संदीप कुमार मिश्र : भारत भूमि पर अनेकानेक ऋषी मुनियों
ने अवतार लिया,जिन्होंने पुराणों वेदों की रचना की,ग्रंथों की रचना की।आज उन्हीं
पौराणिक मान्यताओं को साथ लेकर समाज आगे बढ़ रहा है।इसे आप कल्पना कहें या मिथकीय
कहानियां,लेकिन समाज और मानवता को एक सुत्र में बांधकर आगे बढ़ानो का कार्य तो
बखुबी करते हैं हमारे धर्म ग्रंथ और पौराणिक मान्यताएं। हमें एक अद्भूत और अलौकिक शक्ति का
एहसास कराती हैं हमारी मान्यताएं और ग्रंथ।
दरअसल ये बाते हम इसलिए कर रहे हैं कि अयोध्या, मथुरा जैसे कई ऐसे स्थान हमारे देश में हैं, जिनका सीधा संबंध
भगवान राम और कृष्ण के साथ ही अनेकों देवी देवताओं से है।हम सब जानते हैं कि भगवान
विष्णु ने इस धरा धाम पर जितने भी अवतार लिए उन सभी में विशेष तौर मर्यादा पुरुषोत्तम
प्रभु श्री राम की लीला और अपनी मुरली की धुन पर सभी को मंत्रमुग्ध कर देने वाले
भगवान कृष्ण के भक्तों की संख्या अपेक्षाकृत अधिक है।
मित्रों ये बात हम सब जानते हैं कि
त्रेतायूग में भगवान राम ने इस धरती पर धर्म की रक्षा और अधर्म का नाश करने के लिए
अवतार लिया था।रामायण में ऐसा कहा गया है कि राक्षस राज रावण जिसने माता सीता को
हरने का दुस्साहस किया था और उसकी यही गलती उसके अंत का कारण बनी थी।खैर जब रावण माता
सीता का हरण कर उसे अपने पुष्पक विमान में जबरन बैठाकर ले जा रहा था तो मार्ग में
जटायु नामक पक्षी ने उसे रोकने का भरसक प्रयास किया, लेकिन अफसोस वह अपने
प्राण गंवाकर भी माता सीता को नहीं बचा पाया ।
दरअसल रामायण के उसी पात्र जटायु से
प्रेरित केरल में “जटायु नेचर पार्क” का निर्माण किया जा रहा है।जी हां इस रॉक थीम नेचर पार्क के दरवाजे आम
नागरिकों और पर्यटकों के लिए इसी नव वर्ष 2016 में खोल दिए जाएंगे।जिसे देखना किसी आश्चर्य से कम नहीं
होगा पर्यकों के लिए।
जैसा कि आप तस्वीरों (उपर)में भी देख पा रहे हैं कि इस पार्क में किस प्रकार पहाड़ी के ऊपर जटायु पक्षी की एक अतिविशाल प्रतिमा बनई
गई है।आपको बता दें कि जटायु की ये अद्भूत प्रतिमा समूची दुनिया में पक्षियों पर
बनी सबसे बड़ी प्रतिमा है।जो कि 200 फीट बड़ी, 150 फीट चौड़ी और 70 फीट ऊंची है। इस प्रतिमा के भीतर ही एक म्यूजियम के साथ ही एक 6डी थियेटर और कई टेक्निकल अजूबे भी मौजूद हैं।जिसे देखना किसी के लिए भी रोमांच
से कम नहीं होगा।
जहां गिरे थे जटायु वहीं प्रतिमा की
स्थापना
रामायण में ऐसा कहा गया है कि जब रावण माता
सीता का हरण कर उन्हें अपने साथ ले जा रहा था। तब जटायु ने उसे रोकने का प्रयास
किया था, इसी दौरान रावण ने अपने चंद्रहास खड़ग से जटायु पर वार कर उसके एक पंख को काट दिया
था। जटायु का यह पंख केरल के तिरुअंनतपुरम से करीब 50 किलोमीटर दूरी पर
गिरा था। यही वो स्थान है जहां जटायु गिरा था।इस पार्क के भीतर एक बड़ा सा चट्टान
भी विद्यमान है।यह पत्थर उस अद्भुत और अजूबे दृश्य का गवाह माना जाता है।
साथियों कहना गलत नहीं होगा कि इस पार्क
के शुरु होने के बाद केरल में पर्यटन को खुब बढ़ावा मिलेगा।क्योंकि इस पार्क के
पहले फेज़ में एक ऐडवेंचर ज़ोन होगा, इस तीन किलोमीटर के त्रिज्या वाले
पार्क में 20 से अधिक खेल होंगे, जिसमें पेंट बॉल, लेजर टैग, तीरंदाजी, राइफल शूटिंग, रॉक क्लाइम्बिंग, बोल्डरिंग, एटीवीस् और रैपलिंग, इसके अलावा यहां के बेज़ोड़ नज़ारों के साथ ही इस पार्क में अत्यंत आधुनिक
केबल कार की भी सुविधा है। साथ ही यहां केरल के प्रसिद्ध आयुर्वेद चिकित्सा की भी
सुविधा उपलब्ध करायी जाएगी।
आपको बता दें कि इस जटायु पार्क
प्रोजेक्ट के पहले चरण में 100 करोड़ रुपये लग चुके हैं, और आने वाले समय में यह पार्क दुबई पर्यटन से साझेदारी में भी कई प्रोजेक्टों
पर काम करेगा।
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