Saturday 29 January 2022

Basant Panchami 2022 Date, Puja Muhurat : कब है 2022 में बसंत पंचमी, क्या है पर्व की तिथि, पूजा मुहूर्त और महत्व

 


Basant Panchami 2022: सनातन हिन्दू संस्कृति में शीत ऋतु के बाद मधुमास यानी बसंत ऋतु का आगमन होता है। महाकवियों की लेखनी तो कहती है कि यह ऋतु बड़ी मस्त,बड़ी मनभावन होती है। क्योंकि शीत काल में प्रकृति का वो सबकुछ जो कड़क ठंड से नष्ट या सुशुप्तावस्था में हो गया था वो पुनः नवीन रूप में हर बार से और सुन्दर शक्तिवान और स्फूर्तिमय हो चारो दिशाओं के वातावरण को आच्छादित कर देता है अर्थात हमारे चारों ओर प्रकृति के नज़ारों में खुला आकाश और वृक्ष – पेड़ – पौधे लताएँ,बाग़- बगीचा ही दृश्यमान होतें है।

दरअसल माघ माह के शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्‍योहार बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन विद्या और बुद्धि की देवी मां सरस्वती की आराधना,उपासना की जाती है। इसे श्री पंचमीऋषि पंचमीमदनोत्सववगीश्वरी जयंती और सरस्वती पूजा उत्सव के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती का जन्म हुआ था। ऐसी मान्यता है कि इस दिन विधि विधान से मां सरस्वती की पूजा अर्चना करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है और जीवन में उन्नति,तरक्की के नए द्वार खुल जाते हैं तथा ज्ञान की प्राप्ति व बुद्धि का विकास होता है।

विद्वानों का ऐसा मत है कि जिन जातकों के भाग्य में शिक्षा और बुद्धि का योग नहीं बन रहा हो या शिक्षा के मार्ग में बाधाएं उत्पन्न हो रही हैंउन्हें इस दिन वीणा वादिनी मां सरस्वती की पूजा करना चाहिए। बसंत पंचमी से बसंत ऋतु की शुरुआत हो जाती है।

जाने कब है बसंत पंचमी 2022

हिंदू धर्म पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पावन पर्व मनाया जाता है।

बसंत पंचमी तिथि मुहूर्त समय

पंचमी तिथि 05 फरवरी 2022

सुबह 3 बजकर 47 मिनट से प्रारंभ

06 फरवरी को 03:46 AM पर समाप्त

पूजा का शुभ मुहुर्त 05 फरवरी

प्रात: 07: 07 मिनट से दोपहर 12:35 मिनट तक

बसंत पंचमी सरस्वती पूजा मंत्र

।।एमम्बितमें नदीतमे देवीतमे सरस्वति। अप्रशस्ता इवस्मसि प्रशस्तिमम्ब नस्कृधि ’।।

बसंत पंचमी पर क्या है पीले रंग का महत्व

बसंत पंचमी के दिन पीले रंग का खास महत्व है। वंसंत ऋतु के आरंभ से सरसो के खेत खिलखिला उठते हैं और पूरी धरती पीले रंग में रंगमय हो जाती है। साथ ही सूर्य के उत्तरायण के कारण भी इस दिन पीले रंग का महत्व बढ़ जाता है।

बसंत पंचमी का महत्व

सनातन हिंदू धर्म में बसंत पंचमी का विशेष महत्व है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन विद्या और ज्ञान की देवी मां सरस्वती का जन्म हुआ था। ऋतुओं के संधिकाल में ज्ञान और विज्ञान दोनों का वरदान प्राप्त करने के लिए आज के दिन मां सरस्वती की पूजा आराधना करनी चाहिए साथ ही बृहस्पति के दोष से मुक्त होने के लिए भी यह दिन बेहद खास होता है।

आपको बता दें शादी विवाहमुंडनगृह प्रवेश आदि शुभ कार्यों के लिए बसंत पंचमी का दिन बेहद खास होता है। इस दिन पीलेबसंती या सफेद वस्त्र धारण करेंकाले या लाल वस्त्र भूलकर भी ना पहनें। ऐसा कहा जाता है कि काले या लाल वस्त्र धारण करने से बृहस्पति और शुक्र कमजोर होता है।

Mauni Amavasya 2022: कब है मौनी अमावस्या ? क्या है व्रत विधि,नियम और महत्व, इस दिन क्या करना चाहिए ?

 


Mauni Amavasya 2022: सनातन हिन्दू धर्म संस्कृति में अमावस्या और पूर्णिमा की तिथियों का विशेष महत्व बताया गया है। इस विशेष दिन पर गंगा स्नान, पूजा, जप और दान का विधान धर्म शास्त्रों में बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि अमावस्या और पूर्णिमा के दिन पूजा, जप, तप और दान करने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा से व्यक्ति समस्त पाप बंधन से मुक्त हो जाता है साथ ही पितृजन भी प्रसन्न होकर व्यक्ति को सुख, समृद्धि और दीर्घायु होने का आशीर्वाद देते हैं।इसीलिए पूर्णिमा और अमावस्या के दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान, पूजा-पाठ करते हैं।

आपको बता दें कि इस वर्ष मौनी अमावस्या 1 फरवरी 2022, दिन मंगलवार को है। माघ महीने में पड़ने वाली अमावस्या को माघी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है।

जाने मौनी अमावस्या के दिन क्या करना चाहिए दान

ज्योतिर्विदों के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन तेल, तिल, सूखी लकड़ी, कपड़े, गर्म वस्त्र, कंबल और जूते दान करने का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि जिन जातकों की कुंडली में चंद्रमा नीच का होता है, उन्हें इस दिन दूध, चावल, खीर, मिश्री और बताशा दान करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं।

क्या है मौनी अमावस्या का महत्व

धर्म शास्त्रों के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन मौन धारण करने से साधक को विशेष ऊर्जा प्राप्त होती है। मौनी अमावस्या पर गंगा नदी में स्नान करने से दैहिक (शारीरिक), भौतिक (अनजाने में किया गया पाप), दैविक (ग्रहों, गोचरों का दुर्योग) तीनों प्रकार पापों से मुक्ति मिलती है। कहा जाता है कि इस दिन सभी देवी-देवता गंगा में वास करते हैं, जो साधकों को सभी पापों से मुक्ति देते हैं।

मौनी अमावस्या व्रत नियम

1.  सनातन धर्म प्रेमी साधकों को मौनी अमावस्या के दिन सुबह नदी, सरोवर या पवित्र कुंड में स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद भगवान भास्कर को अर्घ्य देना चाहिए ।

2. मौनी अमावस्या के दिन व्रत रखकर जहां तक संभव हो मौन रहना चाहिए। गरीब और भूखे व्यक्ति को आज के दिन भोजन अवश्य कराएं।

3. मौनी अमावस्या के दिन अनाज, वस्त्र, तिल, आंवला, कंबल, पलंग, घी और गौ शाला में गाय के लिए भोजन का दान करें।

मौनी अमावस्या के दिन गंगा नदी का जल बन जाता है अमृत

मौनी अमावस्या को लेकर धार्मिक मान्यता है कि इस तिथि पर गंगा नदी का जल अमृत के समान हो जाता है। इस दिन गंगा में स्नान करने से सभी पाप मिट जाते हैं। साथ ही, निरोगी काया प्राप्त होती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।जय माँ गंगे,हर हर गंगे।