Monday 10 April 2017

जानें शिव जी की कैसे करें पूजा जिससे दूर हो ग्रह बाधा

शिव जी की पूजा से दूर होगी ग्रह बाधा /ग्रह बाधा दूर करने के लिए करें शिव की पूजा
महादेव,आदिदेव शिव की आराधना दूर करेगी आपकी सभी ग्रह बाधाएं...9 ग्रहों की की शांति के लिए जानें कैसे करनी चाहिए शिव जी की पूजा-
हमारे धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि श्रावण मास में शिव जी की पूजा करने से हर प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिल जाती हैं। महादेव शिव सर्व समर्थ देव हैं। वे मनुष्य के समस्त पापों का क्षय करके मुक्ति दिलाते हैं। इनकी पूजा से ग्रह बाधा भी दूर होती है।
सूर्य से संबंधित बाधा दूर करने के लिए विधिवत या पंचोपचार के बाद लाल आक के पुष्प एवं पत्तों से शिव की पूजा करनी चाहिए।
चंद्रमा से किसी भी प्रकार की परेशानी हो तो प्रत्येक सोमवार शिवलिंग पर गाय का दूध अर्पित करें। साथ ही सोमवार का व्रत भी करें।
मंगल ग्रह से संबंधित बाधाओं के निवारण के लिए गिलोय की जड़ी-बूटी के रस से शिव जी का अभिषेक करना लाभप्रद रहेगा
बुध से संबंधित परेशानी दूर करने के लिए विधारा की जड़ी के रस से शिव जी का अभिषेक करना चाहिए।
बृहस्पति देव करें परेशान तो प्रत्येक बृहस्पतिवार को हल्दी मिश्रित दूध शिवलिंग पर अर्पित करना चाहिए।
यदि आप शुक्र ग्रह को अनुकूल बनाना चाहते हैं, तो पंचामृत एवं घृत से शिवलिंग का अभिषेक करें।
शनि देव पहुंचाएं कष्ट तो गन्ने के रस एवं छाछ से शिवलिंग का अभिषेक करें।
राहु-केतु से मुक्ति के लिए कुश और दूर्वा को जल में मिलाकर शिव का अभिषेक करने से लाभ होगा।

Saturday 8 April 2017

ईश्वर की साधना का सर्वोत्तम और सुगम मार्ग क्या है...?

संदीप कुमार मिश्र- भजन-किर्तन भक्ति का सर्वोत्तम और सुगम मार्ग है,जिससे परम पिता परमात्मा की भक्ति में मन सहज ही रम जाता है और मनुष्य को होती है आनंद की एक ऐसी अनुभुति जिससे मन मस्तिष्क प्रफुल्लित हो उठता है।हिन्दू धर्म शास्त्रों में भक्ति के अनेकानेक मार्ग बताए गए हैं।जिसमें कथा,सत्संग,भजन,किर्तन प्रमुख हैं।प्रभु का नाम संकिर्तन करने मनुष्य भवसागर से पार पा हो जाता है।
आस्था और भक्ति के परिपूर्ण देश है भारत।ऐसे में प्रश्न उठता है कि भक्ति वास्तव में है क्या  ? इसका सबसे सरल उत्तर है भगवान की प्राप्ति का साधन है भक्ति। हमारे मन में जब भक्ति की भावना बहती है तो हमें ईश्वर की उदारता और उसकी शक्ति का एहसास होता है।मनुष्य को अपनी लघुता और उसकी महानता और विशालता का बोध होता है, जिससे कि मनुष्य अपनी इच्छाओं और इंद्रियों पर नियंत्रण कर पाता है और धरती पर अन्य समस्त जीवों के प्रति अपने मन में प्रेम भाव पैदा करता है। 
हमारे धर्म शास्त्रों में भक्ति कैसे की जाती है,इस संबंध में भी बताया गया है।सनातन संस्कृति और हिन्दू धर्म  शास्त्रों में अनेक प्रकार के ईश्वर भक्ति का मार्ग बताया गया है। प्रभु भक्ति के 9 सुगम रास्ते बताए गए हैं।भजन,किर्तन,श्रवण, स्मरण, पादसेवन, अर्चन व सत्संग,दास्य भाव आदि। श्री चैतन्य चरितामृत में भगवान के ही श्रीमुख से कहलाया गया है कि मैं पाँच तरह से बहुत प्रसन्न होता हूँ। ये हैं साधु संतों का संग , नाम संकीर्तन , भगवत्-श्रवण , तीर्थ वास और श्रद्धा के साथ श्रीमूर्ति सेवा। इस प्रकार से जो भी साधक भगवत भक्ति करता है उससे भगवान सहज ही प्रसन्न होकर मनवांछित फल देते हैं।
भक्ति के सभी मार्गों में श्रेष्ठ और सरल भक्ति मार्ग केवल नामामहिमा का है। कहने का भाव है कि निश्छल मन से, भाव से हरिनाम संकीर्तन किया जाए तो प्रभु की कृपा प्राप्त हो जाती है। यकिनन नाम संकीर्तन करना ही भगवत भक्ति प्राप्त करने का, प्रसन्न करने का सर्वोत्तम तरीका है , यही सर्वोत्तम भजन है।इस कलिकाल में,आज की भागदौड़ भरी जींदगी में भवसागर से पार जाने का सर्वोत्कृष्ट उपाय नाम संकिर्तन ही है।

                    कलियुग समजुग आन नहीं , जो नर कर विश्वास।

गाई राम गुण गन विमल , भव तर बिनहिं प्रयास।।