संदीप कुमार मिश्र: प्रशांत किशोर...नाम तो याद होगा ही आपक....पहले गुजरात,फिर
लोक सभा चुनाव के बाद बिहार...में अपनी कास रणनीति के कारण सुर्खियां बटोर चुके
है...नीतिश की जीत का सेहरा भी पीके के ही सिर सजा....नीतीश कुमार के नए चाणक्य
कहे जाने लगे प्रशांत किशोर...ऐसे में नीतीश कुमार ने भी प्रशांत को बड़ा तोहफा
देते हुए कैबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया।
दरअसल प्रशांत किशोर की को सियासी कद भी अब बढ़ता जा रहा है,इस वजह से उनकी चुनौतियों
में भी इजाफा होना तय माना जा रहा है।क्योंकि अब तक तो वो सिर्फ चुनावी मुहिम की
रणनीति पर नीतीश के सलाहकार हुआ करते थे।लेकिन अब वो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश
कुमार को बिहार कें विकास की नीतियों पर अमल के तौर तरीकों पर अपनी राय देते नजर
आएंगे।
अब तक वो जीत और हार की रणनीति पर ही काम करते नजर आते थे लेकिन अब सरकार
कार्य और उसे क्रियान्वित करने की चुनौतियों का भी सामना करते नजर आएंगे।कैबिनेट
मंत्री का दर्जा मिलने के बाद अब प्रशांत बिहार कैबिनेट की मीटिंग में शिरकत
करेंगे।
नीतिश कुमार कि जीत
से पहले और सरकार बनने के बाद भी प्रशांत का दखल बिहार सरकार में रहा है,यहां तक
की कहां कैसे
पोस्टर और बैनर लगेंगे या फिर उन पर क्या स्लोगन लिखा जाएगा।ये सब भी प्रशांत ही
तय किया करते थे,इतना ही नहीं कहा जाता था कि चुनाव में प्रत्याशियों के चयन में
भी प्रशांत की काफी हद तक सुनी जाती थी।
आपको बता दें कि जब बिहार में गठबंधन के लिए सीटों के बंटवारे पर पेंच फंसा था
तो प्रशांत ने ही उस मामले को सुलझाया। कहते हैं कि चुनाव के बाद प्रशांत किशोर ने
नीतीश कुमार के लिए असम का भी दौरा किया।और वहां भी गठबंधन की संभावनाओं की तलाश
की। ऐसे में प्रशांत किशोर अब नीतीश कुमार के चीफ ट्रबल-शूटर होंगे।पद का नाम और
जॉब रिस्पॉन्सिबिलिटी की भाषा जो भी हो।
एक बड़ी जिम्मेदारी प्रशांत पर और भी है वो है कांग्रेस की नैया को पंजाब में
पार लगाने की।क्योंकि पंजाब में कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार
कैप्टन अमरिंदर सिंह की चुनावी मुहिम को प्रशांत की ही टीम ने संभाल रखा है।इस
लिहाज से देखें तो पंजाब के चुनावी अखाड़े में मौजूदा मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह
बादल और बीजेपी गठबंधन भी होगा,और चुनाव को दिलचस्प बनाने के लिए केजरीवाल का तड़का भी होगा।मतलब एके और
पीके,बादल और बीजेपी।
कुल मिलाकर पंजाब में अगर कैप्टन अमरिंदर को जीत मिलती है तो प्रशांत किशोर की
तीसरी बड़ी जीत के नायक बनेगें।खैर नतीजा जो भी हो प्रशांत के लिए ये असाइनमेंट
खुद उनके करियर में बड़ा रोल निभा सकता है। फिलहाल तो प्रशांत के दोनों हाथों में
लड्डू है।एक तरफ वो कैप्टन का कैंपेन संभाल रहे हैं तो दूसरी तरफ उन्हें नीतीश
सरकार में सलाहकार बना दिया गया है।देखना बड़ा दिलचस्प होगा कि प्रशांत का जलवा
पंजाब में भी चलता है या फिर नीतीश के सलाहकार बनकर ही उन्हें संतोष करना पड़ता
है।
पंजाब में कैप्टन की कामयाबी का मतलब होगा कि प्रशांत के पास चुनावी मुहिम को
हिट करने का शानदार फॉर्मूला है।जिसके बाद वो चाहें तो अपने चुनाव जिताउ दिमाग का
इस्तेमाल सिर्फ भारत ही नहीं पूरी दुनिया में कर सकते है।लेकिन अगर पंजाब में
सफलता नही मिलती है तो उनके लिए फुल टाइम राजनीति में आने का विकल्प नीतीश कुमार
ने दे ही दिया है।संभव है कि जेडीयू कोटे से उन्हें राज्य सभा भी भेज दिया जाए !
देखना दिलचस्प होगा
कि खुद
प्रशांत का रुझान किस ओर है? क्या वो चुनावी रणनीतिकार ही बने रहना चाहते हैं या फिर फुल
टाइम राजनीति का हिस्सा होना चाहते हैं?क्योंकि राजनीति में लंबे समय तक टीके रहने का कोई खास विकल्प नजर नहीं आता है।फिलहाल
तो नीतीश को प्रशांत की जरूरत है।क्योंकि महागठबंधन की महाजीत के बाद बिहार एक बार
फिर लगता है कि जंगलराज की ओर आगे बढ़ रहा है।जिसपर लगाम लगाना बेहद जरुरी है।
अंतत: दोस्तों अब देखना बड़ा दिलचस्प होगा कि प्रशांत की नयी पारी
कैसी होगी,क्योंकि अब तक प्रशांत पर्दे के पीछे रहकर ही काम करते थे लेकिन नीतीश
सरकार में बढ़े कद के बाद प्रशांत की जिम्मेदारी बढ़ जाएगी,जिसे निभाना शायद आसान
नहीं होगा...खैर सुशासन बाबू के नए सलाहकार को नई जिम्मेदारी मुबारक..।
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