संदीप कुमार मिश्र: प्रकाशोत्सव का पावन पर्व दीपावली।जो
हमारे देश में तो मनाया ही जाता है सात ही विश्वभर में जहां अप्रवासिय भारतीय रहते
हैं मनाया जाता है।मित्रों दीपावली हमें अंधकार से प्रकाश की ओर जाने के लिए
अग्रसर करता है।दीपों का ये त्योहार हमें ये सीख देता है कि संसार से तम(अंधियारा)
का खात्मा हो और प्रकाश हर तरफ फैल जाए।देस विकास करे, उन्नती करे।साथियों ये तभी
संभव है जब देश एकता के सूत्र में बंधा हो,सर्वधर्म की भावना हर किसी के रग-रग में
बसी हो।ऐसा तभी हो पाएगा, जब अमीरी-गरीबी,ऊंच-नीच,छोटा-बड़ा का भेद खत्म हो जाएगा।जात-पात
का भेद भुलाकर जब हम धरा (धरती मां) पर के हर कोने के अंधियारे को मिटाने का
संकल्प लेंगे।यकिन मानिए भाव राग और ताल के अद्भूत सामंजस्य के देश भारत को आगे
बढ़ने से कोई नहीं रोत सकता।।
इस पावन दीपावली पर महान कवि,पद्मभूषण
गोपालदास नीरज जी का एक गीत बरबस ही याद आ जाता है।
जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना
अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए।
नई ज्योति के धर नए पंख झिलमिल,
उड़े मर्त्य मिट्टी गगन
स्वर्ग छू ले,
लगे रोशनी की झड़ी
झूम ऐसी,
निशा की गली
में तिमिर राह भूले,
खुले मुक्ति का वह किरण द्वार जगमग,
ऊषा जा न पाए, निशा आ ना पाए
जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना
अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए।
सृजन है अधूरा अगर विश्व भर में,
कहीं भी किसी द्वार पर है उदासी,
मनुजता नहीं पूर्ण
तब तक बनेगी,
कि जब तक लहू के लिए
भूमि प्यासी,
चलेगा सदा नाश का खेल
यूँ ही,
भले ही दिवाली यहाँ रोज आए
जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना
अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए।
मगर दीप की दीप्ति से सिर्फ जग में,
नहीं मिट सका है धरा का अँधेरा,
उतर क्यों न आयें नखत सब नयन के,
नहीं कर सकेंगे ह्रदय में
उजेरा,
कटेंगे तभी यह अँधरे घिरे
अब,
स्वयं धर मनुज दीप का रूप आए
जलाओ दिए पर
रहे ध्यान इतना
अंधेरा
धरा पर कहीं रह न जाए।
संबोधन की तरफ से दीपोत्सव के पवित्र और
पावन त्योहार की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं व बधाई। जगमगाते,झिलमिलाते दीपों की
दिव्य रौशनी से प्रकाशित ये दीपोत्सव आपके जीवन में धन, धान्य, सुख और सम़द्वि,शांति और सुकून लेकर आये। अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर करने
वाला त्योहार दीपावली प्रत्येक व्यक्ति,, परिवार, समाज, समस्त जीव, देश और संपूर्ण विश्व के लिए सुख, शांति, व धन वैभव लेकर आए। इन्हीं शुभाशुभ मंगलकामनाओं के साथ दीपोत्सव की हार्दिक
शुभकामनाएं !!
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