गाव: स्वर्गस्य सोपानं गाव:स्वर्गेअपी पूजिता:|
गाव: काम्दुहो देव्यो नान्यत किंचित परं स्मृतम ||
अर्थात गौ माता स्वर्ग की सीढ़ी है, जिनकी पूजा स्वर्ग में भी की जाती
है। गौ माता समस्त कामनाओ को पूरण करनेवाली देवी हैं उनसे बढ़कर कोई दूसरा नहीं है|
संदीप कुमार मिश्र: जिनके शरीर में 33 कोटी देवी देवताओं का वास है।जिन्हें हम माता कहकर संबोधित करते हैं।साथियों
वो कोई और नहीं गौ माता है।सनातक संस्कृति में गौ माता को पूज्यनीया कहा गया है, आज वही गौ माता दर दर की ठोकरे खा रही है ,कूड़ा कचरा खाके अपने जीवन की अंतिम
सांसे गिन रही है...।लेकिन कहते हैं-
।।गौ रक्षति रक्षित:।।
इसी भावना ओतप्रोत होकर मध्यप्रदेश के
रायसेन जिले के इमलिया गौंडी गांव के लोगों की जिंदगी में गौ-पालन ने एक बहुत बड़ा
बदलाव ला दिया है। आपको बता दें कि एक तरफ जहां गौ माता इस गांव के लोगों के लिए
रोजगार का माध्यम बन गई, वहीं गाय की सौगंध खाकर लोग नशा न करने का संकल्प भी ले रहे हैं।जो निश्चित
तौर पर समस्त देशवासीयों के लिए अनुकरणीय है।
दोस्तों जब आप इमलिया गौंडी गांव में
पहुंचेगें तो ‘गौ संवर्धन गांव’ की एक शानदार छवि उभरने लगेगी, क्योंकि यहां के तकरीबन सभी घरों
में एक गाय जरुर देखने को मिलेगी। गौ पालन से जहां गांव वाले दूध हासिल करते हैं,तो वहीं गौमूत्र से औषधियों और कंडे (उपला) का निर्माण कर धनार्जन कर रहे हैं।इस प्रकार
से गांव वालों को रोजगार भी मिल रहा है।भोपाल स्थित गायत्री शक्तिपीठ द्वारा इमलिया
गौंड़ी गांव के जंगल में गौशाला स्थापित की गई है। इस गौशाला के जरिए उन परिवारों
को गाय भी उपलबध कराई जा रही है, जिनके पास गाय नहीं है। गौपालन योजना के
तहत अभी तक 150 परिवारों को गाय उपलब्ध कराई जा चुकी है।इस गौशाला में हर रविवार को ग्रामीण
क्षेत्र से लोग औषधि बनाना सीखने आते हैं। गौशाला प्रबंधन नि:शुल्क गांव वालों को 44 प्रकार की औषधियां बनाना सिखाता है। साथ ही गरीब किसानों को नि:शुल्क में खाद और एक गाय भी दी
जाती है।
गौशाला का संचालन करने वाले डा़.शंकरलाल
पाटीदार का कहना है कि यह गौशाला 22 एकड़ क्षेत्र में फैली हुई है, और
यहां अलग-अलग प्रजाति की 350 से ज्यादा गाय मौजूद हैं। यहां आने
वाले ग्रामीणों को गोबर और गौमूत्र से बनने वाली औषधियां बनाने का प्रशिक्षण दिया
जाता है। इससे एक तरफ जहां गाय परिवार के लिए दूध देती है, वहीं गोबर और गौमूत्र के अर्क के साथ बनने वाली औषधियां आय का साधन भी बन रही
हैं। साथ ही जैविक खाद को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।इस गांव की आबादी तकरीबन 2500 की है और लगभग 450 घर हैं। इस गांव में अब तक 150 गाय गौशाला की ओर से दी जा चुकी है।
दरअसल पिछले साल गायत्री परिवार के
प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या की अध्यक्षता में इसी गांव में राष्ट्रीय गौ-विज्ञान
कार्यशाला का आयोजन किया गया था। तभी से यहां पर गौमूत्र और गौ आधारित पदार्थो से
कई तरह की दवाइयां बनाना सिखाई जाती हैं। इस हुनर को सिखने के बाद कई महिलाओं ने
अपना खुद का रोजगार स्थापित किया है।
दोस्तों ‘गौ-संरक्षण, गौ-पालन, गौ-संवर्धन हम सबका कर्तव्य है। गौ-सेवा के साथ पंचगव्य आधारित उत्पादों की
दिशा में कार्य भी निरंतर होने चाहिए। दोस्तो इमलिया गौंड़ी गांव के अब तक 95 प्रतिशत लोग नशा न करने का संकल्प ले चुके हैं।हरिद्वार स्थित गायत्री परिवार
के प्रमुख केंद्र शांतिकुंज द्वारा इमलिया गौंडी गांव की ही तरह कई अन्य स्थानों
पर भी गौ संरक्षण का कार्य चल रहा है, जिनमें उत्तराखंड का भोगपुर, हरिद्वार तथा मध्यप्रदेश में सेंधवा, बुरहानपुर आदि प्रमुख हैं।
अंतत: हम सभी सनातन धर्मियों को एक-एक
गौ माता का पालन अवस्य करना चाहिए ,पूरे देश भर में ज्यादा से ज्यादा गौशालाएं खुले।हम सभी अपने अपने नगर एवं
गावों मे गौशालाओं में जाकर सहयोग करना चाहिए।
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