Wednesday, 9 August 2017

9 अगस्त : अगस्त क्रांति की 75वीं सालगिरह

sandeep kumar mishra
संदीप कुमांर मिश्र: देश आज अगस्त क्रांति की 75वीं सालगिरह मना रहा हैं...क्रांति की ये अलख देश को गुलामी से आजादी दिलाने के लिए थी।लेकिन क्या स्वतंत्रता आंदोलन के प्रेरणा-प्रतीकों,प्रसंगों और विभूतियों का उत्सव मना कर हम आजादी के सही अर्थों को समझ पाए हैं?

अगस्त क्रांति की शुरुआत और मायने
9 अगस्त का दिन भारत की आजादी के लिए इतिहास का पहला गौरवपूर्ण दिन था,जब एक साधारण से दिखने वाले असाधारण से व्यक्ति ने ब्रिटिश साम्राज्य की नीव हिला कर रख दी..और अंग्रेजों से कहा कि अब आपके जाने का वक्त आ गया है....अंग्रेजों भारत छोड़ो....अंग्रोंजों को गहरी चोट देने वाले ये शब्द से मोहन से महात्मा बने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के....।इतिहास में वो दिन अगस्त क्रांति को नाम से जाना जाना लगा...जब जन-जन का मन स्वतंत्रता की अंगड़ाई लेने लगा...और गुलामी की बेड़ियों से भारत माता को आजाद कराने आवाज हर तरफ से उठने लगी।
खुली हवा में सांस लेते आज यकिनन बहुत अच्छा लगता है,लेकिन इस आजादी के लिए देश के अनगिनत वीर सपूतों ने अपना जीवन न्यौछावर कर दिया था। एक समय था जब भारत में रहने वाले हर हिन्दुस्तानी की सांसो पर सिर्फ ब्रिटिश साम्राज्य का कब्जा हुआ करता था आतंक और गुलामी में फंसे छोटे-बड़े तबके को जब यह अहसास हुआ कि चुप बैठने से कुछ भी हासिल होने वाला नहीं है। तब देश में आजादी के लिए हर तरफ से आवाजें उठने लगी।जिसकी अगुवाई राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने की।बापू ने न केवल देश के हर तबके को समायोजित किया बल्कि सभी को एक साथ संगठित होकर आगे बढ़ने को प्रेरित किया।
sandeep kumar mishra
4 जुलाई 1942 को राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी ने एक प्रस्ताव पारित किया।जिसका उद्धेश्य था कि अंग्रेजों भारत छोड़ो।इस प्रस्ताव में ये भी कहा गया कि ब्रिटिश हुकूमत अगर अपने देश वापस नहीं जाती है तो उनके खिलाफ पार्टी देश भर में आन्दोलन शुरू करेगी।

लेकिन कांग्रेस के इस प्रस्ताव को ब्रिटिश सरकार ने नज़र अंदाज कर दिया। जिसके बाद बाद कांग्रेस ने अन्य सभी दलों से इस आन्दोलन में साथ देने का आह्वान किया। लेकिन सफलता नहीं मिली और फिर 9 अगस्त 1942 को महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आन्दोलन शुरू किया।जिसका भरपूर असर ब्रिटिश शासन पर हुआ।और ब्रिटिश डरने लगे।

मुंबई के एक पार्क में शुरू हुए इस आन्दोलन के खौफ से ब्रिटिश साम्राज्य की चूलें हिल गई।तभी से 9 अगस्त 1942 का वो दिन अगस्त क्रांती कै नाम से जाना जाने लगा।

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