संदीप कुमार मिश्र: दोस्तों हमारा देश
जहां 67 वां गणतंत्रता दिवस के जश्न में डुबा हुआ है।अवसर बेहद खास है,क्योंकि ये
महाउत्सव देश की आन बान और शान है।ऐसे में एक बात जानना हम सब के लिए जरुरी है कि आज
हमारे देश में वास्तव में गणतंत्रता के क्या है मायने। सही मायने में हमें अपनी 67वीं
गणतंत्रता दिवस के खास मौके पर यह जानना जरुरी है कि आजादी के छ: दशक बाद क्या,जिस संविधान की
दुहाई हम और हमारे राजनेता दिया करते हैं,उनका वास्तव में पालन हुआ है या फिर आज
भी बस संविधान के नियम कायदे उसके पन्नों में ही सिमटकर रह गये है।क्योंकि हर एक
भारतीय का ये कर्तव्य है कि वो देश की अखण्डता को पूर्णरुपेन सार्वभौम बनाने हेतु
हर पल,हर संभव कोशिश करता रहे।
दरअसल साथियों हमारा खूबसूरत देश भारत,सर्व
धर्म समभाव की भावना को अपने अंदर समाहित किए हुए विविधता भरा जनतांत्रिक देश
है।जहां देश की सम्मानित जनता के द्वारा चुने गये प्रतिनिधियों द्वारा ही देश की
शासन व्यवस्था चलायी जाती है।हमारे देश का महाउत्सव गणतंत्र दिवस इतिहास का वो दिन
है,जिस दिन हमारा संविधान पूर्णरुपेण लागू किया गया था। देश की हर प्रकार की गतिविधियां
संवैधानिक नियमों के आधार पर ही क्रियान्वित की जाती है।सही मायने में कहा जाए तो संविधान
हमे एक सभ्य नागरीक और समाज में रहने जीने के तौर तरीके सीखाता है।जी हां एक सभ्य
और कर्मठ राष्ट्र के सपने को साकार करता है हमारा संविधान।हमें गर्व होना चाहिए कि
हमारा संविधान इतना बृहद और विशाल है जिसका विश्व में कोई सानी नहीं है।
लेकिन देश की व्यवस्था प्रणाली को बेहतर
बनाये रखने के लिए शासन-प्रशासन के साथ ही जनसाधारण की भी महत्वपूर्ण भागीदारी होती
है।संविधान के नियम सबों के लिए बराबर होते है।वो किसी भी प्रकार के जात पात,भेदभाव
और वर्चस्व की भावना से ऊपर होता है।लेकिन अब भी भ्रष्टाचार,बेरोजगारी,अशिक्षा जैसे तमाम मुद्दे आज भी हमारे देश के प्रगति के मार्ग में बाधा
बने बैठे हैं।जिनसे पार पाने के लिए जरुरी है कि आज की युवा पीढ़ी अपनी बौद्धिकता और सूझ बूझ से इन बाधाओं का सामना कर देश को
निरंतर आगे बढ़ाने में योगदान प्रदान करे।
ये बात सौ फीसदी सच है कि हम सिर्फ अपनी
उन्नति के बारे में सोचते रहे तो विकास और विश्व गुरु की जिस छवी की हम कल्पना
करते हैं उसे साकार करने में बाधा अवश्य उत्पन्न होगी।देश को विकसित बनाने के लिए
हमें टीम इंडिया के रुप में काम करना होगा।हमे अपने देश और समाज के सुंदर भविष्य
के विषय में भी सोचने की जरुरत है। इसके लिए जरुरी है कि हम हर एक कार्य स्वत: के साथ राष्ट्र हित
में हो।
गणतंत्र दिवस को हम सिर्फ झंडा फहराने,भाषण देने और कुछ मिनटों का मौन रखकर अपने शहीदों की शहादत को याद करने तक ही
ना सीमित रखें।क्योंकि इतने भर से कुछ नहीं होगा।जरा सोचिए कितने कष्टों से स्वयं
की हर एक इच्छाओं की आहुति देकर हमारे जाबांज,हमारे जवान,गुलामी की बेड़ियों से
भारत मां को आजाद करवाया।जिसे हम यूं ही नही जाया कर सकते हैं।इस त्याग,बलिदान और
शहादत का ही परिणाम है हमारा ये गणतंत्र राष्ट्र।हमारी स्वतंत्रता के मार्ग में
विकास की एक अग्रिम कड़ी है गणतंत्र दिवस।आज के दिन हमे इन बातों को आत्मसात अवश्य
करना चाहिए और विचार करना चाहिए कि कैसे,क्या किया जाये जिससे कि हमारे
गणतंत्र की महक यूं ही फैलती रहे।
जिस प्रकार से हमारा संविधान हमें अपने
अधिकारों और कर्तव्यों की समझ देता है।वैसे ही हमें भी देश के प्रति अपनी भावनाओं
को दर्शाना।मनसा वाचा कर्मणा हर रुप से से देश के प्रति समर्पण वश्यक है। ये बात
हम सब जानते हैं कि किसी भी देश का युवावर्ग राष्ट्र की प्रगति और उसके भविष्य का
एकमात्र कार्यवाहक होता है।युवाओं की सहनशीलता,कर्तव्यपरायणता और कर्मठता ही
राष्ट्र की एकता और अखण्डता रुपी महल का निर्माण कर सकती है।
इक्कीसवी सदी में भारत नित नई ऊंचाईयों
को छु रहा है। तकनीक के साथ-साथ लोगों की मानसिकता भी अब बदल चुकी है।ऐसे समय में
गणतंत्र दिवस को सिर्फ हम एक राष्ट्रीय दिवस समझ कर अपनी जिम्मेदारीयों से भाग नहीं
सकते,बल्कि संगठित और एकजुट होकर राष्ट्र के विकास हेतु आगे आने का है।अपनी भारत मां
के लिए कुछ ऐसे शपथ लेने का दिन है,कि देश पर आने ली विपत्तीयों को हम सब मिलकर
नाश करेगें और विश्व पट हर हर रुप,हर क्षेत्र में भारत का नाम रौशन करेंगे।हमारा
उज्जवल भविष्य बस राष्ट्र के उन्नत और विकसीत होने में ही सम्भव है।
अंतत: गणतंत्रता आज भी वही है,जो कल थी।बस सोचने के मायने बदल गये है।जरुरत
है सोचने के मायने को सही दिशा और दशा देने की,देशभक्ति की भावना भरने की और
गद्दारों का दमन करने की।
आप सब को 67 वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं व बधाई।
जय हिन्द जय भारत
sandeepaspmishra@gmail.com
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