संदीप कुमार मिश्र: दोस्तों एक बात तो आप मानेंगे ही कि हमारे देश में नेता जी की श्रेणी में आने
वाले सम्माननिय कुछ भी बोल सकते हैं,उनकी जुबान पर कोई लगाम नही हैं।ना ही उन्हें
कोई रोक सकता है।जिसका एक नजारा पेश किया फारुख अब्दुल्ला साब ने..।जिन्हे मालूम
ही नहीं की क्या बोलना चाहिए,क्या नहीं।मन में आया बोल दिया।पुराने बुद्धिजीवी
नेता है फारुख साब।अफसोस की बोलते बोलते कभी इतना ज्यादा बोल जाते हैं कि 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' के दायरे से बाहर निकलकर देश हित का भी
ख्याल नहीं रखते जनाब फारूक साब...
दरअसल फारुख साब को नहीं मालूम की
मीडिया को खोजी कैमरा कुछ और तलास करे ना करे लेकिन आप जैसे बयानवीरों को जरुर
खोजता रहता है और आपको बाकायदे टीवी पर बिना मिर्च मसाले के परोसता है क्योंकि
पहले ही आप इतना बोल चुके होते हैं कि मिर्च मसाला की जरुरत नहीं पड़ती।और आपके
विरोधी तो हैं ही आपकी बातों को लपकने के लिए...।
फारुख साब बुरा मत मानिएगा...इस बार
आपने बहुत गलत बयानबाजी की। किसी मुद्दे पर भारत के स्टैंड के लिहाज से यह बिल्कुल
शुभ नहीं है,हां ये अलग बात है कि कुछ दिनों पहले ही आमिर खान ने जब कहा कि उनकी
पत्नी किरण राव डरी हुई महसूस कर रही थी, तो जबर्दस्त हंगामा मचा। सोशल
मीडिया से लेकर चौक-चौराहों पर लोग आमिर खान को कोसते नजर आए।लेकिन जम्मू कश्मीर
के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्लाह साब इस मामले में भाग्यशाली रहे।क्योंकि
फिलहाल हंगामा नहीं बरपा उनके बयान पर,शायद इसलिए कि संसद का शीत सत्र शुरु होने
वाला है।
आप भी जान लें दोस्तों कि आखिर फारूक
अब्दुल्ला ने कैसे बोले नापाक बोल-
फारूख के नापाक बोल नंबर-1
पीओके (पाक अधिकृत कश्मीर) हमेशा
पाकिस्तान का हिस्सा रहेगा, जबकि जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा है। साथ ही मियां फारूक
साब ने यह भी कहा कि हम न जाने कितने वर्षों से यह कहते आ रहे हैं, कि कश्मीर भारत
का हिस्सा है, लेकिन इसके अलावा हमने क्या किया. क्या हम पीओके को भारत में मिलाने
में कामयाब रहे?
फारूख के नापाक बोल नंबर-2
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी
पीओके पाक को सौंपने को तैयार हो गए थे, लेकिन तत्कालीन पाक राष्ट्रपति
जनरल परवेज मुशर्रफ इसपर राजी नहीं हुए।
फारूख के नापाक बोल नंबर-3
चाहे हिंदुस्तान की सारी फौज
जम्मू-कश्मीर में लगाई जाए,
तब भी सरकार हमें आतंकवादियों से नहीं बचा सकती।
फारुख साब हम देशवासी जानते हैं कि भारत
और पाकिस्तान के बीच कश्मीर विवाद पुराना है। हालांकि यह भी सच है कि भारत ने
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) पर कभी बहुत एग्रेसिव मूड नहीं दिखाया।बावजूद
इसके हमारी सरकारें लगातार इस बात को कहती रही हैं कि कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा
है। यही नहीं 22 फरवरी, 1994 को देश की दोनों सदनों ने भी ध्वनिमत
से पारित एक प्रस्ताव में पीओके पर अपना हक जताते हुए कहा था कि ये भारत का अटूट
अंग है और पाकिस्तान को कश्मीर के उस भाग को छोड़ना होगा जो उसके कब्जे में है।
अफसोस भी होता है कि भारत का यह 20 साल पुराना संकल्प अबतक अधूरा है।सरकारें आती और जाती रही, लेकिन पीओके को
लेकर क्या कोशिश हुई, आज भी तस्वीर साफ नहीं है।फिर भी, फारूक साब को भारत की संसद की ओर से
पारित प्रस्ताव का ख्याल तो रखना ही चाहिए था और सोचसमझ कर बयान देने चाहिए थे।
अंतत: अब ये तो मालुम नहीं कि फारुख अब्दुल्ला अपना राजनीतिक अस्तित्व बचाए रखने के
लिए और खबरों में बने रहने के लिए इस तरह के मुद्दे को उठा रहे हैं,या फिर भूलने
की बीमारी से ग्रस्त हैं या फिर जानबूझकर इस तरह के बयान दे रहे हैं ताकि अपना राजनीतिक
अस्तित्व बचाए रखने के लिए खबरों में बने रहें।बहरहाल नेता चाहे कितने भी बड़े
क्यों ना हो,देश की एकता,अखण्डता और अस्मिता पर नापाक बयानबाजी करने का किसी को हक
नहीं,खासकर बात जब जम्मू-कश्मीर की हो तो समझौते की कोई गुंजाईश ही नहीं,क्योंकि
पूर्व में जो गलतीयां हो चुकी हैं अब देश उसे कतई नहीं दोहराएगा और देश के नापाक दुश्मनो का मुंहतोड़ जवाब देगा...।
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