Thursday 31 August 2017

भगवान श्रीगणेश को चढ़ाएं पत्ते,होगी सभी मनोकामना पूरी,जाने क्या है पत्तों का महत्व

संदीप कुमार मिश्र: भगवान श्रीगणेश प्रथम पूज्य देव हैं,लम्बोदर भगवान श्रीगणेश को खुश करने के लिए विशेष रूप से दूर्वा,मोदक, फूल,फल, लड्डू चढ़ाया जाता है।लेकिन ऐसा कहा जाता है शिव पुत्र श्रीगणेश अपने पिता की तरह की प्कृति प्रेमी भी हैं।इसलिए जो साधक उन्हें पत्ते भी अर्पित करता है,उससे प्रथम पूज्य देव प्रसन्न हो जाते हैं उकी सभी मनोकामनाएं पूरी कर देते हैं।आईए जानते हैं किस वृक्ष के पत्ते को श्रीगणेश जी पर अर्पित करने के कौन सी मनोकामना पूरी होती है-

नि:संतान दंपति संतान प्राप्ति के लिए 'उमापुत्राय नमः' कहकर श्रीगणेश जी को बेलपत्र चढ़ाएं।

किसी भी संस्था में उच्च पद की प्राप्ति के लिए 'गणाधीशाय नमः' कहकर भंगरैया का पत्ता गजानन भगवान श्रीगणेश को अर्पित करें।

कार्य में किसी भी प्रकार की आ रही बाधा को दूर करने के लिए 'वक्रतुण्डाय नमः' कहकर सेम का पत्ता लंबोदर भगवान को अर्पित करें।

अच्छे और बेहतर स्वास्थ्य के लिए 'लम्बोदराय नमः' कहकर बेर का पत्ता श्रीगणेश जी को अर्पित करें।

यश और सम्मान की प्राप्ती के लिए 'चतुर्होत्रे नमः' कहकर तेजपत्ता भगवान श्रीगणेश को चढ़ाएं।

व्यवसायिक सफलता और लाभ पाने के लिए 'सिद्धिविनायकाय नमः' कहकर केतकी का पत्ता विध्नेशवर भगवान श्री गणेश को अर्पित करें।

बेहतर नौकरी पाने के लिए 'विकटाय नमः' कहकर कनेर का पत्ता श्रीगणेश जी को चढ़ाएं।

धन और आर्थिक लाभ के लिए 'विनायकाय नमः' कहकर आक का पत्ता भगवान श्रीगणोश को चढ़ाएं।

शनि कर रहे हैं परेशान तो शनी की पीड़ा को शांत करने के लिए 'सुमुखाय नमः' कहकर शमी का पत्ता गणपति बप्पा को अर्पित करें।

ह्रदय रोगी को आराम और लाभ पाने के लिए 'कपिलाय नमः' कहकर अर्जुन का पत्ता बप्पा को अर्पित करें।

इस प्रकार से नित्य लंबोदर भगवान श्रीगणेश की पूजा आराधना करने से जल्द ही अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी कर मनवांछित फल देते हैं भगवान श्रीगणेश।
                            ।।ऊं गं गणपतये नम:।।

Wednesday 30 August 2017

गोरखपुर में डाक्टरी,कम समय में अमीर बनने की गारंटी !


संदीप कुमार मिश्र:  डाक्टरी....एक ऐसा पेशा...जो किसी मंदिर के उस दरबार से कम नहीं जहां मन की सभी मुरादें पूरी होने की आस में हर जाता है।ऐसे ही अस्पताल में डाक्टर,जिन्हें भगवान का दूसरा रुप माना जाता है।एक बार मरीज अस्पताल में गया तो हम आस लगा बैठते हैं कि अब तो डाक्टर साहब जरुर ठीक कर देंगे’...और ठीक होते भी हैं।
लेकिन तकलीफ तब होती है जब डाक्टरी के इस पाक और पवित्र पेशे को को कुछ डाक्टरों ने सिर्फ व्यापार का माध्यम बना दिया।एक बार इन्वेस्ट कर दो,फिर भविष्य में तो लूटना ही लूटना है।अगर ऐसा नहीं होता तो शायद गोरखपुर के मेडीकल कालेज में मासुम बच्चों की लगातार मौंते ना होती।

गोरखपुर या यूं कहें कि पूरे पूर्वांचल में डाक्टर होने के मतलब है कि पैसा छापने की मशीन बनना।एक से एक बड़े नर्सिंग होम..बड़ी से बड़ी व्यवस्थाए...हर गली, मोहल्ले,नुक्कड़ पर अनगिनत नर्सिंग होम...हर एक नर्सिंग होम में आशा और विश्वास लिए मरीज....।इतना ही नहीं डाक्टर की जुबान से जो रुपये की बात एक बार निकल गयी तो निकल गयी...आप चाहे जहां से भी लाकर दो...देना पड़ेगा...चाहे खेत बेच दो,जमीन गिरवी रख दो या फिर खुद को ही बेचना क्यों ना पड़े...आप अपने मरीज ठीक होते देखना चाहते हैं तो नोटों की गड्डी लाईए।
इंसेफलाइटिस के मरीजों को काफी हद तक बचाया जा सकता था,किसी के कलेजे को टुकड़े को उससे जुदा होने से रोकने के लिए सफल प्रयास किये जा सकते थे...लेकिन इस घटिया डाक्टरी, और रुपये पैसे की कमीनी चाह ने डाक्टरों को लोभी,लालची और हत्यारा बना दिया।जिसका सबसे बड़ा कारण गोरखपुर में प्राइवेट प्रैक्टिस है।सरकारी डाक्टर सरकारी अस्पताल में कम और अपने प्राइवेट क्लिनीक में ज्यादा समय देते हैं,सरकारी अस्पताल में भी जो मरीज इलाज के लिए जाते हैं उन्हें प्राइवेट क्लीनिक में आकर मिलने के लिए कहते हैं।

यकिन मानिए साब एक बार गोरखपुर के सभी सरकारी अस्पतालों के डाक्टरों को सस्पेंड कर दिया जाए और कुछ दिनों के लिए जेल में ठेल दिया जाए,सच्चाई सामने आ जाएगी।जिसके लिए शासन और प्रशासन दोनो को कहीं ना कहीं मुश्तैदी दिखानी पड़ेगी।
आस और उम्मीदों की सरकार बीजेपी और खासकर सीएम योगी आदित्यनाथ जी..जिनकी नाक के नीचे ही ये नीच हरकत और जघन्य अपराध हो रहे हैं,ऐसी हत्याएं हो रही हैं,जिनके लिए माफी की कहीं कोई गुंजाइश ही नहीं है।
यकिनन योगी जी ने गोरखनाथ चिकित्सालय खुलवाकर सस्ती सेवाएं मुहैया करवा रहे हैं,लेकिन पूर्वांचल में आबादी के बढ़ते बोझ की सेवा के लिए जरुरी है सभी सरकारी अस्पताल और डाक्टर पूरी इमानदारी से अपनी सेवाएं प्रदान करें और आम आदमी के उस भरोसे को बनाएं रखें जहां डा. को भगवान कहा जाता है.....।


अगले लेख में आपको पूर्वांचल के अस्पताओं दवा माफियाओं और डायग्नोसिस सेंटरों के काला कारोबार को कुछ आंकड़ों के साथ बताएंगे...बस थोड़ा इंतजार करिए और संबोधन की इस मुहिम को आगे बढ़ाईए...जिससे की देश के किसी भी हिस्से में भ्रस्टाचार में लिप्त किसी भी डाक्टर का शिकार कोई मासूम ना हो...क्योंकि हर जान जरुरी है...।         

Monday 28 August 2017

29 अगस्त: मनोकामना पूर्ती के लिए करें महालक्ष्मी व्रत,जाने पूजा विधि,महत्व

संदीप कुमार मिश्र: आज की भागदौड़ भरी जींदगी में धन की आवश्यकता किसे नहीं होती...हर किसी को अपने सपने और ख्वाब को पूरा करने के लिए रुपये पैसे की जरुरत होती है।ऐसे में  हर कोई चाहता है कि माता लक्ष्मी की कृपा उनपर सदैव बनी रहे।
आपको बता दें कि भाद्रपद के शुक्लपक्ष की अष्टमी को महालक्ष्मी व्रत मनाया जाता है जोकि इस बार 29 अगस्त को है।महालक्ष्मी व्रत 16 दिन तक आश्विन कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि तक चलता है। हिन्दू धर्म शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि महालक्ष्मी व्रत बहुत महत्वपूर्ण व्रत है। इस व्रत को रखने से माता लक्ष्मी की कृपा होती है और सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं साथ ही जीवन में आने वाली सभी प्रकार की समस्याओं का अंत हो जाता है। 
कहते हैं कि 16 दिनों तक चलने वाले महालक्ष्मी की पूजा में जो सभी साधक 16 दिन व्रत ना रख पाएं उन्हें कम से कम एक दिन का व्रत  अवश्य रखना चाहिए। महालक्ष्मी व्रत में व्रती को अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए और 16वें दिन इस विशेष पूजा का उद्यापन करना चाहिए।लेकिन जो साधक एक दिन का व्रत रखें वो अगले दिन उद्यापन कर सकते हैं।
महालक्ष्मी व्रत पूजा विधान  

महालक्ष्मी व्रत पूजा के दिन मां लक्ष्मी के हाथी पर विराजित मूर्ति या चित्र की पूजा करने का विधान बताया गया है। लाल कपड़ा बिछाकर उस पर चौकी रखकर मां लक्ष्मी की स्थापना करनी चाहिए और फिर मां लक्ष्मी की मूर्ति के सामने श्रीयंत्र रखकर, पूजा में कमल का फूल सोने-चांदी के आभूषण मिठाई और फल रखना चाहिए।मां लक्ष्मी का ध्यान करते हुए श्रद्धा भाव से धूप दीप नैवेद्य चढ़ाकर सपरिवार प्रेम सहित माता लक्ष्मी की आरती गानी चाहिए।।जय मां लक्ष्मी।।

श्रीराधाष्टमी विशेष: जन्माष्टमी के व्रत का फल पाने के लिए करें श्रीराधाष्टमी का व्रत,कभी नहीं होगी धन की कमी


संदीप कुमार मिश्र: जय जय श्री राधे...अक्सर हम कृष्ण के धाम या फिर भगवान श्रीकृष्ण भक्त को कहते हुए सुन लेते हैं..प्रेम की एसी प्रगाढ़ता,ऐसी मिसाल शायद ही कहीं आप को देखने को मिले।क्योंकि राधा के बिना श्रीकृष्ण और श्रीकृष्ण के बिना राधा की कल्पना कतई संभव नहीं है।ब्रजधाम की अधिष्ठात्री देवी श्रीराधा जी की पूजा के बिना श्रीकृष्ण जी की पूजा अधूरी मानी जाती है।

इसलिए भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को श्री राधाजी का प्राकट्य दिवस बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।जो कि श्रीराधाष्टमी के नाम से जाना जाता है।कहते हैं कि जो भी साधक राधा अष्टमी का व्रत नहीं रखता है, उसे जन्माष्टमी व्रत का पूर्णरुपेण फल भी प्राप्त नहीं होता।इसलिए श्रीकृष्ण के साधक श्रीराधाअष्टमी का व्रत भी अवश्य रखते हैं।

हम सब जानते हैं कि बरसाना श्रीराधाजी की जन्मस्थली है। पद्मपुराण में ऐसा वर्णित है कि श्रीराधाजी राजा वृषभानु की पुत्री है।कहते हैं कि जब राजा वृषभानु यज्ञ के लिए भूमि साफ कर रहे थे, तब भूमि कन्या के रूप में उन्हें राधाजी प्राप्त हुईं थी। श्रीराधाष्टमी पर श्रीराधा-कृष्ण की संयुक्त रूप से साधक को पूजा करनी चाहिए।


जो भी भगवान श्रीकृष्ण का भक्त,प्रेमी,साधक श्रद्धा से श्रीराधाअष्टमी का व्रत रखता है उसपर श्री राधाजी की कृपा सदैव बनी रहती है और उसके घर में सदैव लक्ष्मी जी का वास होता है। राधा अष्टमी के दिन ही महालक्ष्मी व्रत भी आरंभ होता है।कहा जाता है कि जो पूरे वर्ष कृष्ण पक्ष अष्टमी का व्रत रखता है, उसके जीवन में कभी धन-संपदा,यश-किर्ति की कमी नहीं होती। आपको बता दें कि श्रीराधा जी के पूजन के लिए मध्याह्न का समय सबसे उपयुक्त बताया गया है।हम तो कामना करते हैं कि श्रीराधा रानी की कृपा की सदैव आप पर बनी रहे और आपका घर परिवार सदैव खुशियों से भरा रहे।।जय श्री राधे।।

Wednesday 23 August 2017

हरतालिका तीज विशेष: शिव और शक्ति के मिलन का दिन,जाने पूजा समय ,कथा और महत्व

संदीप कुमार मिश्र :  हरतालिका तीज सुहागिन महिलाओं का त्योहार है।जिसे उत्तर भारत खासकर यूपी और बिहार में सुहागिन महिलाएं बड़े ही श्रद्धा भाव के साथ मनाती है।
हरतालिका तीज को सुहागिनों के महापर्व के रूप में भाद्रपद, शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन मनाया जाता है। हस्त नक्षण में होने वाला यह व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु तथा अविवाहित युवतियां मनवांछित वर पाने के लिए करती हैं।
हरतालिका तीज के दिन सुहागिने भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती है। ऐसा कहा जाता है कि माता पार्वती और शिव अपनी पूजा करने वाली सभी सुहागिनों को अटल सुहाग का वरदान देते हैं।
हमारे धर्म पुराणों में ऐसा उल्लेख मिलता है कि शक्ति स्वरुपा देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया और वरदान के रुप में शिव जी को ही मांग लिया। उनके तप और आराधना से खुश होकर भगवान शिव ने पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था।तभी से इस त्योहार का चलन शुरु हुआ।मान्यता ऐसी भी है कि  इस दिन को 'हरतालिका' इसीलिए कहा जाता हैं क्योंकि माता पार्वती जी की सहेली उनका हरण कर घनघोर जंगल में ले गई थी। 'हरत' अर्थात हरण करना और 'आलिका' अर्थात सहेली।लोक मान्यताएं हैं जिनका अनुसरण समाज निरंतर करता  रहा है।उद्धेश्य तो सिर्फ संबंधों में मधुरता और प्रगाढ़ता को बनाए रखना है।
व्रत विधि व पूजा समय
हरितिका तीज का व्रत इस वर्ष की तीज 24 अगस्त गुरुवार को सूर्योदय के पूर्व से प्रारंभ हो कर रात 9:16 तक रहेगी। हरितालिका तीज के पूजन का उपयुक्त समय शाम 6:30 से रात 8:18 तक का रहेगा। इस व्रत में निर्जला रह कर बेल पत्र, शमी पत्र, धतूरे का फल, केले का पत्ता, सुहाग का सामान और षोड्शोपचार पूजन सामग्री से श्री शिव-पार्वती की पूजा करनी चाहिए।
हरितालिका तीज व्रत करने से भगवान शिव करते हैं सौभाग्‍य की रक्षा
हरितालिका तीज...संकल्प शक्ति का प्रतीक और अखंड सौभाग्य की कामना का पावन व्रत है।जो कि हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को देश भर में मनाया जाता है। इस व्रत में सौभाग्यवती स्त्रियां नए लाल वस्त्र पहनकर, मेंहदी लगाकर, सोलह श्रंगार करती हैं और शुभ मुहूर्त में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करती हैं। इस पूजा में शिव-पार्वती की मूर्तियों का विधिवत पूजन किया जाता है और फिर हरितालिका तीज की कथा सुनी जाती है। माता पार्वती पर सुहाग का संपूर्ण सामान अर्पित किया जाता है। मान्यता है कि जो सभी पापों और सांसारिक तापों को हरने वाले हरितालिका व्रत को विधिपूर्वक करता है, उसके सौभाग्य की रक्षा स्वयं भगवान शिव करते हैं।


Tuesday 22 August 2017

BJP का मिशन 350,तो क्या 2019 में विपक्ष मुक्त भारत!

संदीप कुमार मिश्र: मेरा देश बदल रहा है...अच्छे दिन आने वाले हैं...सबका साथ सबका विकास... ये कुछ ऐसे नारे थे जिनकी बदौलत देश ने 2014 में इतिहास बनते देखा।संसद से लेकर सड़क तक केसरिया ही केसरिया नजर आने लगा।उम्मीद और विश्वास की आस में जनता जनार्दन ने कांग्रेस को सत्ता से उखाड़ फेंका और बीजेपी को सत्ता पर काबिज कर नरेंद्र मोदी को देश का सर्वप्रिय,सर्वमान्य नेता बना दिया।
क्या 2019 में बीजेपी विपक्ष का सफाया कर देगी ?
दरअसल एक तरफ तो प्रचंड़ बहुमत के जोर पर लगातार एक के बाद एक कड़े फैसले लेते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो दूसरी मोदी जी के साथ कदम से कदम मिलाकर चलते, बिना रुके बिना थके चुनाव दर चुनाव लड़ते -लड़वाते बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और तीसरी तरफ कोने में सिमटता जा रहा विपक्ष। ऐसे में क्या देश की राजनीति आने वाले कुछ वर्षों के लिए एक ध्रुव पर केंद्रित होने जा रही है।एक तरफ तो 2019 के लिए 350 के अपने लक्ष्य को पाने के लिए पसीना बहाती बीजेपी तो दूसरी तरफ विपक्ष खासकर कांग्रेस का ढीलाढाला रवैया...।
बीजेपी के लिए 350 का लक्ष्य हासिल करना कितना आसान?   
ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि क्या बीजेपी 2019 में विपक्ष का सफाया करने जा रही है,क्या बीजेपी का कांग्रेस मुक्त भारत का सपना साकार होने जा रहा है।
दरअसल 18 राज्यों और केंद्र में बीजेपी और उसके गठबंधन की सरकार...लोकसभा में अकेले बीजेपी के 281 सांसद...और एनडीए के कुल 339 सांसद... 2019 की रणभेदी बजने में लगभग 2 साल का वक्त और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का अलग-अगल राज्यों का 95 दिनों का तूफानी दौरा।सवाल ये है कि यदि बीजेपी के चाणक्य अमित शाह 2019 के 350 का लक्ष्य साधने में लगे हैं, तो विपक्ष की परेशानी बढ़ना स्वभाविक है।अब अगर बीजेपी के 350 के लक्ष्य के साथ आप उसके घटक दलों को जोड़ दें तो 350 प्लस कहां जाकर पहुंचेगा कह पाना कठीन है...यानि विपक्ष मुक्त भारत का बीजेपी जुमला साकार!जिसके लिए बीजेपी युद्ध स्तर पर लग गई है...।


क्या सिर्फ मोदी विरोध के एजेंडे से बनेगी विपक्ष की बात ?
यहां तक बीजेपी के नेताओं का कहना भी है कि उनमें और जनता में उत्साह है बीजेपी को लेकर....हम जरुर 2019 में मोदी जी की अगुवाई में 350 का लक्ष्य हासिल करेंगे...वहीं विपक्ष बीजेपी के इस टारगेट पर खुब कुतर्क संगत उपहास भी उड़ा रही है...लेकिन उसकी अपनी रणनीति कहीं नजर नहीं आ रही है...ऐसे में बिहार में जहां विपक्षी खेमें में सेंध लगाकर बीजेपी ने नीतीश कुमार को अपने खेमें में कर लिया तो वहीं शरद यादव अन्य विपक्ष को इकट्ठा कर अपनी अपनी भड़ास निकालते दिख रहे हैं।

कांग्रेस के युवराज ने भी कहा कि बीजेपी से लड़ने के लिए एक होना जरुरी है।जिसपर सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या सिर्फ बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने के लिए विपक्ष का एक होना आवश्यक है या फिर उनकी सोच देश को आगे बढ़ाना भी है,जो कि कहीं नजर नहीं आ रही है।क्योंकि बिना किसी ठोस और मजबूत एजेंडे के बीजेपी को 2019 में हरा पाना लगता है कि विपक्ष के लिए दूर की ढ़ोल सुहानी वाली बात साबित होगी।।


बहरहाल एक सवाल तो उठता ही है कि लोकतंत्र की बेहतरी के लिए विपक्ष का रहना नितांत आवश्यक है,लेकिन क्या विपक्ष सही दिशा में आगे बढ़ रहा है,क्योंकि विपक्ष में सर्वमान्य         कोई चेहरा नजर नहीं आता।क्या इसके लिए विपक्ष किसी अखबार में सर्वमान्य नेता के लिए इश्तिहार देगी या फिर हकिकत में आम जनमानस की बात,उनकी परेशानियां,और उनके बीच में जाकर काम करेगी।क्योंकि ये 21वीं सदी की पब्लिक है जो सब जानती है।।।

गणेश चतुर्थी विशेष :सबसे पहले गणेश जी की पूजा क्यों? जानें रोचक कथा


संदीप कुमार मिश्र:  हमारे हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है,उसके बाद समस्त देवी-देवताओं की पूजा की जाती है फिर कार्य को प्रारंभ किया जाता है।अब चाहे नए घर की पूजा हो,दुकान में पूजा हो,शादी-विवाह हो या अन्य किसी भी प्रकार के उत्सव या शुभ कार्य...हर प्रकार के कार्य को शुरु करने से पहले लंबोदर भगवान श्री गणेश की आराधना पूजा सबसे पहले की जाती है। तभी तो हम सब श्रीगणेशाय नम: कहकर या लिखकर नए कार्य का श्रीगणेश करते हैं।

गणेश चतुर्शी की शुरुआत 25 अगस्त से और समापन 5 सितंबर2017
प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी गणेशोत्सव की धूम देश भर में रहेगी.जिसकी शुरुआत 25 अगस्त से हो रही है और 5 सितंबर तक चलेगी। गणेश चतुर्थी में भगवान श्रीगणेश जी की पूजा अर्चना बड़े ही भक्ति भाव से की जाती है।

क्यों की जाती है सबसे पहले श्रीगणेश की पूजा
दरअसल सिर्फ गणेश चतुर्थी पर ही नहीं, बल्कि सभी प्रमुख तीज त्योहारों पर पूजा की शुरुआत गणेश जी की आराधना से ही होती है।इसके पीछे सबसे बड़ी मान्यता है कि गणेश जी की पूजा करने से किसी भी शुभ कार्य में किसी भी प्रकार की कोई विघ्न, बाधा नहीं आती है और कार्य सकुशल संपन्न हो जाते हैं।
क्या है भगवान गणेश की पूजा की पौराणिक कथा
एक कथा के अनुसार सभी देवताओं में इस बात को लेकर विवाद होने लगा कि सबसे पहले किसकी पूजा की जानी चाहिए,और कौन है सर्वश्रेष्ठ।सभी देवगण स्वयं को सर्वेश्रेष्ठ बताने लगे। तभी नारद जी वहां पहुंचे और पूरी स्थिति को समझकर सभी देवताओं को आदिदेव महादेव भगवान शिव की शरण में जाने को कहा।जिस संबंध में भगवान शिव ने कहा कि वो जल्द ही इस पूरे मामले को एक प्रतियोगिता के जरिए सर्वश्रेष्ठ का फैसला करेंगे।
योगीराज महादेव भगवान शिव ने प्रतियोगिता आयोजित की।जिसके अनुसार सभी देवों को अपने वाहन पर सवार होकर उन्हें ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाकर आने को कहा गया।जो भी देवता सबसे पहले चक्कर लगाकर आएगा उसकी जीत होगी और सबसे पहले उसी की पूजा होगी।
अपने वाहन में सवार होकर सभी देव निकल पड़े ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाने।जबकि गणेश जी अपने वाहन पर सवार नहीं हुए। वे ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाने के बजाए अपने माता-पिता यानि की भगवान शिवजी और माता पार्वती के चक्कर लगाने लगे।माता पिता की भगवान श्रीगणेश ने सात बार परिक्रमा करके, हाथ जोड़कर खड़े हो गए।
ऐसे में जब सभी देवता थक के चूर होकर ब्रह्माण्ड की परिक्रमा लगाकर वापस लौटे तो उन्होंने गणेशजी को वहीं खड़ा हुआ पाया जहां प्रतियोगिता प्रारंभ होने से पहले देखा था।अब बारी थी परिणाम की।जिसमें तनिक भी देर किये बीना भोलेभंडारी भगवान शिवजी ने तुरंत गणेश जी को विजयी घोषित कर दिया। जिसपर जब अन्य देवों ने वजह पूछी तो महादेव ने कहा कि, संपूर्ण ब्रह्माण्ड में माता-पिता को सबसे सर्वोच्च स्थान दिया गया है। माता-पिता की पूजा करना ही सबकुछ है।संसार में उनसे बढ़कर दूसका कोई नहीं।इस पर सभी देवों ने भगवान गणेश की बुद्धि और विवेक की सराहना की और उन्हें देवों में अग्रगण्य का खिताब मिला और गणेशजी की पूजा सबसे पहले की जाने लगी।


।।श्री गणेशाय नम:।।

गणेश चतुर्थी विशेष :भगवान श्रीगणेश को मोदक क्यों प्रिय है, जानें

SANDEEP/SAMBODHAN
संदीप कुमार मिश्र: भाद्रपद मास की चतुर्थी से लेकर चतुर्दशी तक यानी पूरे दस दिनों तक देश भर में रहती है गणेश चतुर्थी की धूम।लंबोधन भगवान गणेश की कृपा पाने के लिए हर भक्त आतुर रहता है।इस बार गणेश चतुर्थी का त्योहार 11 दिनों तक चलेगा।साल 2017 की गणेश चतुर्थी की शुरुआत 25 अगस्त से होगी।
हमारे धर्म शास्त्रों में गजानन भगवान गणेश को ज्ञान,बुद्धि, विवेक, समृद्धि,सौभाग्य और आरोग्य के देवता के रूप में सर्वमान्य रुप से पूजा जाता है।कहते हैं कि किसी भी देव की पूजा बिना प्रसाद चढ़ाए पूरी नहीं होती और सभी देवी-देवताओं का अलग अलग प्रसाद होता है।अब बात भगवान गणपति की करें तो लंबोदर भगवान गणेश जी को मोदक अति प्रिय है।
SANDEEP/SAMBODHAN
क्या आप जानते हैं मोदक क्यों है खास ? 
दरअसल हमारे धर्म शास्त्रों में मोदक को जिस प्रकार से पारिभाषित किया गया है उसका अर्थ है कि- मोद यानी आनन्द देने वाला,कहने का भाव है कि  जिससे आनंद प्राप्त होता है। गहराई से इसके भाव को समझें तो तन के लिए आहार हो या मन मस्तिष्क के विचार हों,उनका सात्विक और शुद्ध होना बेहद जरुरी है, तभी तो मनुष्य जीवन का वास्तविक आनंद प्राप्त कर सकता है।

मोदक को ज्ञान और बुद्धि का प्रतीक माना जाता है, इसलिए ज्ञान बुद्धि के दाता...देवताओं में अग्रगण्य भगवान श्रीगणेश को मोदक अतिप्रिय हैं।कहते हैं कि जिस प्रकार से मोदक बाह्य रुप से तो कठोर होता है लेकिन अन्दर से नरम और मिठास से भरा होता है,ठीक उसी प्रकार घर परिवार के मुखिया को उपर से सख्त होकर संस्कार और नियमों का परिवार जन से पालन करवाना चाहिए लेकिन अंदर से परिवार के प्रति नरम रहकर सभी का पालन पोषण करना चाहिए...जिससे कि भगवान गणेश की कृपा परिवार और कुटुंब पर बनी रहे और परिवार में सुख संबृद्धि बनी रहे।
धर्म शास्त्रों में मोदक और गणेश जी के संबंध में तो यहां तक कहा गया है कि जो भी भक्त श्रद्धा और प्रेम से भगवान गणेश जी को हजार मोदक का भोग लगाता है,उस भक्त की सभी मनोकामनाएं,इच्छाएं भगवान श्रीगणेश अवश्य पूरी करते हैं।
SANDEEP/SAMBODHAN

।।जय श्री गणेश।।