संदीप कुमार मिश्र: राजनीति में हार जीत
लगी रहती है,लेकिन सियासत में कुछ चेहरे ऐसे भी होते हैं जिनपर जीत का ताज सजता है
तो कुछ पर हार का ठीकरा फूटता है।बिहार की सियासत में नया अध्याय जुड़ गया जब
नीतीश कुमार के महागठबंधन ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की।और बीजेपी के ख्वाबों, अरमानो
और विकास के एजेंडे को जनता ने सिरे से नकार दिया।जानते हैं वो शख्स कौन है...?कौन है वो चाणक्य जिसने बिहार में
कमल को मुरझा दिया और महागठबंधन को ऐतिहासिक जीत दिला दी।
दोस्तों 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान
बीजेपी के उन नारों को जरा याद करें आप।जैसे- अबकी बार मोदी सरकार,अच्छे
दिन आने वाले हैं,चाय पर चर्चा, इस तरह के ना जाने कितने शार्ट और कैंची
स्लोगन देने वाले प्रशांत किशोर जिनके जादू ने बीजेपी को केंद्र की सत्ता थमा दी
और मोदी जी को कुर्सी।वही प्रशांत एक बार फिर नीतीश कुमार के चाणक्य बन महागठबंधन
की नैया पार लगा दिए और कमल को बिहार में मुरझाने के लिए विवश कर दिया। दरअसल नरेंद्र
मोदी को गुजरात से दिल्ली तक पहुंचाने वाले चाणक्य प्रशांत किशोर ने बिहार में नीतीश को कुर्सी
दिलाने मे कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। प्रशांत किशोर को आज की राजनीति का चाणक्य कहें
या रणनीतिकार कम ही होगा।खासकर आम चुनाव और बिहार चुनाव को देखें तो ऐसा ही लगता
है।अब तो राजनीति में सपनों के सौदागर बन गए हैं युवा जोश से लवरेज प्रशांत किशोर।
बिहार के पूरे चुनाव के दौरान प्रशांत
किशोर ने शानदार रणनीति बनाई और नीतीश ने उन्ही की रणनीति पर बिहार में चुनाव
अभियान को शुरु किया।जैसे घर घर दस्तक देने की शुरुआत।घर घर दस्तक का मतलब था कि
आम लोगों के घरों पर जाकर ,
सरकारी की उपलब्धियों को बताना, और वोटरों का मन टोहना साथ
ही हर घर,हर दरवाजे पर चुनाव अभियान के नारे का स्टिकर लगाना। ये ऐसा कार्यक्रम था जिसने नीतीश के लिए भीड़ इकट्ठी करने में कोई कोर कसर
नहीं छोड़ी और नीतीश की इस धमक ने उनके लिए बिहार के दिल के दरवाजे खोल दिए।जिसके
बाद नीतीश का करिश्मा चल निकला।चुनाव में इतिहास रचने के बाद हर जुवान से ये
कहा जाने लगा कि जिसने 2014 मे मोदी की जीत की कहानी
लिखी,2015 में जीत की पुनरावृति
नीतीश कुमार की जीत के साथ दोहराई।
साल 2014 में लोकसभा चुनाव के
दौरान प्रशांत ने मोदी के खेमे को पूरी तरह हाईटेक बना दिया था। देश में पहली बार ऐसा
हुआ था कि एक ही नेता को दर्जनों जगह रैली करता हुआ देश देख रहा था।और विरोधियों
के पास इस 3डी वाले मोदी अवतार की कोई काट नहीं थी।ठीक उसी प्रकार प्रशांत ने अपनी टीम के
साथ नीतीश के चुनावी अभियान का वॉर रूम तैयार किया।कहते हैं कि जिस 3D तकनीक से प्रशांत ने
मोदी के पूरे प्रचार को डिजाइन किया था ठीक वही फार्मूला
उन्होने नीतीश के लिए भी इस्तेमाल किया।क्योंकि ये तकनीक जर्मनी में तैयार की गई
थी और इसका इस्तोमाल अमेरिका के चुनावों में सबसे पहले किया गया था।हमारे देश में
प्रशांत सबसे पहले इस तकनीक का इस्तेमाल कांग्रेस के लिए करना चाहते थे लेकिन
कांग्रेस इससे चूक गई जिसका परिणाम आम चुनाव में उसके सामने था।नरेंद्र मोदी ने इस
आईडिया को लपकने में जरा भी देर नहीं लगाई और जनता की नब्ज को प्रशांत के द्वारा
समझा।
खैर प्रशांत ने इसके लिए संयुक्त
राष्ट्र के हेल्थ मिशन के तौर पर अफ्रीका में अपनी शानदार नौकरी छोड़कर दी थी,उनके
लिए भी राजनीतिक पार्टीयों के लिए इस तरह से काम करना किसी चुनौती से कम नहीं
था।लेकिन बलिया के रहने वाले प्रशांत से साल 2011 में मोदी से हुई मुलाकात ने साल
2014 के आम चुनाव में इतिहास रच दिया।प्रशांत की टीम ने मोदी जी के चुनाव प्रचार
अभियान में शानदार नारा दिया- अबकी बार मोदी सरकार।लेकिन प्रशांत ने सबसे नायाब और
अनुठा कारनामा जो किया वो थी चाय पर चर्चा।जो कहीं ना कहीं सबसे प्रभावी हथियार
बनी। मात्र 37 साल के प्रशांत किशोर ने तमाम राजनीतिक पंडितो को मात देते हुए चुनावी माहौल
को ही बदल कर रख दिया और बीजेपी का
चुनावी अभियान मोदी लहर में बदल गया।
लोकसभा चुनाब के बाद बीजेपी ने चार राज्यों के
चुनाव में प्रशांत को नजरअंदाज किया जिसके बाद प्रशांत कुमार ने नीतीश कुमार के
चुनाव की कमान संभाली और महागठबंधन के चाणक्य बन गए। बात चाहे बिहार के लोगों के मोबाइल पर रिंगटोन भेजने की हो या फिर नीतीश की
आवाज में रिकॉर्डेड मैसेज की या फिर लोगों को नीतीश से जोड़ने की।प्रशांत की हर एक
रणनीति कामयाब होती गई। इतना ही नही नीतीश के लिए बेहतरीन चुनावी मसालेदार गाने प्रशांत
के दिमाग की उपज थे।
अब बिहार के अहम चुनाव के बाद कई
राज्यों में लगातार चुनाव होने वाले हैं।जैसे 2016 में बंगाल,2017 में उत्तर प्रदेश
और इसी क्रम में लोकतंत्र के महाउत्सव का आनंद कई राज्य उठाएंगे।अब देखना होगा कि
प्रशांत कुमार अपनी यूवा टीम के साथ ये कारनाम किस राज्य में और किस पार्टी के लिए
करते हैं।।।
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