संदीप कुमार मिश्र: मेरा
देश बदल रहा है...अच्छे दिन आने वाले हैं...सबका साथ सबका विकास... ये कुछ ऐसे
नारे थे जिनकी बदौलत देश ने 2014 में इतिहास बनते देखा।संसद से लेकर सड़क तक
केसरिया ही केसरिया नजर आने लगा।उम्मीद और विश्वास की आस में जनता जनार्दन ने कांग्रेस
को सत्ता से उखाड़ फेंका और बीजेपी को सत्ता पर काबिज कर नरेंद्र मोदी को देश का
सर्वप्रिय,सर्वमान्य नेता बना दिया।
क्या 2019 में बीजेपी विपक्ष का सफाया कर देगी ?
दरअसल
एक तरफ तो प्रचंड़ बहुमत के जोर पर लगातार एक के
बाद एक कड़े फैसले लेते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो दूसरी मोदी जी के साथ कदम से
कदम मिलाकर चलते, बिना रुके बिना थके चुनाव दर चुनाव लड़ते -लड़वाते बीजेपी
अध्यक्ष अमित शाह और तीसरी तरफ कोने में सिमटता जा रहा विपक्ष। ऐसे में क्या देश
की राजनीति आने वाले कुछ वर्षों के लिए एक ध्रुव पर केंद्रित होने जा रही है।एक
तरफ तो 2019 के लिए 350 के अपने लक्ष्य को पाने के लिए पसीना बहाती बीजेपी तो
दूसरी तरफ विपक्ष खासकर कांग्रेस का ढीलाढाला रवैया...।
बीजेपी के लिए 350 का लक्ष्य हासिल करना कितना
आसान?
ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि क्या बीजेपी 2019 में विपक्ष का सफाया
करने जा रही है,क्या बीजेपी का कांग्रेस मुक्त भारत का सपना साकार होने जा रहा है।
दरअसल 18 राज्यों और केंद्र में बीजेपी और उसके गठबंधन की
सरकार...लोकसभा में अकेले बीजेपी के 281 सांसद...और एनडीए के कुल 339 सांसद...
2019 की रणभेदी बजने में लगभग 2 साल का वक्त और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का अलग-अगल
राज्यों का 95 दिनों का तूफानी दौरा।सवाल ये है कि यदि बीजेपी के चाणक्य अमित शाह
2019 के 350 का लक्ष्य साधने में लगे हैं, तो विपक्ष की परेशानी बढ़ना स्वभाविक
है।अब अगर बीजेपी के 350 के लक्ष्य के साथ आप उसके घटक दलों को जोड़ दें तो 350
प्लस कहां जाकर पहुंचेगा कह पाना कठीन है...यानि विपक्ष मुक्त भारत का बीजेपी जुमला
साकार!जिसके लिए बीजेपी युद्ध स्तर पर लग गई है...।
क्या सिर्फ मोदी विरोध के एजेंडे से
बनेगी विपक्ष की बात ?
यहां तक बीजेपी के नेताओं का कहना भी है कि उनमें और जनता में उत्साह
है बीजेपी को लेकर....हम जरुर 2019 में मोदी जी की अगुवाई में 350 का लक्ष्य हासिल
करेंगे...वहीं विपक्ष बीजेपी के इस टारगेट पर खुब कुतर्क संगत उपहास भी उड़ा रही
है...लेकिन उसकी अपनी रणनीति कहीं नजर नहीं आ रही है...ऐसे में बिहार में जहां
विपक्षी खेमें में सेंध लगाकर बीजेपी ने नीतीश कुमार को अपने खेमें में कर लिया तो
वहीं शरद यादव अन्य विपक्ष को इकट्ठा कर अपनी अपनी भड़ास निकालते दिख रहे हैं।
कांग्रेस के युवराज ने भी कहा कि बीजेपी से लड़ने के लिए एक होना
जरुरी है।जिसपर सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या सिर्फ बीजेपी को सत्ता से बेदखल
करने के लिए विपक्ष का एक होना आवश्यक है या फिर उनकी सोच देश को आगे बढ़ाना भी
है,जो कि कहीं नजर नहीं आ रही है।क्योंकि बिना किसी ठोस और मजबूत एजेंडे के बीजेपी
को 2019 में हरा पाना लगता है कि विपक्ष के लिए दूर की ढ़ोल सुहानी वाली बात साबित
होगी।।
बहरहाल एक सवाल तो उठता ही है कि लोकतंत्र की बेहतरी के लिए विपक्ष का
रहना नितांत आवश्यक है,लेकिन क्या विपक्ष सही दिशा में आगे बढ़ रहा है,क्योंकि
विपक्ष में सर्वमान्य कोई
चेहरा नजर नहीं आता।क्या इसके लिए विपक्ष किसी अखबार में सर्वमान्य नेता के लिए
इश्तिहार देगी या फिर हकिकत में आम जनमानस की बात,उनकी परेशानियां,और उनके बीच में
जाकर काम करेगी।क्योंकि ये 21वीं सदी की पब्लिक है जो सब जानती है।।।
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