Sunday 10 January 2016

सिर के बल उल्टे खड़े हनुमान जी की इकलौती अद्भूत प्रतिमा


अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्‌।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥3॥
भावार्थ:-अतुल बल के धाम, सोने के पर्वत (सुमेरु) के समान कान्तियुक्त शरीर वाले, दैत्य रूपी वन (को ध्वंस करने) के लिए अग्नि रूप, ज्ञानियों में अग्रगण्य, संपूर्ण गुणों के निधान, वानरों के स्वामी, श्री रघुनाथजी के प्रिय भक्त पवनपुत्र श्री हनुमान्‌जी को मैं प्रणाम करता हूँ॥3॥


संदीप कुमार मिश्र:  पवनसुत...अंतनी के लाल महावीर हनुमान जी महाराज।जिन्हें हम बल और बुद्धि के देवता कहते हैं।जिन्ही महिमा अपरंपार है।ऐसे हनुमान जी महाराज के तमाम मंदिर आपने देखे होंगे,जहां महाबली हनुमान जी महाराज ध्यान मुद्रा में बैठे हुए या फिर खड़े हुए आपको नजर आ जाएंगे ।वहीं प्रयागराज यानि संगम नगरी इलाहाबाद में संगम के तट पर पवन पुत्र की आपको लेटी हुई प्रतिमा भी मिलेगी । लेकिन सिर के बल खड़े हनुमान जी प्रतिमा, वो भी चमत्कारिक, न केवल दुर्लभ बल्कि अप्राप्य ही है।जी हां दोस्तों अद्भूत है हनुमान जी महाराज की ये प्रतिमा।जो किसी चमत्कार से कम नहीं है।

दरअसल वास्तव में ये किसी आश्चर्य से कम नहीं है कि ऐसा भी मारुति नंदन का मंदिर भी है हमारे देश में।दोस्तों हनुमान जी महाराज का ये मंदिर मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक नगरी कही जाने वाली इंदौर शहर से 25 किलोमीटर दूर उज्जैन रोड पर स्थित सांवेर नामक स्थान पर है। इसी मंदिर में महाबली हनुमान जी महाराज की उल्टी प्रतिमा स्थापित है।आप कह सकते हैं शायद हनुमान जी की विश्व में इकलौती ऐसी उल्टी प्रतिमा है ये।

साथियों रामायण के एक प्रसंग के अनुसार, जब भगवान श्रीराम जी और रावण का युद्ध चल रहा था। तब रावण के मित्र पातालराज अहिरावण ने एक चाल चली। उसने वेश बदल कर स्वयं को राम की सेना में शामिल कर लिया। और एक दिन मध्य रात्रि में जब सब लोग विश्राम कर रहे थे तो अहिरावण ने अपनी मायावी शक्ति से प्रभू श्रीरामजी और लखन लाल जी को मूर्छित कर उनका अपहरण कर उन्हें उठा ले गया।

अहिरावण भगवान को पाताललोक में लेकर गया।जब इ बात की खबर वानरी सेना को लगी तो हर कोई बैरान परेशान हो गया। कहते हैं तब एक कपोत-कपोती (कबूतर) के वार्तालाप से हनुमान जी को पता चल गया कि भगवान राम और लक्ष्मण जी को अहिरावण पाताल ले गया है, जहां उनकी बलि देने की तैयारी चल रही है।
जिसके अतुलित बल वाले पवनसुत हनुमान जी महाराज प्रभू की खोज में पाताल लोक पहुंच जाते हैं और अहिरावण से युद्ध कर उसका नाश कर देते हैं। इस प्रकार प्रभू श्री रामजी महाराज और लक्ष्मण के प्राणों की रक्षा हनुमान जी करते हैं और उन्हें पाताल से निकाल कर सुरक्षित बाहर ले आते हैं।

सांवेर वही स्थान है जहां से पाताललोक गए थे हनुमान जी महाराज-

इसलिए दोस्तों इंदौर के सांवेर स्थित उल्टे हनुमान मंदिर में स्थापित यह प्रतिमा हनुमान जी महाराज द्वारा उनके पाताल विजय की प्रतीक
मानी जाती है।जिसके पीछे तर्क ये दिया जाता है कि जब हनुमान जी पाताल लोक जा रहे थे, तब उस समय हनुमान जी के पांव आकाश की ओर थे और सिर धरती की ओर था। यही वजह है कि हनुमान जी महाराज की पूजा इस मंदिर में उल्टी प्रतिमा कि की जाती है।
कहा जाता है कि इस मंदिर में स्थित हनुमान जी की मूर्ति बहुत चमत्कारी है। उल्टे हनुमान जी के दर्शन मात्र से ही भक्तों की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। देश भर से ही नही विदेशों से भी श्रद्धालू इस मंदिर में अंजनी के लाल महावीर हनुमान जी महाराज के दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर में हनुमान जी के साथ भगवान श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण और शिव-पार्वती की भी मूर्तियां विराजमान हैं।यहां आने वाले श्रद्धालू को हनुमान जी महाराज की अलौकिक शक्ति का एहसास होता है,और आनंद की प्राप्ति होती है।


अंतत: आस्थाओं के इस देश में सब कुछ आस्था और विश्वास से जुड़ा हुआ है।आस्था और विश्वास ही है कि हमें एक दूसरे से जोड़कर रखती है और संस्कृति को और भी विशाल व महान बनाती है।जब भी समय मिले तो जरुर आप भी हो आईए सांवरे और हनुमान जी महाराज का दर्शन प्राप्त कर लिजिए।

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