Thursday 27 May 2021

गिलोय के चमत्कारिक फायदे | Giloy boost immunity against coronavirus | आयुर्वेद का वरदान गिलोय |


संदीप कुमार मिश्र:प्रकृति का वरदान गिलोय,आयुर्वेद में गिलोय को कहा जाता है 'अमृता की जड़ ',इम्यूनिटी के लिए वरदान है गिलोय का सेवन,गिलोय का नियमित इस्तेमाल रखे बीमारियों से दूर,चलिए इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि गिलोय के सेवन से कैसे रहेंगे हम रोग से दूर..

दरअसल गिलोय एक ऐसी बेल है, जिसे हम सौ मर्ज की एक दवा कह सकते हैं। संस्कृत में गिलोय को अमृता नाम दिया गया है।गिलोय के संबंध में कहा है कि देवताओं और दानवों के बीच समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत निकला और इस अमृत की बूंदें जहां-जहां छलकीं, वहां-वहां गिलोय की उत्पत्ति हुई।आयुर्वेद में इसका एक नाम अमृता भी है।

आज जब कोविड 19 (COVID ​​-19) की दूसरी लहर ने भयंकर रुप से अपना कहर लोगों पर बरपाना शुरू कर दिया तो डॉक्टर इस महामारी से बचने के लिए इम्यूनिटी को बेहतर रखने की सलाह दे रहे हैं। ऐसे तो कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए कई वैक्सीन भी मार्केट में आ गई हैं। बावजूद इसके हम लगातार देख सकते हैं कि वैक्सीन लगवाने के बाद भी कई लोग कोरोना संक्रमण के शिकार हो रहे हैं।

       ऐसे में अच्छी सेहत, रोग प्रतिरोधक क्षमता ही हमें सुरक्षित और वायरस से लड़ने में मदद कर सकती है। गिलोय एक ऐसी ही आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है जो इम्यूनिटी मजबूत बनाए रखती है। गिलोय की पत्त‍ियों में कैल्शि‍यम, प्रोटीन, फॉस्फोरस पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। इसका नियमित इस्तेमाल हमें कई तरह की बीमारियों से दूर रखने में मदद करता है। चलिए ऐसे में जानते हैं गिलोय का सेवन कैसे हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है-

गिलोय का सेवन करने से सेहत को मिलते हैं ये लाभ

गिलोय बढ़ाने इम्यूनिटी

कोरोना काल में गिलोय का सेवन हमारी इम्यूनिटी को बेहतर बनाना है । गिलोय में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट फ्री-रेडिकल्स से लड़कर कोशिकाओं को स्वस्थ रखने के साथ कई बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं।

गिलोय करे पाचन तंत्र मजबूत

गिलोय डाइजेशन से जुड़ी समस्याओं को दूर रखने में मदद करता है। गिलोय का सेवन करने से कब्ज और गैस की प्रॉब्लम नहीं होती है और पाचन क्रिया भी दुरुस्त रहती है। गिलोय का आंवला या गुड़ के साथ इस्तेमाल करने से पाचन की समस्या से छुटकारा मिल सकता है।




एनीमिया रोग में गिलोय लाभदायक

गिलोय का सेवन एनीमिया दूर करने में सहायक होता है। इसका सेवन घी और शहद के साथ मिलाकर करने से खून की कमी दूर होती है।

खून साफ करती है गिलोय

गिलोय एंटीऑक्सिडेंट की तरह काम करती है जो कि झुर्रियों से लड़ने में मदद करने के साथ कोशिकाओं को स्वस्थ और निरोग रखने में भी अहम भूमिका निभाती है। गिलोय की पत्तियां शरीर से टॉक्सिन को बाहर निकालकर खून को भी साफ करती हैं।

डायबिटीज रोग में गिलोय फायदेमंद

गिलोय एक हाइपोग्लाइकेमिक एजेंट के रूप में काम करता है। जो ब्लड शुगर के लेवल को कंट्रोल कर डायबिटीज को भी नियंत्रित रखने में मदद करता है। गिलोय का सेवन डायबिटीज टाइप 2 के रोगियों के लिए बेहद लाभकारी माना जाता है।

एलर्जी के लिए डाइट में शामिल करें गिलोय

हाथ-पैरों में जलन या स्किन एलर्जी से परेशान लोग भी गिलोय को  अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। ऐसे लोग गिलोय की पत्त‍ियों को पीसकर उसका पेस्ट तैयार करके उसे सुबह-शाम पैरों और हथेलियों पर लगाएं।

जाने गिलोय के अन्य फायदे

-इसके अलावा गिलोय को दूध में उबालकर पीने से जोड़ों का दर्द कम होता है।

-अदरक के साथ गिलोय का सेवन करने से रूमेटाइड अर्थराइटिस जैसी समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है।

-गिलोय के रस में हड्डियों को मजबूत बनाए रखने वाले एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण प्रचूर मात्रा में मौजूद होते हैं।

-गिलोय के तने को चबाने से अस्थमा रोगियों को फायदा होता है।

-गिलोय के तने को चबाने से खांसी, गले में खराश और टॉन्सिलिटिस की समस्या में भी राहत मिलती है।

-गिलोय का आंवला या गुड़ के साथ इस्तेमाल करने से पाचन की समस्या से छुटकारा मिल सकता है।

अब तो आप समझ ही गए होंगे गिलोय का सेवन हमें कैसे तमाम रोगों से हमारी रक्षा करता है।तो रोज करें गिलोय का सेवन और अपना अपने परिवार की सेहत को रखें दुरुस्त। 



अनेक भाषाओं में गिलोय के नाम (Giloy Called in Different Languages)

गिलोय का लैटिन नाम  टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया ( Tinospora cordifolia (Willd.) Miers, Syn-Menispermum cordifolium Willd.) है और यह मैनिस्पर्मेसी (Menispermaceae) कुल है। इसे इन नामों से भी जानी जाती हैः-

Giloy in Hindi – गडुची, गिलोय, अमृता

English – इण्डियन टिनोस्पोरा (Indian tinospora), हार्ट लीव्ड टिनोस्पोरा (Heart leaved tinospora), मून सीड (Moon seed), गांचा टिनोस्पोरा (Gulancha tinospora);  टिनोस्पोरा (Tinospora)

Bengali (Giloy in Bengali) – गुंचा (Gulancha), पालो गदंचा (Palo gandcha), गिलोय (Giloe)

Sanskrit – वत्सादनी, छिन्नरुहा, गुडूची, तत्रिका, अमृता, मधुपर्णी, अमृतलता, छिन्ना, अमृतवल्ली, भिषक्प्रिया

Oriya – गुंचा (Gulancha), गुलोची (Gulochi)

Kannada – अमृथावल्ली(Amrutavalli), अमृतवल्ली (Amritvalli), युगानीवल्ली (Yuganivalli), मधुपर्णी (Madhuparni)

Gujarati – गुलवेल (Gulvel), गालो (Galo)

Goa – अमृतबेल (Amrytbel)

Tamil – अमृदवल्ली (Amridavalli), शिन्दिलकोडि (Shindilkodi)

Telugu – तिप्पतीगे (Tippatige), अमृता (Amrita), गुडूची (Guduchi)

Nepali – गुर्जो (Gurjo)

Punjabi – गिलोगुलरिच (Gilogularich), गरहम (Garham), पालो (Palo)

Marathi – गुलवेल (Gulavel), अम्बरवेल(Ambarvel)

Malayalam – अमृतु (Amritu), पेयामृतम (Peyamrytam), चित्तामृतु (Chittamritu)

Arabic – गिलो (Gilo)

Persian – गुलबेल (Gulbel), गिलोय (Giloe)

गिलोय के चमत्कारिक फायदे video

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Thursday 20 May 2021

Corona Test at Home : घर पर Coronavirus Test के लिए ICMR ने टेस्ट किट को दी मंजूरी



संदीप कुमार मिश्र: अब कोविड-19 का टेस्ट आप अपने घर पर परीक्षण किट के माध्यम से कर सकेंगे ।दरअसल देश में कोरोना वायरस से लगातार मच रहे हाहाकार के बीच भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने कोविड-19 के टेस्ट के लिए घर-आधारित परीक्षण किट को मंजूरी दी है। यानी घर पर कोरोना की जांच रैपिड एंटीजन टेस्टिंग किट के जरिए की जा सकेगी। टेस्टिंग किट को लेकर ICMR का कहना है कि इसका उपयोग केवल सिम्टोमेटिक रोगियों की टेस्टिंग के लिए ही की जाएगी।

वहीं ICMR ने होम टेस्टिंग को लेकर एक एडवाइजरी भी जारी की है। जिसमें आईसीएमआर ने कहा है कि इस टेस्ट में जो लोग पॉजिटिव पाए जाएंगे उन्हें संक्रमित मान लिया जाएगा और उन्हें दोबारा टेस्ट कराने की जरुरत नहीं होगी। ICMR ने आगे यह भी कहा कि इस टेस्ट में जिसकी COVID  रिपोर्ट पाजिटिव आएगी उनकी RT-PCR जांच जरूर करवाई जाएगी।

Home Testing के लिए एडवाइजरी जारी करते हुए ICMR ने कहा है कि इस किट का इस्तेमाल तभी किया जाए जब आपमें कोरोना का लक्षण दिखाई दे या फिर आप किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हों। ICMR ने कहा कि अगर टेस्ट में सिम्टोमैटिक लोग निगेटिव पाए जाएं तो उनकी आरटी-पीसीआर जांच जरूर करवाई जाए। ऐसा इसलिए क्योंकि, कभी-कभी संक्रमण मामूली होने पर रैपिड एंटीजन टेस्ट कुछ पॉजिटिव को ट्रेस नहीं कर पाने की आशंका रहती है।

अपनी एडवाइजरी में ICMR ने यह भी बताया है कि होम टेस्टिंग के लिए आपको कौन सा किट इस्तेमाल करना है। फिलहाल माइ लैब डिस्कवरी सॉल्यूशन की ओर से तैयार की गई CoviSelfTM का इस्तेमाल किया जा सकता है।यहां ये जानना भी जरुरी है कि पहले से भी कोरोना वायरस की जांच के लिए एंटीजन टेस्ट होते रहे हैं लेकिन उसके लिए अलग किट का इस्तेमाल होता है।

जाने घर पर कैसे करें टेस्ट ?

- टेस्ट के लिए सबसे पहले स्टेटराइल स्वाब का उपयोग करते हुए स्वाब को सावधानी से नाक के छिद्र में डालें।

-स्वाब सीधा अंदर 2 से 4 सेंटीमीटर तक पहुंचना चाहिए।

- अब स्वाब को चार से पांच बार घूमाएं। अब अपनी नासिका से स्वाब को निकाले और उसी स्वाब को दूसरी नाक के छिद्र में डालें और वही प्रक्रिया दोहराएं।

- स्वाब को बाहर निकाकर पहले से भरे एक्सट्रैक्शन ट्यूब में डालें। ट्यूब के निचले हिस्से को दबाएं और स्वाब को 10 बार घूमाएं। यह सुनिश्चित करना आपकी जिम्मेदारी है कि एक्सट्रैक्शन बफर में स्वाब अच्छे से डूब गया है या नहीं।

- अब स्वाब के ब्रेक प्वाइंट को ढूंढकर उसे तोड़ दें। टूटा हुआ हिस्सा फेंक दें और मिश्रण को अच्छे से मिश्रित करें।

- अब ट्यूब को नोजल कैप से ढक दें और ढक्कन को कस के बंद कर दें।

- ध्यान दें कि टेस्ट उपकरण को एक बार खोलने के बाद 5 मिनट से ज्यादा समय तक उसे खुला ना छोड़ें।

- अब एंटीजन बफर की दो बूंदे टेस्ट उपकरण के सैंपल छिद्र में डालें।

- 10 से 15 मिनट तक इंतजार करें और उसके बाद परिणामों को देखें। अगर आप बेहतर परिणाम पाना चाहते हैं तो आपको 15 से 20 मिनट तक इंतजार करना होगा।

- इस दौरान आपके फोन में जो ऐप है वहां टेस्ट परिणामों को प्राप्त करने के लिए फोन आपको अलार्म से सूचित करेगा।

- अलार्म के बाद टेस्ट उपकरण की फोटो खींच लें। अब कोविड-19 टेस्ट परिणामों का विश्लेषण और उनके प्रदर्शन के लिए इंतजार करें।

- टेस्ट किट पर आपको c यानी कंट्रोल लाइन और t यानी टेस्ट लाइन का चिंह दिख रहा होगा। अगर आपको सी लाइन प्रदर्शित हो तो आप का रिजल्ट नेगेटिव है वहीं अगर सी और टी दोनों लाइन नजर आए तो परिणाम पॉजिटिव है। टी लाइन हल्की धुंधली भी नजर आ सकती है।

इस टेस्ट के दौरान जिस बात का विशेष ध्यान रखना है वो ये की कि टेस्ट को करते वक्त किसी भी प्रकार का दर्द महसूस हो तो तुरंत इस टेस्ट को रोक दें और स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से सलाह लें।



COVID-19 के पॉज़ीटिव मरीज़ों में Black Fungal Infection|क्यों मरीज़ों को गंवानी पड़ रही हैं आंखें ? जाने

 


संदीप कुमार मिश्र- कोरोना की दूसरी लहर का बढ़ता प्रकोप।जान बच गयी तो गंवानी पड़ रही आँखें। ब्लैक फंगल संक्रमण का बढ़ रहा खतरा।  दरअसल हमारे देश में चल रही कोरोना वायरस की ख़तरनाक दूसरी लहर से लोग जूझ ही रहे थे कि अब ब्लैक फंगल संक्रमण का ख़तरा भी दस्तक देने लगा है ।क्योंकि कोविड-19 पॉज़ीटिव मरीज़ों में ब्लैक फंगल संक्रमण के मामले बड़ी तेजी से बढते नजर आ रहे हैं ।

ब्लैक फंगल कितना खतरनाक है इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि आंखों के सर्जन जो म्यूकोरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगल संक्रमण के मामलों का इलाज कर रहे हैं, उन्हें अपने मरीज़ों की जान बचाने के लिए उनकी आंखे निकालने जैसा मुश्किल फैसला करना पड़ रहा है। ज़्यादातर मामलों में एक आंख निकालना काफी होता है, लेकिन कई ऐसे मामले भी सामने आ रहे हैं जिसमें दोनो आँखे भी निकालनी पड़ रही है। डाक्टरों का कहना है कि ये संक्रमण तब और गंभीर बन जाता है, जब शुरुआती लक्षणों को नज़रअंदाज़ किया जाता है।

डाक्टरों का कहना है कि "यह इन्फेक्शन ज्यादातर डायबिटीज मरीजों और जिनकी इम्युनिटी कमज़ोर रहती है, उनमें हो रहा है। जब किसी डायबिटीज़ के मरीज़ को कोरोना होता है, तो उसे एक स्टेरॉइड दिया जाता है, जो इम्युनिटी को कमज़ोर करता है और शुगर लेवल को बढ़ाता है। इसमें वे लोग शामिल हैं जिन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं या वे जो स्टेरॉयड दवाएं लेते हैं।क्योंकि इससे कीटाणुओं और बीमारी से लड़ने की शरीर की क्षमता कम हो जाती है।

Black fungal infection के शुरुआती लक्षण

ऐसे में डाक्टरों का कहना है कि शुरुआती लक्षण  जैसे ही नजर आए जल्द से जल्द इलाज शुरू कर देना चाहिए।इसके लक्षणों की बात करें तो दांत में दर्द, आंखों में सूजन, साइनसाइटिस, लटकी हुई पलकें, दोहरी दृष्टि, आंखों की रोशनी कमज़ोर होना, चेहरे के एक तरफ दर्द होना, नाक की त्वचा का काला या गहरे रंग का होना, दांतों का ढीला होना और सीने में दर्द होना है। असहनीय दर्द मतलब पता ही नहीं चलता कि दर्द कहां हो रहा है। सीटी स्कैन के बाद भी पता ना चले कि दर्द कहां हो रहा है।यह मुख्य रूप से कोविड-19 से रिकवर हुए लोगों पर अटैक कर रहा है।

Black fungal infection covid-19 से ठीक होने के बाद ही क्यों होता है

दरअसल covid-19 patient को ऑक्सीजन की कमी होने पर जब ऑक्सीजन दी जाती है तो उस  ऑक्सीजन को हाइड्रेट करने के लिए उसमें पानी डाला जाता है और अगर यह पानी इनफेक्टेड होगा। जैसे- मटके का पानी, नदी का पानी, कुएं का पानी तो यह फंगल इन्फेक्शन नाक के थ्रू बॉडी मे enter हो जाता है और फिर ब्लड क्लॉट, पैरालिसिस जैसी गंभीर समस्या के रूप में सामने आता है।

Black fungal infection से बचने के लिए क्या करें

हाइजीन मेंटेन करें

कंस्ट्रक्टर में हमेशा RO का पानी ही use करें।

आरो के पानी को भी गर्म करके oxygen को हाइड्रेट करने के लिए यूज करें।

अगर diabetic patient हैं तो sugar लेवल हमेशा कंट्रोल में रखें।

बिल्कुल भी देरी ना करें और तुरंत अपने डॉक्टर से सलाह लें।



Black fungus खतरनाक क्यों है

यह एक बहुत ही रेयर लेकिन जानलेवा इंफेक्शन है।

डायबिटीज या मधुमेह के रोगियों को यह विशेष रूप से प्रभावित करता है।

Steroids और antibiotics  का अधिक उपयोग इस फंगल इंफेक्शन के लिए ट्रिगर का काम करता है, यानी इंफेक्शन को बढ़ा देता है।

ऐसे में दोस्तों इस फंगल इंफेक्शन से बहुत सावधान रहने की जरुरत है।इसके लक्षण जैसे ही नज़र आए वैसे ही डाक्टर से संपर्क करें ।

#where does black fungus attack 

Monday 17 May 2021

Covid19 घर का वैद्य : जानिए कोरोना काल में कैसे रखें फेफड़ों को मजबूत

 


संदीप कुमार मिश्र: वैश्विक महामारी कोरोना की चपेट में पूरा विश्व है ऐसे में हमारा देश भारत कैसे अछूता रह सकता था।खासकर कोरोना की दूसरी लहर में।दरअसल हमारे देश भारत में कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर की वजह से बड़ी संख्या में लोग इस वायरस की चपेट में आ रहे हैं।जिसका सीधा असर हमारे फेफड़ों पर पड़ रहा है। फेफड़ों पर इस वायरस के अटैक की वजह से लोग संक्रमित हो रहे हैं और फिर फिर ये वायरस हमारे फेफड़ों को नुकसान पहुंचाकर जानलेवा साबित हो रहा है।

ऐसे में यदि हमें इस कोरोना वायरस से लड़ना है, तो हमारे फेफड़ों का मजबूत होना बेहद जरूरी है। तो चलिए जानते एक घरेलू उपाय जो बनाए हमारे फेफडे को मजबूत-

हल्दी की मदद से अपने फेफड़ों को बनाए मजबूत

हमें अपने फेफड़ों को मजबूत करने के लिए अपने खानपान पर तो विशेष ध्यान देना ही होगा साथ ही हमें धूम्रपान से दूर  भी रहना चाहिए और अगर आप धूम्रपान करते हैं, तो इससे दूरी बनानी पड़ेगी। इसके अलावा आप हल्दी से जुड़ा एक आयुर्वेदिक उपाय भी अपना सकते हैं, जो आपके फेफड़ों को मजबूत करने में आपकी मदद कर सकता है।

आयुर्वेदिक लेप बनाने के लिए क्या सामग्री

आधा चम्मच कच्ची हल्दी या पाउडर, पांच से छह कली लहसुन की, थोड़ा अदरक और आधा प्याज

आपकी रसोई में उपलब्ध इन सामग्री से अब तैयार करना है एक लेप जिसके लिए करना ये है कि हल्दी, अदरक, प्याज और लहसुन को ग्राइंड कर लें और इसका गाढ़ा पेस्ट बना लें। इसके बाद इस पेस्ट को अच्छी तरह से अपनी चेस्ट यानी छाती पर लगा लें। इसके बाद आपको एक कॉटन के कपड़े को अच्छे से लपेट लेना है।

आयुर्वेदिक लेप के फायदे

इस लेप को लगाने से आपको कई फायदे मिल सकते हैं। इसमें फेफड़ों में बड़ी-बड़ी गांठों को कम करने में मदद मिलेगी, निमोनिया से राहत मिलेगी, फेफड़ों के अंदर जमे कफ को हटाने में मदद करता है और साथ ही ये हमारे फेफड़ों को मजबूत करने में भी मदद करता है।

इस प्रकार से आप इस लेप का प्रयोग कर कोरोना से अपना अपनो का बचाव कर सकते हैं।घर में रहें,मास्क का प्रयोग करें और कोविड प्रोटोकाल का पालन करें।

 

 

DRDO ने बनाई कोरोना की देशी दवा | एंटी कोविड ड्रग 2DG लॉन्च| जाने इस दवा के बारे में सब कुछ

 



संदीप कुमार मिश्र: वैश्विक महामारी कोरोना से निजात पाने के लिए DRDO ने लांच की देसी दवा एंटी कोरोना ड्रग 2DG । इतना ही नहीं इसके इमरजेंसी यूज के लिए मंजूरी भी मिल गई है।आपको बता दें कि ये दवा एक पाउडर के रूप में होगी और इसे सबसे पहले दिल्ली के DRDO कोविड अस्पताल में भर्ती मरीजों को दिया जाएगा।

जून में सभी जगह उपलब्ध होगी : DRDO

ये दवा कोरोना वायरस से संक्रमित कोशिकाओं पर सीधा काम करेगी।जिससे शरीर का इम्यून सिस्टम काम करने लगेगा और कोविड मरीज जल्दी ठीक हो जाएंगे। इसे मरीज के वजन और डॉक्टर के प्रिसक्रिप्शन के आधार पर कम से कम 5-7 दिन सुबह-शाम 2 डोज लेनी होगी। एंटी कोविड दवा पर DRDO प्रमुख जी. सतीश रेड्डी का कहना है कि फिलहाल इस दवा का उत्पादन सप्ताह में 10,000 के आस पास होगा।जिसे AIIMS, AFMS और DRDO अस्पतालों में दिया जाएगा। अन्य राज्यों की बात करें तो अगले चरण में यानी जून के पहले हफ्ते से सभी जगहों पर 2DG दवा उपलब्ध करवा दी जाएगी।

DRDO ने डॉ. रेड्डीज लैबोरेट्रीज के साथ मिलकर बनाया

जीवन रक्षक इस दवा को DRDO के इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड अलाइड साइंसेस (INMAS) ने डॉ. रेड्डीज लैबोरेट्रीज के साथ मिलकर बनाया है। क्लिनिकल रिसर्च के दौरान 2-डीजी दवा के 5.85 ग्राम के पाउच तैयार किए गए। इसके एक-एक पाउच सुबह-शाम पानी में घोलकर मरीजों को दिए गए। जिसका परिणाम बड़ा ही सकारात्मक आया।क्योंकि जिन मरीजों को भी ये दवा दी गई, उनमें तेजी से रिकवरी देखने को मिली। इसी आधार पर ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने इस दवा के इमरजेंसी इस्तेमाल को मंजूरी दी ।


देश के
27 अस्पतालों में हुआ 2DG का ट्रायल

2DG दवा की बात करें तो सबसे पहले DRDO ने देशभर के जिन 27 अस्पतालों में इस दवा का आखिरी ट्रायल किया था जिसके पाजिटिव रिस्पांश के बाद ही इसे मंजूरी दी गई।

डॉक्टर्स की सलाह पर ही दी जाएगी 2DG

यहां ये जानना भी आपके लिए जरुरी है कि इस दवा को फिलहाल अस्पतालों में डॉक्टर की सलाह पर ही दिया जाएगा। अभी इसकी सिर्फ इमरजेंसी यूज की मंजूरी दी गई है। जब तक इस दवा को सामान्य इस्तेमाल की मंजूरी नहीं मिलती है, तब तक इसका बाजार में आना संभव नहीं है।लेकिन एक बात तो तय है कि निराशा भरे इस माहौल में 2DG दवा आशा की एक किरण लेकर आया है।

Saturday 15 May 2021

खरी खोटी: दोष आपका नहीं साहेब,हमारे गाँवों में तो विकास पैदा होने से पहले ही दम तोड़ देता है...!

काश ! सत्ता की नज़र समय से हमारे गाँवों पर भी पड़ी होती...तो आज (वैश्विक महामारी के इस दौर में..)की जो दशा और दुर्दशा देखने को मिल रही है वैसी ना होती...शायद की ऐसा कोई गाँव होगा जहां हफ्त़े दस दिन में 12-15 या इससे ज्यादा लोगों की मौत ना हुई हो...उम्र रहते काल के गाल में समा रहे लोग...और भोले भाले इतने की बस ये कह कर संतोष कर जाते हैं कि ए बाबू बड़ा पुन्नी कईले रहलें बस दूई दाईं सांसी उल्टा चलल आ चली गईलें...तनिको तकलीफ नाई दिहलें केहु के…”

किसी और की नहीं मेरे अपने गाँव और आसपास के गाँवों के बारे में बताउं तो एक दो नीम हकीम खतरे जान वाले बंगाली डाक्टर (जो बबासीर,भगन्दर और शर्तिया इलाज के स्पेशलिस्ट अपने बोर्ड पर लिखते हैं और फिजिसियन सर्जन सब होते हैं)  के अलावा,मेडिकल स्टोर वाले भैया जी के भरोसे ग्रामीण अंचल के लोगों का जीवन डग्गामार चल रहा है...आज भी सीधे साधे गाँव के लोगों का जीवन भगवान भरोसे है और और अंतिम यात्रा भी उन्हीं के भरोसे है....


विकास की आँधी और तुफान जैसे नारे वारे....सरकारी योजनाएँ और विकास की गति...सांसद और विधायक निधि...ग्राम प्रधानो की पंचवर्षीय योजनाएं जैसे तमाम फंड या तो चौराहा छाप (एक तरह से देसी गाली ) बनकर रह गए हैं या तो शहरों में कोठी,जमीन,गाड़ी,रायफल,पिस्टल में नज़र आ रहे हैं या आते रहे हैं...इतिहास साक्षी है कि जब भी ऐसी आपदा विपदा आती है तो सांसद और विधायक मरणासन्न अवस्था में होते हैं...और जब सब ठीक हो जाता है तो सड़कों पर इनका काफिला देखते ही बनता है...जैसे ये पद इनकी बपंसत हो....खैर ये तकदीर के सांड होते हैं... हराम का,जनता की गाड़ी कमाई का उपभोग करते हैं पांच वर्ष.. उसके बाद हार भी गए तो क्या फर्क पड़ता है...इतना तो कमा ही लेते हैं कि आने वाली कई पूस्तें बैठ कर खाएं...

लेकिन हमारे गाँव वालों का क्या...उनका क्या दोष...उऩका क्या कसूर...?

 गलती आपकी नहीं मेरे सत्तानसीन आकाओं...ये परिपाटी तो कई दशकों से चली आ रही है और आप तो उसी का निर्वहन कर रहे हैं....कुछ कम या ज्यादा हो सकता है....लेकिन हमारे गाँव कोसो दूर हैं आपकी चकाचौंध और फौरेब से....एक तरह से ठीक भी है...शायद तभी वो तुम्हारा पेट भी भर रहे हैं....नहीं तो तुम्हारे तो मूंह पर लात मार देनी चाहिए जैसे तुमने उनके जीवन के साथ किया है और निरंतर कर रहे हो....तुम हत्यारे हो उन मासूमों का जिनका कसूर बस इतना है कि वो अपने गाँव में खुश रहना चाहते हैं...

नहीं तो सत्ता से चाहिए क्या...? एक अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था (मूल रुप से) बस...! आप कहते हैं कि सवाल ना करे कोई आपसे....अरे भाई कैसे ना करे कोई सवाल....सवाल तो पूछेंगे ही,मसलन----

- आज़ादी के इतने दशकों बाद भी क्या प्रत्येक गाँवों में एक सामुदायिक केंद्र नहीं हो सकता था...दोषी कौन ?

- क्या हमारे गाँव के लोगों की जान इतनी सस्ती है कि एक दर्द निवारक गोली भी उन्हें समय से नसीब ना हो...दोषी कौन ?

-क्या किसी हारी बिमारी में शहर तक जाने के लिए एक एम्बुलेंस का हक तक नहीं उन्हें...दोषी कौन ?

- गाँव के गाँव कोरोना पीड़ित हो रहे हैं...दोषी कौन ?

- वैश्विक महामारी या किसी भी दैविक आपदा से गाँवो को उबारने की कोई व्यवस्था क्यों नहीं...दोषी कौन ?

 - लगातार जो मौते हो रही हैं उनका जिम्मेदार कौन ?

ना जाने ऐसे कितने सवाल हर एक भोलेभाले जनमानस में मन में है...लेकिन वो पूछें तो किससे...किससे लगाएं गुहार... कौन सुनेगा...प्रधान सेवक.....मुख्यमंत्री.....सांसद....विधायक....प्रधान....या कोई और...?...आखिर कौन...?

अफसोस तो होगा ही ना साहेब...जब सुनने में आएगा कि आक्सीजन ना मिल पाने के कारण मर गए... एक सवा करोड़ रुपये में जहां एक आक्सीजन प्लांट बड़े आसानी से लग जाता है...जहां हर जिले में दो दो,चार चार प्लांट लग सकते थे.... वहां व्यवस्था के नाम पर आपका रोना और आरोप लगाना नज़र आया और दूसरी तरफ मासूम भोले भाले लोगों का दहाड़े मार कर अपने अपनो के लिए रोना...चीखना और चिल्लाना नज़र आया.... जिसे देखकर आपका तो पता नहीं लेकिन हमारे जैसे करोड़ों भारतीयों का कलेजा फट गया...

और हर कोई ये सोचने पर विवश हो गया कि मेरे साथ यदि ऐसा हो गया तो मेरे बच्चों को कौन देखेगा....उन्हें कौन संभालेगा...मेरे रहते तो किसी तरह से दो वक्त की रोटी चल रही थी...मेरे बाद क्या होगा....हे भगवान...सब को कुशल रखो....ऐसे सवालों से चाहे प्रत्यक्ष या फिर अप्रत्यक्ष आपको सामना तो करना ही पड़ेगा....

माना कि आपसे पहले वाले बहुत बड़े वाले.....थे.....लेकिन आप भी तो प्रतिस्पर्धा उन्हीं से कर रहे हैं.... (नहीं तो हर सवाल पर उन्हीं का उदाहरण नहीं देते)

हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि आप हमारे गाँव वालों को बस बेहतर से बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान कर दें.... और ये तभी संभव हो पाएगा जब आपके सिपहसालार आपको सही रिपोर्ट दें....वरना चाटूकारिता में ही तो देश मेरा बर्बाद हुआ....

और हां मेरे प्यारे ग्रामवासीयों एक निवेदन,प्रार्थना विनती आप से भी है....कुछ दिनों की बात है...थोड़ा नेवता खाने में कम जोर दें....चौराहे पर जाने से बचें...शादी ब्याह में भीड़ कम करे...मास्क का प्रयोग करें एक दूसरे से बात करने में दूरी बनाए रखें... क्योंकि आप स्वस्थ और सुरक्षित हैं तभी उन्नति और आनंद है नहीं तो सरकारों का क्या भरोसा..... हर बार तो बदलकर देखा आपने..... हासिल क्या हुआ आप जानते ही हैं..... ~!

-सादर

हम गाँव वाले