संदीप कुमार मिश्र: लोकसभा का शीतकालीन सत्र और संविधान पर चर्चा,बहुमुखी प्रतिभा के धनी और प्रखर वक्ता देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को अपने आइडिया आफ इंडिया से अवगत करवाया।आखिर क्या है उनका आइडिया आप इंडिया।लोकसभा में धारा प्रवाह बोलते हुए प्रधानमंत्री जी ने संस्कृत श्लोकों की झड़ी लगा दी।अब इस आइडिया आफ इंडिया की चर्चा तो की ही जाएगी लेकिन उससे पहले जान लेते हैं कि आइडिया आफ इंडिया का सरल अर्थ क्या है-
आइडिया ऑफ इंडिया
सत्यमेव जयते
सत्य की हमेशा जीत होती है
आइडिया ऑफ इंडिया
अहिंसा परमो धर्म:
अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है
आइडिया ऑफ इंडिया
एकं सद्विप्रा बहुधा वदन्ति
ईश्वर एक हैं लोग उन्हें अलग-अलग नाम से पुकारते हैं,
आइडिया ऑफ इंडिया
पौधे मे भी परमात्मा
होते हैं
आइडिया ऑफ इंडिया
वसुधैव कुटुम्बकम
पूरी वसुधा यानी पूरा संसार एक परिवार की तरह है
आइडिया ऑफ इंडिया
सर्व धर्म समभाव
सभी पंथ जाती, आदि को समान भाव से ही देखे
आइडिया ऑफ इंडिया
अप्प दीपो भव
अपना प्रकाश स्वयं बनो
आइडिया ऑफ इंडिया
तेन त्यक्तेन भुंजीथा
यानी त्याग भाव से संसार में रहना चाहिए
आइडिया ऑफ इंडिया
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया.
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्
सभी सुखी हों, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें
और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े
आइडिया ऑफ इंडिया
न त्वहं कामये राज्यं न स्वर्गं नापुनर्भवम्.
कामये दुःखतप्तानां प्राणिनाम् आर्तिनाशनम्
न तो राज्य की कामना करता हूं, न स्वर्ग की और न ही मोक्ष की, बस यही कामना है कि दुःखी प्राणियों के कष्ट दूर कर सकूं
आइडिया ऑफ इंडिया
वैष्णव जन तो तेने कहिये जे पीड परायी जाणे रे.
पर दुःखे उपकार करे तो ये मन अभिमान न आणे रे
वैष्णव वो व्यक्ति है जो दूसरों की पीड़ा को अपना दर्द समझता हो
आइडिया ऑफ इंडिया
जन सेवा ही प्रभु सेवा
गरीब की सेवा ईश्वर की सेवा के समान है
आइडिया ऑफ इंडिया
ॐ सहना भवतु, सहनो भुनक्तु सहवीर्यं करवावहै!
तेजस्वीनावधीतामस्तु माविद्विषावहै ॐ
शांति शांति शांति !!
ईश्वर हमारा रक्षण करे - हम सब मिलकर सुख भोगें - एक दूसरे के लाभ के लिए
कोशिश करें -हम सबका जीवन तेज से भर जाय - परस्पर कोई द्वेष या ईर्ष्या न हो
आइडिया ऑफ इंडिया
नर करनी करे तो नारायण हो जाए
अर्थात मानव यदि कर्म करे तो ईश्वर बन सकता है
आइडिया ऑफ इंडिया
नारी तू नारायणी
नारी तुम ईश्वर के समान हो
आइडिया ऑफ इंडिया
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता
जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवताओं का निवास होता है
आइडिया ऑफ इंडिया
आनो भद्रा कृत्वा यान्तु विश्वतः
ऋग्वेद के इस मंत्र का अर्थ है कि किसी भी सदविचार को अपनी तरफ
किसी भी दिशा से आने दें
आइडिया ऑफ इंडिया
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी
जन्मभूमि मां के समान है जो स्वर्ग से भी सुन्दर है।
अक्सर आइडिया ऑफ इंडिया बहस होती रही है,जिसे समझाने में प्रधानमंत्री जी ने संस्कृत श्लोकों के माध्यम से बखुबी समझाया।तो दोस्तों ये जो शानदार आइडिया आपने पढ़ा,ये देश के प्रधानमंत्री का आइडिया है।कहना गलत नहीं होगा कि नमो वाणी जब शुरु होती होती है भारत जैसे मुल्क की सम्मानीत आवाम नमो वाणी के माध्यम में अपना भविष्य संवारने लगती हैं। सही भी है कि जो शब्दों के माध्यम से प्रकट हो और उसपर अमल भी हो तो देश को आगे बढ़ने से,सम्पन्न बनने से संसार की कोई ताकत नहीं रोक सकती।
लेकिन क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले 18 महीनो में देश के विकास की जो रुप रेखा खींची उससे देस विकास के रास्ते पर आगे बढ़ पाया है...? क्योंकि सबसे ज्याद लोग त्रस्त हैं तो महंगाई से।अब दाल को ही लें तो महंगाई ने लोगों की कमर तोड़ दी है।अब साब दाल तो जरुरू है ना, प्रधानमंत्री जी को दाल पर सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।बीते समय में जिस प्रकार से देश में लगातार एक के बाद एक घटनाएं हुई और प्रधानमंत्री की चुप्पी जारी रही उससे कई सवाल खड़े होने लगे थे,कभी अवार्ड वापसी तो कभी कोई और नया मुद्दा।विपक्ष के साथ ही म आदमी सोचने पर मजबूर हो गया था कि आकिर प्रधानमंत्री जी इन मुद्दों पर कुछ बोलते क्यूं नहीं।क्योंकि लोकतंत्र में संवाद बने रहना चाहिए।
अब देखना होगा कि दिल्ली और फिर बिहार की हार के बाद प्रधानमंत्री जी का लोकसभा में दिया गया शानदार भाषण पार्टी के नेताओं पर कितना प्रभाव डालता है,क्योंकि निश्चिततौर पर जिस प्रकार से सरकार के नुमाइंदे भाषणबाजी पिछले दिनों करते रहे हैं वो आइडिया आफ इंडिया नहीं हो सकता। एक बेहतर और सार्थक पहल करते हुए प्रधानमंत्री जी ने करीब 18 महीने के बाद विपक्ष के नेता सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह को चाय पर चर्चा के लिए आमंत्रीत किया। अक्सर देखा गया है कि राजनीति की लड़ाई में खास और अहम मुद्दे छुट जाते हैं, जिसकी वजह से खामखां देश को भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है।
अंतत: देश को सही दशा और दिशा प्रदान करनी है तो देश के विकास के लिए सबको साथ मिलकर काम करना होगा।उसके लिए जरुरी है कि सरकार और विपक्ष के बीच जिस प्रकार के भी मतभेद हों उसे बातचीत के जरिए दूर किया जाय। और सर्वसम्मति से आइडिया आफ इंडिया के लिए काम किया जाएं नही सबका साथ सबका विकास,एक भारत श्रेष्ठ भारत और इंडिया फर्स्ट की बात सिर्फ चुनावी जुमला भर बन कर रह जाएगा...।।
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