर्णित एक कथा के अनुसार जब रावण का वध करने के बाद राम ने ब्राहम्ण हत्या से मुक्ति पाने के लिए रामेश्वलिंग की स्थापना की तब उन्होंने लक्ष्मण को सभी तीर्थो का जल लाने को भेजा।लेकिन जब लक्ष्मण गुप्त तीर्थ शिवरीनारायण का पवित्र जल लेकर अयोध्या जा रहे थे तभी रास्ते में उनकी तबियत खराब हो गई...जब स्वस्थ होने के लिए लक्ष्मण जी ने भगवान भोले भंडारी...आदिदेव महादेव...शिव जी की अराधना की तो शिव जी वहां उपस्थित हुए और शिवलिंग के रूप में स्थापित हो गए...।
उसी समय से यह मान्यता चली आ रही है कि जो भी भक्त इस शिवलिंग की पूजा-दर्शन और वंदन कर लेता है  उसके सभी प्रकार रोग शोक खत्म हो जाते हैं और इंसान ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्त हो जाता है....।।ऊं नम: शिवाय।।

Thursday 8 June 2017

जाने हिन्दू घरों में शंख क्यों रखा जाता है और इसे बजाने के क्या हैं फायदे...

संदीप कुमार मिश्र: हमारे सनातन हिन्दू धर्म में पूजा-पाठ में शंख बजाने का चलन युगों-युगों से चला आ रहा है।लेकिन क्या आप जानते हैं कि शंख केवल पूजा-अर्चना में ही उपयोगी नहीं है इसके और भी बहुत सारे लाभ मुष्य को सहज ही मिल जाते हैं।आईए जानते हैं शंख बजाने के आध्यात्मिक महत्व के अलावा अन्य लाभ के बारे में,आखिर क्या होते हैं शंख बजाने के फायदे-
1.धर्म शास्त्रों के अनुसार जिस घर में शंख होता है, वहां माता लक्ष्मी का वास होता है। धार्मिक ग्रंथों में शंख को लक्ष्मी जी का भाई बताया गया है, क्योंकि लक्ष्मी की तरह शंख भी सागर से ही उत्पन्न हुआ है। शंख की गिनती समुद्र मंथन से निकले चौदह रत्नों में की जाती है।
2.माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु, दोनों ही अपने हाथों में शंख धारण करते हैं इसलिए भी संख को शुभ माना जाता है।

3. पूजा-पाठ में शंख बजाने से वातावरण पवित्र होता है। जहां तक शंख की ध्वनी जाती है वहां तक इसे सुनने वाले के मन में सकारात्मकता पैदा होती हैं।
4. शंख के जल से भगवान शिव,माता लक्ष्मी का अभि‍षेक करने से ईश्वर प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा सहज ही प्राप्त होती है।
‍5. ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है कि शंख में जल रखने और इसे छिड़कने से वातावरण शुद्ध होता है।
6. शंख की आवाज से दुष्ट आत्माएं पास नहीं आती हैं।
7. वैज्ञानिकों का मानना है कि शंख की आवाज से वातावरण में मौजूद कई तरह के जीवाणुओं-कीटाणुओं का नाश हो जाता है।
8. शंख को नित्य बजाने से फेफड़े का व्यायाम होता है।और श्वास का रोगी नियमि‍त तौर पर शंख बजाए, तो वह बीमारी से मुक्त हो जाता है।
9. शंख में रखे पानी का सेवन करने से हड्डियां मजबूत होती हैं. यह दांतों के लिए भी लाभदायक है।
10. वास्तुशास्त्र के मुताबिक भी शंख में ऐसे कई गुण होते हैं, जिससे घर में पॉजिटिव एनर्जी आती है. शंख की आवाज से 'सोई हुई भूमि' जाग्रत होकर शुभ फल देती है.

जानें केसै होंगे भगवान श्रीहरि विष्‍णु प्रसन्न:किस मंत्र का जाप करने से होगी आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी


संदीप कुमार मिश्र: भगवान विष्णु की आराधना से बन जाते हैं सभी बिगड़े काम।आईए जानते हैं कि आखिर भगवान श्रीहरि कैसे होंगे प्रसन्न और कैसे होगी आपके घर परिवार में बरक्कत...कैसे होगी आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी...और कैसे आपके घर परिवार में होगा माता लक्ष्मी का वास....

मनोकामना पूर्ति के लिए साधक को गुरुवार के दिन भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप विशेष फलदायी होता है।हमारे धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि भगवान विष्णु जगत के पालनहार हैं...उनका स्वरूप शांत और आनंदमयी है...अब आपको बताते हैं भगवान श्रीहरि विष्‍णु को प्रसन्न के कुछ खास मंत्र.. जिनके जाप और शक्ति से आपका घर धन-वैभव एवं संपन्नता से भर जाएगा- 

                               लक्ष्मी विनायक मंत्र
                   दन्ताभये चक्र दरो दधानं, कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया, लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।

भगवान श्रीहरि विष्णु के पंचरूप मंत्र
ॐ अं वासुदेवाय नम:,ॐ आं संकर्षणाय नम:,ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:,ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:,ॐ नारायणाय नम:,
ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान।यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।

सबसे सरल उपाय- ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।।

धन-वैभव एवं संपन्नता पाने का विशेष मंत्र
ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।
ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।।

शीघ्र फलदायी मंत्र-
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
- ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।


।। ॐ विष्णवे नम:।।

जाने सूर्य उपासना से कैसे होगी मनोकामना पूर्ति...


संदीप कुमार मिश्र: भगवान भास्कर प्रत्यक्ष देव हैं...जिनकी कृपा से समस्त संसार में प्रकाश होता है...ऐसे में आईए जानते है कि भगवान यूर्य देव कैसे होंगे प्रसन्न और कैसे बरसेगी सूर्य देव की कृपा...दरअसल रविवार का दिन सूर्य देव की पूजा स्तुति और वंदना को समर्पित है। सारी इच्छाएं और मनोकामनाएं की पूर्ती के लिए रविवार का व्रत हमें करना चाहिए।भगवान सूर्य देव का व्रत सबसे श्रेष्ठ होता है क्योंकि सूर्य देव के व्रत से सुख और शांति मिलती है।

कैसे दें सूर्य को अर्घ्य

हमारे पौराणिक हिन्दू धर्म ग्रंथों में भगवान सूर्य के अर्घ्यदान की विशेष महत्ता बताई गई है। नित्य प्रात:काल में तांबे के लोटे में जल लेकर और उसमें लाल फूल, चावल डालकर प्रसन्न मन से सूर्य मंत्र का जाप करते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य देनी चाहिए।इस अर्घ्यदान से भगवान ‍सूर्य प्रसन्न होकर आयु, आरोग्य, धन, धान्य, पुत्र, मित्र, तेज, यश, विद्या, वैभव और सौभाग्य को प्रदान करते हैं।

                                ।।ऊं सूर्याय नम:।।

जाने महाबली हनुमानजी के 5 सगे भाई कौन थे...


!! अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं,दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं,रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि !!
संदीप कुमार मिश्र:  हम सब हनुमान जी महाराज के बारे में जानते हैं...प्रभु श्रीराम जी के अनन्य भक्त हनुमान जी की कीर्ति रामचरितमानस में भरपूर गाई गई है लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे धर्म पुराणों में हनुमानजी के 5 सगे भाईयों की भी चर्चा की गई है जो कि विवाहित थे।


दरअसल 'ब्रह्मांडपुराण' में वानरों की वंशावली के बारे में विस्तार से बताया गया है। इसी पुराण में हनुमानजी के सगे भाइयों के बारे में भी वर्णन मिलता है।अपने भाइयों के बीच हनुमानजी सबसे बड़े थे।।आईए जानते हैं उनके 5 सगे भाईयों के क्या नाम थे- मतिमान, श्रुतिमान, केतुमान, गतिमान, धृतिमान।हनुमान जी महाराज को छोड़कर उनके अन्य सभी भाई विवाहित थे और सभी संतानयुक्त थे।

YOU KNOW: सुंदरकांड का पाठ क्यों है अति विशेष फलदायी...?


संदीप कुमार मिश्र: सुंदरकांड का पाठ अति विशेष फलदायी है...सभी परेशानियों को नष्ट करता है सुंदरकांड का पाठ..मनुष्य में आत्मविश्वास बढ़ाता है सुंदरकांड का पाठ...मनुष्य की सभी समस्याओं का समाधान है सुंदरकांड।

गोस्वामी तुलसीदास कृत श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड की कथा सबसे अलग है. संपूर्ण श्रीरामचरितमानस में सुंदरकांड एकमात्र ऐसा अध्याय है जो प्रभु श्रीराम  भक्त हनुमान जी की विजय का कांड है।जिसका पाठ करने से आत्मविश्वास,इच्छाशक्ति,मनुष्य की को बल मिलता है।
दरअसल हनुमानजी समुद्र लांघकर लंका पहुंचे थे और माता सीता की खोज की थी और फिर लंका को जला कर माता सीता का संदेश लेकर प्रभु श्रीराम के पास लौटे थे।इस प्रकार सुंदरकांड एक भक्त की जीत का कांड है, जो अपनी इच्छाशक्ति के बल पर इतना बड़ा चमत्कार कर सकता है। सुंदरकांड में जीवन की सफलता के महत्वपूर्ण सूत्र भी दिए गए हैं। इसलिए पूरी रामायण में सुंदरकांड को सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। इसी वजह से सुंदरकांड का पाठ विशेष रूप से फलदायी माना गया है।

हनुमानजी के पूजन में शास्त्रों के अनुसार विशेष ध्यान देने योग्य बातें-
- हनुमानजी की तीन परिक्रमा करने का विधान है। भक्तों को हनुमान जी की तीन परिक्रमा ही करनी चाहिए।
- दोपहर के समय महाबली हनुमान जी महाराज को गुड़, घी, गेहूं के आटे से बनी रोटी का चूरमा अर्पित करना चाहिए।
- अंजनी के लाल महावीर हनुमानजी को शाम के समय भक्तों को फल जैसे- आम, केले, अमरूद, सेवफल आदि का भोग लगाना चाहिए।
-भक्तों को  सुंदरकांड का पाठ करते समय हनुमानजी को सिंदूर, चमेली का तेल और अन्य पूजन सामग्री भी अर्पित करना चाहिए।


        ।।प्रभु श्री राम के अनन्य भक्त हनुमान जी महाराज आप सभी का कल्याण करें।।

YOU KNOW : गायत्री मंत्र में छि‍पा है हर परेशानी का समाधान


संदीप कुमार मिश्र: चारों वेदों से मिलकर बने गायत्री मंत्र का उच्‍चारण करने से व्‍यक्ति के जीवन में खुशियों का संचार होता है. इस मंत्र का जाप करने से शरीर निरोग बनता है और इंसान को यश, प्रसिद्धि और धन की प्राप्ति भी होती है।
गायत्री मंत्र
।।ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्यः धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।।
भावार्थ- उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अन्तःकरण में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।

गायत्री मंत्र के प्रत्येक शब्द की व्याख्या
गायत्री मंत्र के पहले नौ शब्द प्रभु के गुणों की व्याख्या करते हैं...
ॐ = प्रणव,भूर = मनुष्य को प्राण प्रदाण करने वाला,भुवः = दुख़ों का नाश करने वाला,स्वः = सुख़ प्रदाण करने वाला,तत = वह, सवितुर = सूर्य की भांति उज्जवल,वरेण्यं = सबसे उत्तम,भर्गो = कर्मों का उद्धार करने वाला,देवस्य = प्रभु,धीमहि = आत्म चिंतन के योग्य (ध्यान),धियो = बुद्धि, यो = जो, नः = हमारी,प्रचोदयात् = हमें शक्ति दें (प्रार्थना)

कब करें गायत्री मंत्र का जाप: वेद माता गायत्री के इस बेहद सरल मंत्र को कभी भी पढ़ा जा सकता है, लेकिन शास्त्रों के अनुसार इसका दिन में तीन बार जप करना चाहिए- प्रात:काल सूर्योदय से पहले और सूर्योदय के पश्चात तक,फिर दोबारा दोपहर को।और फिर शाम को सूर्यास्त के कुछ देर पहले जप शुरू करना चाहिए

गायत्री मंत्र के फायदे: हिन्दू धर्म में गायत्री मंत्र की विशेष मान्यता है। गायत्री मंत्र जाप के कई फायदे बताए गए हैं जैसे : मानसिक शांति, चेहरे पर चमक, खुशी की प्राप्ति, चेहरे में चमक, इन्द्रियां बेहतर होती हैं, गुस्सा कम आता है और बुद्धि तेज होती है।।जय माता गायत्री।।