अवधधाम धामादिपति,अवतारन पति राम।
सकल सिद्ध पति जानकी,दासन पति हनुमान।।
संदीप कुमार मिश्र: माता सीता का जिस स्थान पर जन्म हुआ
था,दोस्तो हम सब जानते हैं कि वो स्थान नेपाल में है। नेपाल का शहर जनकपुर ही
विदेह राजा जनक की पावन नगरी है।जहां पर मात सीता का जन्म हुआ था। यहीं पर है माता
जानकी का विशाल मंदिर।आपको बता दें कि जनकपुर प्राचीन मिथिला राज्य की राजधानी थी।जनकपुर
एक ऐसा रमणीक और पवित्र स्थान है,जिसका सुंदर वर्णन हमारे धर्मग्रंथों, काव्यों एवं रामायण में
उत्कृष्ट ढंग से किया गया है।हमारे पौराणीक ग्रंथों में जनकपुर की उपमा तो स्वर्ग से सुंदर बतायी गई है।तभी से ही जनकपुर
को धाम की उपमा दी जाती रही है,और है। प्राचीन काल से ही सनातन धर्म के लोगों की
अटूट आस्था का केंद्र रहा है जनकपुक।जनकपुर में स्थित माता जानकी मंदिर सीता माता
को समर्पित है।
माता जानकी के मंदिर के संबंध में कहा जाता है कि वर्तमान में जानकी मंदिर का
निर्माण कार्य टीकमगढ़ की महारानी वृषभानु कुंअरि जी के द्वारा सन 1967 में करवाया
गया था।जब आप यहां जाएंगे तो दूर से ही मंदिर नजर आने लगेगा जो कि किसी महल सा
प्रतित होता है।जानकी मंदिर के मुख्य गर्भ गृह में माता जानकी संग राजा श्रीरामचंद्र जी
महाराज और लक्ष्मण जी की बड़ी मनमोहक प्रतिमा स्थापित है।जहां पर फोटोग्राफी
वर्जित है।वहीं मंदिर के बाहर एक विशाल प्रांगण है, जिसमें एक साथ हजारों लोग बैठ कर
भजन किर्तन कर सकते हैं।इस मंदिर को किसी भी प्रकार की छती ना पहुंचने पाए इस
लिहाज से सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए नेपाल सरकार की तरफ से मंदिर परिसर में सुरक्षाकर्मी
तैनात किए गए हैं।
जनपुर आगमन पर आप कई और मंदिर को भ्रमण कर सकते हैं और मनभावन दृश्य को संजो
सकते हैं। नौलखा मंदिर- माता सीता को समर्पित जानकी मंदिर जनकपुर बाज़ार के उत्तर
पश्चिम में स्थित है।कहा जाता है कि इस के निर्माण में नौ लाख रुपए खर्च हुए थे।
इसलिए इसे नौलखा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।लोगों की अटूट श्रद्धा और भक्ति
का केंद्र है ये मंदिर।
साल 2012 में मंदिर के अंदर ही एक सुंदर गैलरी का निर्माण किया गया।जिसमें
प्रभू श्रीराम जी के जन्म से जुड़ी कथाएं व झांकियां देकने को मिल जाएंगी।वहीं
मधुबनी पेंटिंग का सुंदर संकलन भी नजर आ जाएगा जिसमें रामकथा के कई प्रसंग वर्णित है।इतना
ही नहीं गैलरी के इन झांकीयों में माता सीता को किए जाने वाले श्रृंगार के सामान भी
देखे जा सकते है।आपको इस गैलरी का आनंद उठाने किए प्रवेश टिकट के रुप में मात्र 15 नेपाली रुपये का शुल्क अदा करना होता है।
अखंड सीताराम धुन का आकर्षण-दोस्तों माता जानकी मंदिर में विगत कुछ वर्षों से
अखंड सीताराम धुन लगातार गाई जाती है। मंदिर के ही बाईं तरफ के बरामदे में एक गायन
मंडली वाद्य यंत्रों के साथ लगातार सीताराम धुन गाती रहती है। जो हमारी आस्था को
और भी मजबूत बनाती है।वहीं जनकपुर में जो शादियां होती हैउसमें लोग शादी की रात से
पहले माता सीता का आशीर्वाद लेने के लिए दुल्हन को लेकर जानकी मंदिर आते हैं।साथ
ही मंदिर में दर्शन के लिए आने वाली महिलाएं मैथली में बड़े ही सुंदर धुन में सीता
जी की प्रार्थना भजन करती हैं।
दोस्तों माता सीता
की जन्म स्थली जनकपुर में आने वाले श्रद्धालू मिथिला परिक्रमा भी करते हैं जिसमें माता सीताजी
से जु़ड़े हुए सभी तीर्थ स्थल आ जाते हैं।भक्तों की सुविधा के लिए मंदिर परिसर में
मिथिला परिक्रमा का मार्गचित्र भी लगा हुआ है।
कहा जाता है कि जनकपुर में ही विदेह राज जनक जी के यहां वैशाख शुक्ल नवमी को
माता जानकी का अवतार हुआ था। श्रद्धालू इस अवसर को जानकी नवमी के रूप में बड़े ही
हर्षोल्लास क साथ मनाते है। जनकपुर का दूसरा प्रमुख त्योहार विवाह पंचमी का है।यही
वो पावन दिन है जब माता सीता जी का विवाह राजा रामचंद्र जी महाराज के साथ हुआ था।इस
खास अवसर पर जानकी मंदिर को बड़े ही सुंदर ढ़ंग से सजाया संवारा जाता है।
कुछ और भी यहां मंदिर हैं जिन्हें जानकी मंदिर कहा जाता है।सीतामढ़ी शहर में
एक जानकी मंदिर है। शहर के पास ही पुनौरा गांव में भी एक जानकी मंदिर है।लोक
मान्यता है कियही वो जगह हैं जहां राजा जनक ने खेत में सोने का हल चलाया था और माता
सीता प्रकट हुई थीं।साथ ही राजा जनक के दरबार में जब भगवान श्रीराम जी ने जिस शिव धनुष
को तोड़ा था,कहते हैं उसके तीन टुकड़े हुए थे।जिसका एक टुकडा जनकपुर से 40 किलोमीटर दूर धनुषधाम में जाकर
गिरा था। वहां एक बड़ी पहाड़ी सी संरचना है,जिसे लोग धनुष का एक टुकड़ा बताते हैं।धनुष
धाम भी लोगों की आस्था का अटूट केंद्र है।
रहने खाने की व्यवस्था- जनकपुर में रहने के लिए कुछ धर्मशालाएं और होटल उपलब्ध
हैं। मंदिर के आसपास शाकाहारी होटल हैं। जिसमें भारतीय रुपये चलते हैं।हम यहां 50 रुपये
से 500 रुपये में ठहर सकते हैं। अच्छा शाकाहारी खाना और बेहतरीन
मिठाइयों का स्वाद भी जनकपुर में लिया जा सकता है।
कैसे पहुंचे- बिहार के जिला सीतामढ़ी से तकरीबन 42 किलोमीटर उत्तर और नेपाल की
तराई में स्थित है जनकपुर। वैसे तो जनकपुर नेपाल में है पर यहां पहुंचने का सुगम
रास्ता बिहार के सीतामढ़ी शहर से होकर जाता है। सीतामढ़ी तक आप रेलगाड़ी से पहुंच
सकते हैं। वहां से बस से नेपाल का सीमांत बाजार भिट्ठामोड। भिट्ठामोड से नेपाल
रोडवेज की बसों के द्वारा जनकपुर आसानी से पहुंचा जा सकता है।आप चाहे तों सीतामढ़ी
से दिन भर में जनकपुर घूम कर वापस भी लौट सकते हैं।
अंतत:
दोस्तों
पर्यटन और दर्शन के लिहाज से जनकपुर एक बेहतर विकल्प है,ऐसे में जब भी अवसर मिले
तो हो आईए जनकपुर।जय श्री सीताराम।
ok
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