अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं,दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं,रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥3॥
भावार्थ : अतुल बल के धाम, सोने के पर्वत (सुमेरु) के समान कान्तियुक्त शरीर वाले, दैत्य रूपी वन (को
ध्वंस करने) के लिए अग्नि रूप, ज्ञानियों में अग्रगण्य, संपूर्ण गुणों के निधान, वानरों के स्वामी, श्री रघुनाथजी के प्रिय भक्त पवनपुत्र श्री हनुमान्जी को मैं प्रणाम करता
हूँ॥3॥
संदीप कुमार मिश्र: भगवान राम जी को
प्रिय हनुमान जी और हनुमान जी को प्रिय सुंदरकांड।ऐसे तो श्रीरामचरितमानस के हर
कांड में प्रभु श्रीराम जी की महिमा का वर्णन है,लेकिन मानस के सभी कांडों में
सुंदरकांड को मुख्य अध्याय या कांड माना जाता है।जगत के कल्याण के लिए,जनमानस के
उद्धार के लिए सबसे सरल और सुलभ उपाय है सुंदरकांड का पाठ।
जाने कैसे--?
दरअसल सुंदरकांड में मुख्य
चर्चा या विषय माता सीता और हनुमान जी महाराज से जुड़ी हुई है।हिन्दू धर्म
शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि रावण ने जिस अशोक वाटिका में माता सीता को रखा था
था वो सुंदर पर्वत पर ही था। इसी सुंदर पर्वत पर बनी इस खूबसूरत वाटिका में हनुमंत
लाला जी महाराज और माता जानकी की मुलाकात हुई थी।यहीं पर माता सीता की हनुमान जी
से भेंट हुई,जिसकी चर्चा सुंदरकांड में की गई।
ऐसे तो रामचरितमानस पूर्णरुपेण भगवान
राम की महिमा पर आधारित है, लेकिन सुंदर कांड का सीधा संबंध हनुमान जी के ओज,तेज,ज्ञान,पराक्रम,बुद्धिमत्ता
से है।इसलिए हनुमान जी महाराज की कृपा पाने के लिए सुंदरकांड का पाठ विशेष फलदायी
है।सुंदरकांड के पाठ से सभी प्रकार के ग्रह दोष से इंसान मुक्त हो जाता है और नित्य
सुंदरकांड का भक्ति भाव से,श्रद्धापूर्वक पाठ करने से मनुष्य की समस्त मनोकामना पूर्ण
हो जाती है ।
सुंदरकांड का पाठ करने में रखें विशेष ध्यान
Ø ऐसे तो हनुमान जी सबसे सरल और सुलभ देव हैं।लेकिन सुंदरकांड का पाठ स्वच्छता
और पवित्रता से करना चाहिए।
Ø सुंदकांड का पाठ प्रात: 4 बजे या सायं 4 बजे के बाद करना चाहिए।दोपहर में पाठ ना करें।
Ø सुंदरकांड का पाठ प्रारंभ करने से पहले एक लकड़ी की चौकी पर लाल आसन बिछाकर
हनुमान जी की फोटो या मुर्ति स्थापित करें।धी का दीया जलाएं और भोग लगाने के लिए
गुड-चना,फल और मिष्ठान हनुमान जी महाराज को चढ़ाएं।
Ø सुंदरकांड का पाठ प्रारंभ करने के बाद बीच में बोले नहीं,और ना ही पाठ समाप्त
करने से पहले उठें।
Ø पाठ संपन्न करने के बाद प्रभु श्रीराम का ध्यान अवश्य करें। जब सुंदरकांड
समाप्त हो जाए, तो भगवान को भोग लगाकर, आरती करें और उनकी विदाई भी करें।
इस प्रकार से करें विदाई
कथा विसर्जन होत है, सुनो वीर हनुमान,
जो जन जंह से आए हैं,
ते तह करो पयान।
श्रोता सब आश्रम गए, शंभू गए कैलाश।
रामायण मम हृदय मह, सदा करहु तुम वास।
रामायण जसु पावन, गावहिं सुनहिं जे लोग।
राम भगति दृढ़ पावहिं,
बिन विराग जपयोग।।
जब भी आप सुंदरकांड का पाठ करें सात्विक
और शाकाहारी रहकर बह्मचर्य का पालन करें।
सुंदरकांड पाठ से विशेष लाभ
Ø इस कलियुग सुंदरकांड का पाठ सभी प्रकार की परेशानियों और बाधाओं से मुक्त करता
है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिसकी कुंडली में मंगल नीच का है,तमाम पाप ग्रह उसे
परेशान कर रहे हैं।मानसिक और शारीरिक पीड़ा को सुंदरकांड का पाठ दूर कर देता है।
Ø सुंदरकांड का पाठ करने से विद्यार्थीयो को विद्या प्राप्त होती है और जिसपर शनी
की साढ़े या ढैय्या हो वो दूर हो जाता है। मन को शांति और सुकून देता है सुंदरकांड
का पाठ।
Ø गृहक्लेश और घर का वातावरण शांतिदायक बनाए रखने के लिए,घर में से नकारात्मकता
भगाने के लिए सुंदरकांड का पाठ बेहद जरुरी है।
Ø सुंदरकांड के पाठ से बुरे सपने, रात को अनावश्यक डर,भूत-प्रेत की
छाया, कर्ज से छुटकारा, मुकदमेबाजी से राहत के साथ समस्त कार्यों मे विजय की
प्राप्ती होती है।
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