संदीप कुमार मिश्र: राम जी के मंदिर
निर्माण से किसी को आपत्ति हो या ना हो,लेकिन सियासत जरुर शुरु हो गई है,दरअसल दिल्ली
विश्वविद्य़ालय के
नॉर्थ कैंपस में एक सेमिनार का आयोजन किया गया था।मुद्दा था
राम मंदिर और वक्ता थे बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी। इस बैठक में स्वामी ने पूरे
यकिन से कहा कि राम मंदिर का काम इस साल शुरू होकर ही रहेगा।स्वामी का कहना था कि “मैंने आपसे कहा था कि 2जी घोटाले में राजा जेल जाएंगे, वो गए, मैंने सेतुसमुद्रम के बारे
में जो कहा था, हुआ,मैंने नेशनल हेराल्ड केस के लिए कुछ कहा है, वो भी होगा,और अब मैं
राम मंदिर के बारे में कह रहा हूं तो यह भी बनेगा।
राम मंदिर निर्माण के पीछे सुब्रमण्यम
स्वामी ने कुछ कारण गिनाए,उनका कहना था कि-वीएचपी के दिवंगत संस्थापक अशोक सिंघल
चाहते थे कि मंदिर बने और इस देश की संस्कृति के पुनरुत्थान के लिए राम मंदिर बनना
जरूरी है।वहीं अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होने कहा कि गुंबद में राम मंदिर था, ये सिद्ध हो चुका है। इसलिए मंदिर तो बनेगा ही..।
इतना ही नहीं सुब्रमण्यम स्वामी ने विरोधीयों के बारे में भी बताए, जो नहीं चाहते कि मंदिर निर्माण हो-स्वामी का कहना था कि विरोधी मुसलमान नहीं, कुछ हिंदू ही हैं, जो बाहर विरोध कर रहे हैं।विरोध वो कर रहे हैं, जिन्हें अपनी राजनीति
चमकानी है।राम मंदिर का विरोध वे लोग कर रहे हैं, जो बीजेपी के विरोधी
हैं। स्वामी का ये भी कहना था कि मुस्लिमों का मानना है कि यदि यह साबित हो जाए कि
यहां विवादित स्थल पर मंदिर था तो वे दावा छोड़ देंगे। जो कि साबित हो चुका है। अब
यदि मस्जिद को हटाया जा सकता है तो हम आपको सरयू नदी के तट पर जमीन देंगे।
आगे स्वामी ने कहा कि हम यह सेमिनार एक
कमरे में करना चाहते थे। लेकिन विरोधियों ने ऐसा होने नहीं दिया। इससे पहले स्वामी
ने सेमिनार का विरोध करने वालों को असहिष्णु बताया था।इस सेमिनार के विरोध में
आपको बता दें कि आम आदमी पार्टी की स्टूडेंट विंग, ऑल इंडिया स्टूडेंट
एसोसिएशन (AISA) और कांग्रेस की स्टूडेंट विंग NSUI ने सेमिनार का विरोध किया है। वहीं, दिल्ली यूनिवर्सिटी ने अपने आपको इससे अलग करते हुए कहा है कि उसका इस सेमिनार के
विषय से कोई लेना-देना नहीं है।अब ऐसा लगता है कि विरोध आगे भी जारी रहेगा।जिसके
मद्धेनजर डीयू में आईटीबीपी और दिल्ली पुलिस के अतिरिक्त जवान तैनात कर दिए गए हैं।
यहां आपको ताना जरुरी होगा कि 9 जनवरी से राम और राम जन्मभूमि को लेकर दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन चल रहा है।अरुंधती
वशिष्ठ अनुसंधान पीठ इस कार्यक्रम को आयोजित कर रही है।यह पीठ विश्व हिंदू परिषद
का रिसर्च संगठन है, जिसे वीएचपी नेता अशोक सिंघल ने स्थापित किया था।इस सेमिनार का विषय 'श्री राम जन्मभूमि मंदिर: उभरता परिदृश्य' रखा गया है।
ऐसे में क्या कहा जाए कि राम मंदिर पर
महाभारत,उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव 2017 का नया अध्याय है..?क्योंकि जब चुनाव आता है तभी राम
जी याद आते हैं हमारी सियासी पार्टियों को।इससे पहले राम मंदिर का मुद्दा ठंड़े
बस्ते में भी रहता है।
अंतत: जन-जन की भावनाओं और आत्मा में राम बसते हैं,सभी राजनीतिक पार्टियां इस बात
को बखुबी जान लें,कि इस बार राम की मर्यादा को भंग करना बहुत भारी पड़
जाएगा,क्योंकि जब तक श्रीराम मर्यादा में हैं तब तक तो ठीक है,अन्यथा कोई और रुप
धारण कर लेंगे प्रभू तो उनके भक्तों का तो भला हो जाएगा,लेकिन उनसे धोखा करने
वालों का कतई नुकसान हो जाएगा।अत:मंदिर का निर्माण करना है तो ड़ंके की चोट पर करें।अधीक से अधीक कुछ और
असिष्णु पैदा हो जाएंगे इस देश में,यही होगा ना, फिर भी राम जी के भक्तों की
संख्या ज्यादा ही रहेगी,लेकिन राजनीति तो बिल्कुल ना करें।सियासत के लिए और
मुद्दों को तलाश करें।खैर बात सुब्रमणियम स्वामी ने कही है तो उनके पूराने रिकार्ड
कुछ सभी भी कहते हैं....।
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