संदीप कुमार मिश्र: अक्सर हमारे जहन में नक्सलियों का नाम आते ही आतंक की एक ऐसी छवी उभरने लगती
है,जहां रक्तरंजीत लोग ही नजर आते हैं।उन इलाकों का जहां नक्सली रहा करते हैं वहां
के लोगो का डरा सहमा दृश्य ही नजर आता है जो अंदेरा होते ही अपने घरों में डुबके
हुए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि इस रात की सुबह अच्छी हो।लेकिन शायद ऐसा नहीं
भी है क्योंकि हमेशा दहशत के माहौल में
रहने वाले नक्सलियों में मानवियता होती है,उन्हें भी दर्द महसुस होता है,क्योंकि
उनके सीने में दिल होता है।
दरअसल नक्सली भी इस बात को बखुबी जानते
हैं कि क्या सही है और क्या गलत। शायद तभी हमने अक्सर देखा है कि अपनी आत्मा की
आवाज सुनकर गलत रास्ते को छोड़ नक्सली पुलिस के आगे आत्मसमर्पण करते हैं और समाज
की मुख्य धारा से जुड़कर अपना जीवन एक आम आदमी की तरह व्यतीत करने लगते हैं।आपको
याद होगा कि अभी कुछ दिन पहले ही छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर जिले में दो
नक्सलियों ने पहले पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया और हाल ही में इनकी शादी हो गई।इतना
ही नहीं उनकी शादी को यादगार बनाने के लिए पुलिस की ओर से भी उन्हें एक बेहतरीन
तोहफा दिया गया। इस तोहफे में पुलिस की ओर से उन्हें पुलिस विभाग में नौकरी ही दे
दी गई।जिसके बाद यह दंपति अब पुलिस में आरक्षक के रूप में काम करेंगे।साथ ही मुख्य
धारा में रहते हुए सुखमय जीवन यापन करेंगे।
आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ के बक्सर
जिले में दो नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया था। इन नक्सलियों का नाम कोसी और
पोडियामी लक्ष्मण है। यह दोनों ही आत्मसमर्पण के बाद के पुलिस की सुरक्षा में रह
रहे थे। मौके की नजाकत और अच्छी सोच को सकारात्मकता का रुप देते हुए दोनों ने
पुलिस की मौजुदगी में विवाह करने की अपनी इच्छा जाहिर की।जिसपर जिला पुलिस ने उनकी
मांग पर गौर किया और कोसी और लक्ष्मण की शादी का शानदार फैसला लिया।
इसके बाद मुख्य धारा में आए दोनों नक्सलीयों
की शादी की तैयारियां शरु की गई। दोनों की शादी में बाराती के रूप में पुलिस विभाग
के कई अधिकारी सहित पुलिस के अन्य जवान भी शामिल हुए। इतना ही नहीं दोनो की शादी
में प्रशासनिक और पुलिस वालों के साथ ही जिले के अन्य बड़ी हस्तियां भी इस शादी के
गवाह बने और वर वधू को आशिर्वाद प्रदान किया।इस जोड़े की खुशी का ठीकाना तब और नही
रहा जब शादी में तोहफे के तौर पर दुसरे दिन ही पुलिस की ओर से दोनों नक्सलियों को
सरकारी नौकरी प्रदान की गई।
दोस्तों छत्तीसगढ़ राज्य शासन द्वारा
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के पुनर्वास के लिए नौकरी देने का प्रावधान है। इसी
को ध्यान में रखते हुए दोनों की योग्यता के मुताबिक उन्हें आरक्षक पद पर नौकरी
देने का निर्णय लिया गया।वहीं नक्सल आंदोलन को छोड़कर समाज की मुख्य धारा से
जुड़ने वालों को पुलिस की तरफ से भी सहायता प्रदान की जाती है।
अंतत: कोसी और लक्ष्मण की शादी से यह साबित हो गया कि नक्सलियों की मानसिक सोच में बदलाव संभव है और वो भी
समाज में रहते हुए सभ्य नागरीक की तरह जीवन यापन करना चाहते हैं।जरुरत है मुख्य
धारा से भटके इन नक्सलियों में यो सोच पैदा करने की कि हिंसा किसी भी समस्या का
समाधान नहीं है।अहिंसा के रास्ते पर चलकर जींदगी और समाज दोनो को बेहतर बनाया जा
सकता है...।।
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