Basant Panchami 2022: सनातन
हिन्दू संस्कृति में शीत ऋतु के बाद मधुमास यानी बसंत ऋतु का आगमन होता है।
महाकवियों की लेखनी तो कहती है कि यह ऋतु बड़ी मस्त,बड़ी
मनभावन होती है। क्योंकि शीत काल में प्रकृति का वो सबकुछ जो कड़क ठंड से नष्ट या
सुशुप्तावस्था में हो गया था वो पुनः नवीन रूप में हर बार से और सुन्दर शक्तिवान
और स्फूर्तिमय हो चारो दिशाओं के वातावरण को आच्छादित कर देता है अर्थात हमारे
चारों ओर प्रकृति के नज़ारों में खुला आकाश और वृक्ष – पेड़ – पौधे लताएँ,बाग़-
बगीचा ही दृश्यमान होतें है।
दरअसल माघ माह के
शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्योहार बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता
है। इस दिन विद्या और बुद्धि की देवी मां सरस्वती की आराधना,उपासना की
जाती है। इसे श्री पंचमी, ऋषि पंचमी, मदनोत्सव, वगीश्वरी जयंती और सरस्वती पूजा
उत्सव के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन ज्ञान और
कला की देवी मां सरस्वती का जन्म हुआ था। ऐसी मान्यता है कि इस दिन विधि विधान से
मां सरस्वती की पूजा अर्चना करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है और जीवन में
उन्नति,तरक्की के नए द्वार खुल जाते हैं तथा ज्ञान की
प्राप्ति व बुद्धि का विकास होता है।
विद्वानों का ऐसा मत है कि
जिन जातकों के भाग्य में शिक्षा और बुद्धि का योग नहीं बन रहा हो या शिक्षा के
मार्ग में बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं, उन्हें इस दिन वीणा
वादिनी मां सरस्वती की पूजा करना चाहिए। बसंत पंचमी से बसंत ऋतु की शुरुआत हो जाती
है।
जाने कब है बसंत पंचमी 2022
हिंदू धर्म पंचांग के
अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पावन पर्व मनाया
जाता है।
बसंत पंचमी तिथि मुहूर्त समय
पंचमी तिथि 05 फरवरी 2022
सुबह 3 बजकर 47 मिनट से प्रारंभ
06 फरवरी को 03:46 AM पर समाप्त
पूजा का शुभ मुहुर्त 05 फरवरी
प्रात: 07: 07 मिनट से दोपहर 12:35 मिनट तक
बसंत पंचमी सरस्वती पूजा मंत्र
।।‘एमम्बितमें नदीतमे देवीतमे सरस्वति।
अप्रशस्ता इवस्मसि प्रशस्तिमम्ब नस्कृधि ’।।
बसंत पंचमी पर क्या है पीले
रंग का महत्व
बसंत पंचमी के दिन पीले
रंग का खास महत्व है। वंसंत ऋतु के आरंभ से सरसो के खेत खिलखिला उठते हैं और पूरी
धरती पीले रंग में रंगमय हो जाती है। साथ ही सूर्य के उत्तरायण के कारण भी इस दिन
पीले रंग का महत्व बढ़ जाता है।
बसंत पंचमी का महत्व
सनातन हिंदू धर्म में बसंत
पंचमी का विशेष महत्व है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन विद्या और ज्ञान की देवी
मां सरस्वती का जन्म हुआ था। ऋतुओं के संधिकाल में ज्ञान और विज्ञान दोनों का
वरदान प्राप्त करने के लिए आज के दिन मां सरस्वती की पूजा आराधना करनी चाहिए साथ
ही बृहस्पति के दोष से मुक्त होने के लिए भी यह दिन बेहद खास होता है।
आपको बता दें शादी विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि शुभ कार्यों के लिए बसंत पंचमी का दिन बेहद खास होता है।
इस दिन पीले, बसंती या सफेद वस्त्र धारण करें, काले या लाल वस्त्र भूलकर भी ना पहनें। ऐसा कहा जाता है कि काले या लाल
वस्त्र धारण करने से बृहस्पति और शुक्र कमजोर होता है।
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