संदीप कुमार मिश्र: इस बात पर कोई शक नहीं की आतंकी दरिंदों के लिए स्वर्ग है
पाकिस्तान...जन्नत है पाक की नापाक सरजमीं..।जिसका आतंकी बड़े ही चैनो अमन से
दहशतगर्द बनाने के लिए तैयार करता है।भारत में जितने भी हमले होते हैं।उनमें सीधे
तौर पर पाकिस्तान के आतंकी संगठनो का ही हाथ होता है। लोकतंत्र जैसा कुछ होते हुए
भी पाक में कुछ भी नहीं है।आर्मी,आईएसआई और आतंकी संगठनो की हूकुमत चलती है पाकिस्तान
में।प्रधानमंत्री सिर्फ वहां नाम के लिए होता है...।ऐसा अब तक तो नजर ही आया है और
पाकिस्तान का इतिहास भी इस बात की तस्दीक करता है।
दरअसल सौ फीसदी सच कहा है अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने, कि पाकिस्तान आतंक की
जन्नत है।यकिनन किसी आजाद लोकतांत्रिक मुल्क के लिए दुनिया के सबसे ताकवर देश के
राष्ट्रपति का ऐसा कहना बेहद गंभीर बात है। लेकिन बड़ा सवाल उठता है कि आखिर
पाकिस्तान कैसे बन गया आतंक की जन्नत ?आखिर कैसे आज़ाद देश बन गया आतंकी मुल्क और कौन हैं
वो लोग जिन्होने पाकिस्तान की सरजमीं को कर दिया नापाक...?
दोस्तों आतंकवाद के लिए हमारा पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान किसी भी सूरतेहाल दूसरे को जिम्मेदार नहीं बता सकता।इतिहास
साक्षी है कि हम जो बोते हैं वही काटते हैं।निश्चित तौर पर पाकिस्तान भी वही काट
रहा है।आपको याद होगा कि पाकिस्तान ने दुनिया के सबसे बड़े आतंकवादी ओसामा बिन
लादेन को अपने ही घर एबटाबाद में छुपा कर रखा।हमारे देश भारत में आतंकवाद फैलाने
के लिए, और
कश्मीर पर अपनी गंदी नजर बनाए रखने के लिए उसने पाक अधिकृत कश्मीर में तमाम आतंकी
कैंपो को शरण दी। और आतंकी पैदा किए। लश्कर जैसे खुंखार आतंकी संगठन के सरगना
हाफिज सईद जैसे मानवता के दुश्मन को अपनी गोद में बैठाया।जैश ए मोहम्मद के चीफ
मौलाना मसूद अजहर को भी गले लगाया। अफगानिस्तान से भागे तो पाकिस्तान में तालिबान
के लिए जमीन मुहैया कराई।शिया-सुन्नी लड़ाई को सियासत के लिए हवा दी और भारत का
मोस्ट वांटेड अपराधी डॉन दाऊद इब्राहीम जो कि 1993 में हुए मुंबई हमले का दोषी है
उसे भी अपना दामाद बनाकर रखा है।
साल 1993 का मुंबई धमाका...हमारे देश में वो पहला ऐसा आतंकी हमला था,जिसने पाकिस्तान को सीधे
सीधे कटघरे में खड़ा कर दिया था। हम सब जानते हैं कि भारत में आतंक का सबसे बड़ा
और पहला ज़ख़्म 1993 में लहुलुहान मुंबई की शक्ल में मिला। पूरे मुंबई को धमाकों से दहला देने
वाला चेहरा तभी आम हो गया था। पर दाऊद इब्राहीम तब तक चुपके से भाग चुका था. और
फिर जाकर बस गया उसी आतंक की जन्नत में, यानी पाकिस्तान में.तब से लेकर आज तक पाकिस्तान
अनगिनत काले कारनामे करता रहा,आतंकियों को बढ़ावा देता रहा।ना जाने कितने जख्म भारत के
सिने में लगते रहे,शहर दर शहर आतंक के खौफ से जैन की नींद भी नहीं ले पाया लेकिन पाकिस्तान से
आतंक खत्म होने की बजाय बढ़ता गया....बढ़ता जा रहा है...।इस बात पर विश्व के किसी
भी समुदाय को कोई शक और सुबहा नही है कि पाक को आतंक की जन्नत बनाने वालों में
वहां की सरकार की कम और फौज, आईएसआई का ज्यादा हाथ रहा है।
वहीं 13 दिसंबर 2001 हम कैसे भूल सकते हैं जब भारत के लोकतंत्र के मंदिर यानि हमारी भारतीय संसद
की दहलीज पर पहली बार आतंकियों ने हमला किया था। इन आतंकवादियों को संसद भवन तक
पहुंचाने वाला कोई और जैश का मुखिया मौलना मसूद अजहर ही था जिसे कांधार हाईजैकिंग
में सौदेबाजी के बाद रिहा किया गया था और रिहाई के बाद उसकी भी मेहमाननवाजी की
आतंक की जन्नत कहे जाने वाले पाकिस्तान ने ही। पाक में आतंक का मनोबल बढ़ता रहा और
एक बार फिर आतंकियों ने 26/11 के रुप में हमारे सीने में एक नया जख्म दे दिया।गोलियां
मुंबई में चल रही थीं, पर ट्रिगर दबाने का इशारा पाकिस्तान से हो रहा था और इशारा
कर रहा था लश्कर का चीफ हाफिज सईद।इसके बाद पठानकोट से आए आतंकी जो पाकिस्तान में
बैठे अपने आकाओं से निर्देश लेकर हमारी सरजमीं पर गोलियों की बौछार कर रहे थे।
अंतत: ऐसे ना जाने कितने हमलों में उसी मुल्क का हाथ रहा है,जो आतंकियों के लिए
जन्नत है।जो मानवता का दुश्मन है,जहां मजहब के नाम पर गोली चलानी सिखाई जाती है।जहां शिक्षा
के नाम पर आतंकवाद का विस्तार करना बताया जाता है।जहां लोकतंत्रआंख पर पट्टी बांधे
रहता है और आतंक के आका राज करते हैं....तो क्यों ना कहा जाए कि आतंक की जन्नत हा
पाकिस्तान....।।
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