Wednesday, 11 May 2022

 

(फोटो सौजन्य गुगल)

Vat Savitri Vrat 2022: जाने कब है वट सावित्री व्रत ? क्या है, शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजन विधि

Vat Savitri Vrat 2022 Date: सनातन हिन्दू धर्म में व्रत त्यार का विशेष महत्व होता है।सौभाग्यशाली महिलाओं का अपने पति की लंबी आयु के लिए रखा जाने वाला एक अतिविशेष व्रत है वट सावित्री व्रत। जो कि ज्येष्ठ मास में पड़ने वाला व्रत है । इस दिन सनातनी महिलाएं व्रत रखकर वट वृक्ष के पास जाकर विधि विधान से पूजा अर्चना करती हैं। साथ ही वट वृक्ष की पूर्ण परिक्रमा करती हैं। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि, ऐसा करने से पति परमेश्वर के जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और सुख-समृद्धि,आरोग्य के साथ दीर्धायू की प्राप्ति होती है।

जाने वट सावित्री व्रत की तिथि-

वट सावित्री व्रत 30 मई 2022, दिन सोमवार को रखा जाएगा।

अमावस्या तिथि 29 मई को दोपहर 02 बजकर 55 मिनट से प्रारंभ होगी

समापन-30 मई को शाम 05 बजे तक ।

वट सावित्री व्रत का महत्व-

धर्म शास्त्रों के अनुसार, वट वृक्ष के नीचे बैठकर ही सावित्री ने अपने पति सत्यवान को दोबारा जीवित कर लिया था। वहीं दूसरी कथा में ऐसा वर्णन मिलता है कि मार्कण्डेय ऋषि को भगवान शिव के वरदान से वट वृक्ष के पत्ते में पैर का अंगूठा चूसते हुए बाल मुकुंद के दर्शन हुए थे, तभी से वट वृक्ष की पूजा की जाती है। वट वृक्ष की पूजा से घर में सुख-शांति, धनलक्ष्मी का भी वास होता है।

वट सावित्री व्रत की पूजन सामग्री-

वट सावित्री व्रत की पूजन सामग्री में लाल कलावा, सुहाग का समान, कच्चा सूत, चना (भिगोया हुआ), बरगद का फल, सावित्री-सत्यवान की मूर्तियां, धूप, दीप, घी, बांस का पंखा, जल से भरा कलश आदि जरुरी होता है।

वट सावित्री व्रत की पूजा विधि-

वट सावित्री व्रत के दिन  प्रातःकाल घर को पवित्र करते हुए नित्य कर्म से निवृत होकर स्नान आदि करें। इसके बाद पवित्र जल का पूरे घर में छिड़काव करें।बांस की टोकरी में सप्त धान्य भरकर ब्रह्मा की मूर्ति की स्थापना करें।ब्रह्मा के वाम पार्श्व में सावित्री की मूर्ति स्थापित करें।इसी प्रकार दूसरी टोकरी में सत्यवान तथा सावित्री की मूर्तियों की स्थापना करें। इन टोकरियों को वट वृक्ष के नीचे ले जाकर रखें। इसके बाद ब्रह्मा तथा सावित्री का पूजन करें।अब सावित्री और सत्यवान की पूजा करते हुए बड़ की जड़ में पानी दें।पूजा में जल, मौली, रोली, कच्चा सूत, भिगोया हुआ चना, फूल तथा धूप का प्रयोग करें।जल से वटवृक्ष को सींचकर उसके तने के चारों ओर कच्चा धागा लपेटकर तीन बार परिक्रमा करें।बड़ के पत्तों के गहने पहनकर वट सावित्री की कथा सुनें।भीगे हुए चनों का बायना निकालकर, नकद रुपए रखकर अपनी सास के पैर छूकर उनका आशीष प्राप्त करें।यदि सास वहां न हो तो बायना बनाकर उन तक पहुंचाएं।पूजा समाप्ति पर ब्राह्मणों को वस्त्र तथा फल आदि वस्तुएं बांस के पात्र में रखकर दान करें।इस व्रत में सावित्री-सत्यवान की पुण्य कथा का श्रवण करना न भूलें। यह कथा पूजा करते समय दूसरों को भी सुनाएं।

।।आप सभी को वट सावित्री व्रत की हार्दिक शुभकामनाएं व बधाई।।

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