संदीप कुमार मिश्र: सत्ता के लिए सियासत हमारे देश में कोई नई बात नहीं है।चाहे वो राजनीतिक हलके
की हो या फिर किसी और विभाग की।अपनी गोटी हर कोई फिट करना चाहता है।अब साब मोह का
क्या करें।इनाम तो हर किसी को चाहिए होता है,और मिल जाए तो भला छोड़ें क्यों..।
दरअसल आप समझ ही गए होंगे कि कुर्सी का
ये किस्सा कहां का है।जी हां FTII यानी भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान जिसके अध्यक्ष बनाए गए अभिनेता
गजेंद्र चौहान।जिसके बाद से ही छात्रों और गजेंद्र की नियुक्ती को लेकर हंगामा
होता रहा है।लेकिन अब जब गजेंद्र FTII का कार्यभार संभालने संस्थान पहुंचे तो फिर से छात्रों ने ज़बरदस्त विरोध हंगामा
शुरु कर दिया। प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने संस्थान के मुख्य गेट पर ' चौहान गो बैक' और ' तानाशाही नहीं चलेगी'
के नारे लगाए।
वहीं स्थानीय पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे 40 छात्रों को हिरासत में भी ले लिया। एफ़टीआईआई का अध्यक्ष बनने के बाद गजेंद्र
चौहान पहली बार संस्थान पहुंचे थे। जिसपर एफ़टीआईआई स्टाफ़ ने उनका परंपरागत तरीके
से स्वागत किया।आपको बता दें कि छात्रों ने गजेंद्र चौहान की नियुक्ति के विरोध
में पिछले साल जून में ही हड़ताल शुरू की थी, जो 139 दिन तक चली थी।इस
पूरे आरोप प्रत्यारोप में छात्रों का कहना था कि चौहान और अन्य नियुक्त किए गए लोग
सक्षम नहीं हैं। छात्रों का ये भी कहना था कि ये नियुक्तियां राजनीतिक उद्देश्यों
से की गई हैं।
अपनी विवादित नियुक्ति के करीब सात
महीने बाद अभिनेता गजेंद्र चौहान भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई) के
अध्यक्ष के तौर पर पदभार संभाले।लेकिन विवाद है कि थमने का नाम ही नहीं ले रहा है।
बड़ा सवाल ये भी है कि छात्रों को
गजेंद्र के नाम पर आपत्ति क्यों है..? उनका मूल उद्धेश्य तो शिक्षा अध्ययन से है ना कि प्रशासनिक कार्य से।और
गजेंद्र चौहान FTII के अध्यक्ष हैं ना कि
शिक्षक।जिस प्रकार से लगातार कला के इस मंदिर में विवाद चल रहा है उसे देखकर ये
लगना स्वाभाविक है कि छात्रों की भी दिलचस्पी अभिनेता,निर्देशक बनने के साथ-साथ सियासत
में भी है।अन्यथा ये मुद्दा इतना बड़ा नहीं था कि इसे इस प्रकार खिंचा जाए।
वहीं दूसरी तरफ ये भी लगता है कि FTIIविवाद अब पूरी तरह अहम
की लड़ाई हो गई है।नहीं तो कोई जरुरू नहीं है कि गजेंद्र चौहान ही अध्यक्ष
बनें।जिस पद पर इतना विवाद हो,गजेंद्र चौहान जी को खुद ही ये पद छोड़ देना
चाहिए,क्योंकि पद हासील कर लेने के बाद भी वो क्या हासील कर लेंगे ये समझ से परे
हैं।चौहान साब को तो मान सम्मान के साथ कुछ और भी तलाश करना चाहिए।एक समय के साथ
उनके नाम के आगे भी FTIIके पूर्व अध्यक्ष लिख दिया जाएगा,लेकिन विवादों के साथ।इससे क्या हासील उन्हें
होगा ये तो वही जाने सात ही उनका समर्थन करने वाले लोग।
लेकिन अच्छा यही होता कि विवादों की नया
महाभारत बनाने की बजाय FTII की गिरती साख को बेहतर बनाया जाता,उसकी गुणवत्ता में सुधार किया जाता,उसे
आधुनिक और बेहतरीन संस्थान बनाया जाता।
अंतत: कहना गलत नहीं होगा कि समय रहते FTII विवाद पर विराम नहीं लगाया गया तो कलाकार पैदा करने की जगह राजनीति की नयी
संस्था के रुप में जो नाम लिया जाएगा वो कोई और नहीं FTII ही होगा।
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