संदीप कुमार मिश्र: डाक्टरी....एक ऐसा पेशा...जो किसी मंदिर के उस
दरबार से कम नहीं जहां मन की सभी मुरादें पूरी होने की आस में हर जाता है।ऐसे ही
अस्पताल में डाक्टर,जिन्हें भगवान का दूसरा रुप माना जाता है।एक बार मरीज अस्पताल
में गया तो हम आस लगा बैठते हैं कि अब तो ‘डाक्टर साहब जरुर
ठीक कर देंगे’...और ठीक होते भी हैं।
लेकिन तकलीफ तब होती
है जब डाक्टरी के इस पाक और पवित्र पेशे को को कुछ डाक्टरों ने सिर्फ व्यापार का
माध्यम बना दिया।एक बार इन्वेस्ट कर दो,फिर भविष्य में तो लूटना ही लूटना है।अगर
ऐसा नहीं होता तो शायद गोरखपुर के मेडीकल कालेज में मासुम बच्चों की लगातार मौंते
ना होती।
गोरखपुर या यूं कहें
कि पूरे पूर्वांचल में डाक्टर होने के मतलब है कि पैसा छापने की मशीन बनना।एक से
एक बड़े नर्सिंग होम..बड़ी से बड़ी व्यवस्थाए...हर गली, मोहल्ले,नुक्कड़ पर अनगिनत
नर्सिंग होम...हर एक नर्सिंग होम में आशा और विश्वास लिए मरीज....।इतना ही नहीं
डाक्टर की जुबान से जो रुपये की बात एक बार निकल गयी तो निकल गयी...आप चाहे जहां
से भी लाकर दो...देना पड़ेगा...चाहे खेत बेच दो,जमीन गिरवी रख दो या फिर खुद को ही
बेचना क्यों ना पड़े...आप अपने मरीज ठीक होते देखना चाहते हैं तो नोटों की गड्डी लाईए।
इंसेफलाइटिस के
मरीजों को काफी हद तक बचाया जा सकता था,किसी के कलेजे को टुकड़े को उससे जुदा होने
से रोकने के लिए सफल प्रयास किये जा सकते थे...लेकिन इस घटिया डाक्टरी, और रुपये
पैसे की कमीनी चाह ने डाक्टरों को लोभी,लालची और हत्यारा बना दिया।जिसका सबसे बड़ा
कारण गोरखपुर में प्राइवेट प्रैक्टिस है।सरकारी डाक्टर सरकारी अस्पताल में कम और
अपने प्राइवेट क्लिनीक में ज्यादा समय देते हैं,सरकारी अस्पताल में भी जो मरीज
इलाज के लिए जाते हैं उन्हें प्राइवेट क्लीनिक में आकर मिलने के लिए कहते हैं।
यकिन मानिए साब एक
बार गोरखपुर के सभी सरकारी अस्पतालों के डाक्टरों को सस्पेंड कर दिया जाए और कुछ
दिनों के लिए जेल में ठेल दिया जाए,सच्चाई सामने आ जाएगी।जिसके लिए शासन और
प्रशासन दोनो को कहीं ना कहीं मुश्तैदी दिखानी पड़ेगी।
आस और उम्मीदों की
सरकार बीजेपी और खासकर सीएम योगी आदित्यनाथ जी..जिनकी नाक के नीचे ही ये नीच हरकत
और जघन्य अपराध हो रहे हैं,ऐसी हत्याएं हो रही हैं,जिनके लिए माफी की कहीं कोई गुंजाइश
ही नहीं है।
यकिनन योगी जी ने
गोरखनाथ चिकित्सालय खुलवाकर सस्ती सेवाएं मुहैया करवा रहे हैं,लेकिन पूर्वांचल में
आबादी के बढ़ते बोझ की सेवा के लिए जरुरी है सभी सरकारी अस्पताल और डाक्टर पूरी
इमानदारी से अपनी सेवाएं प्रदान करें और आम आदमी के उस भरोसे को बनाएं रखें जहां
डा. को भगवान कहा जाता है.....।
अगले लेख में आपको
पूर्वांचल के अस्पताओं दवा माफियाओं और डायग्नोसिस सेंटरों के काला कारोबार को कुछ
आंकड़ों के साथ बताएंगे...बस थोड़ा इंतजार करिए और संबोधन की इस मुहिम को आगे
बढ़ाईए...जिससे की देश के किसी भी हिस्से में भ्रस्टाचार में लिप्त किसी भी डाक्टर
का शिकार कोई मासूम ना हो...क्योंकि हर जान जरुरी है...।
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