संदीप कुमार मिश्र: स्वच्छ भारत अभियान
की बात तो हमारे देश में अक्सर होती है। पर्यावरण को साफ सुथरा बनाने के लिए सरकार
द्वारा कई प्रयास भी किए जाते हैं।जैसा कि हम सब जानते हैं किकुछ दिनों पहले ही
उत्तर प्रदेश में प्रदेश सरकार की ओर से पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के लिए पॉलीथिन
को बैन भी कर दिया गया है।लेकिन जहां देश में कई गांव बदहाली की कगार से गुजर रहे
हैं, वहीं मेघालय के एक छोटे से गांव की स्वच्छता और बेहतर पर्यावरण के चलते यहां
पर रोजाना सैकड़ों की तादाद में पर्यटक खींचे चले आते हैं। इस गांव में ऐसी कई
निराली बातें हैं जो इन्हें एशिया का सबसे साफ सुथरा गांव बनाती हैं।और तो और पिछले
दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मन की बात कार्यक्रम में इस गांव की चर्चा
की थी।वास्तव में ये गांव निराला है ।
दरअसल हमारे देश में इन दिनों पर्यावरण
को साफ सुथरा बनाने के लिए नई-नई योजनाएं तैयार की जा रही हैं। इन योजनाओं के माध्यम
से सरकार देश को साफ सुथरा और नई पहचान प्रदान करना चाहती है।इतना होने के बाद भी देश में कई गांव ऐसे
हैं जहां पर मूलभूत सुविधाएं भी मौजूद नहीं हैं। ऐसे में जहां देश के बदहाल गांवों
की संख्या बेहद अधिक है, वहीं इन सभी के बीच एक गांव अपवाद बनकर सामने आया है।यही वजह है कि इस गांव का
नाम एशिया के सबसे खूबसूरत गांव की संख्या में लिया जाता है।जो किसी बड़ी उपलब्धी
से कम नहीं है।
दोस्तों मेघालय के इस छोटे से गांव का
नाम है मावलिननॉन्ग।जहां प्लास्टिक पर लंबे समय से रोक है।आप जब इ गांव में आएंगे
तो आपको इस गांव की सड़कों के किनारे फूलों की कतार देखने को मिलेगी।कहते हैं कि
इस गांव में साल 2003 तक बाहर से कोई भी पर्यटक नहीं आता था।लेकिन
करीब 12 साल पहले डिस्कवरी इंडिया ट्रैवल नामक एक मैगजीन का पत्रकार इस गांव में
पहुंचा।जिसके बाद यह गांव दुनिया भर में पहचाना जाने लगा और सुर्खियां बटोरने लगा।
जब दुनियाभर में इस गाव की पहचान बन गई
तो पर्यटकों का भी आना जाना शुरू हो गया। पर्यटकों की संख्या को देखते हुए गांव
वालों की ओर से सरकार को पत्र लिखकर गांव में पार्किंग की व्यवस्था करने को कहा
गया है।कहते हैं कि इस सीजन में इस गांव में रोजाना करीब ढाई सौ तक पर्यटक आते
हैं।
आपको बता दें कि मावलिननॉन्ग गांव को
खासी आदिवासियों का गांव माना जाता है।इस गांव की एक मजेदार और अच्छी बात ये है कि
यहां पूर्वजों की संपत्ति अपने पुत्र की जगह पुत्री को दी जाती है। ऐसे में यहां
की सारी संपत्ति को माताएं अपनी पुत्रियों को प्रदान करती हैं। इसके अलावा यहां पर
बच्चों के नाम के पीछे उनकी माता का नाम जोड़ा जाता है।यानि नारी सशक्तिकरण के
लिहाज से भी ये गांव देश के अन्य गांव और शहरों की सोच बदलने का काम करता है।
इस गांव में रहने वाले लोगों का कहना है
कि गांव में साफ सफाई पर जोर करीब 130 साल पहले से ही दिया जा रहा है। कहते हैं कि
एक बार गांव में हैजे की बीमारी फैल गई थी। तब यहां पर चिकित्सीय सुविधा न होने के
चलते क्रिश्चियन मिशनरी ने लोगों को बताया था कि केवल साफ सफाई से ही लोगों को
बीमारी से बचाया जा सकता है। इस कारण ही यहां पर सब लोग पूरे गांव की साफ सफाई में
हिस्सा लेते हैं। इतना ही नहीं, इस गांव में 100 में से करीब 95 घरों में शौचालय भी बने हुए हैं।
अंतत: दोस्तों जरुरत है मेधालय के इस छोटे से गांव से प्रेरणा लेने की,और अपने गांव
नगर को भी साफ और स्वच्च रखने की।जिससे हम सब गर्व से कह सकें कि हमारा भारत
स्वस्थ भी है और स्वच्छ भी...।
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