Tuesday, 10 November 2015

जय मां लक्ष्मी


महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं सुरेश्र्वरी |
हरिप्रिये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं दयानिधे ॥
संदीप कुमार मिश्र: जय मां लक्ष्मी:सुख और समृद्धिदायिनी मां लक्ष्मी की कृपा जिस व्यक्ति पर होती हैउसके समस्त दु:खों का निवारण एक क्षण में हो जाता हैसौंदर्य एवं कोमलता की प्रतीक मां लक्ष्मी का आगमन जिस भी घर में होता है….वह घर सदा धन-धान्य से भरा रहता हैनिरोग रहता है और सदा उस घर में खुशहाली बनी रहती है

श्री महालक्ष्मी धन-धान्य, सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य प्रदान करने वाली देवी हैंमां लक्ष्मी जगत के पालनहार श्री विष्णु की अर्द्धागिनी महाशक्ति हैं…. जो भी व्यक्ति लक्ष्मीजी की पूजा एकाग्रचित होकर करता है….वे उनका घर सुख और ऐश्वर्य से भर देती हैंमाता लक्ष्मी का निवास लाल कमल में रहता हैकमल का पुष्प श्रीविष्णु के चरण कमल का प्रतीक है….मांलक्ष्मी, श्रीविष्णु की अतिप्रिया हैंवे मन को आनंद देने वाली हैं…. लक्ष्मीजी का पूजन गजराज कमल पुष्प चढ़ाकर करते हैं…. इसलिए इन्हें गजलक्ष्मी भी कहा जाता है…. लक्ष्मीजी का अभिषेक करने वाले इन दो गजराजों को परिश्रम और मनोयोग कहते हैं…. उनका लक्ष्मी के साथ अविच्छिन्न संबंध है….।

महालक्ष्मी कंचनवर्ण, अतिसुन्दरी और चिरयौवना रहनेवाली देवी हैंलक्ष्मीजी की प्रतिमाएं द्विभुजा और चतुर्भुजा दोनों प्रकार की होती हैंद्विभुजा वाली प्रतिमाओं के हाथों में शंख,तथा चतुर्भुजा प्रतिमाओं में क्रमश:शंख, फुल अमृत घट और बिल्व फल होता है…. शंख अहंकार और जयकोश का….फुल सौंदर्य, अनाशक्ति और मार्दव काअमृत घट आनंद काऔर बिल्वफल भोग का प्रतीक माना गया हैइनका वाहन उल्लू होता है…. जो निर्भीकता एवं रात्रि के अंधेरे में भी देखने की क्षमता का प्रतीक हैमहालक्ष्मी की मूर्तियां अनेक रूपों में उपलब्ध हैं….जैसे गजलक्ष्मी, दीपलक्ष्मी, गजारूढ़ा,शेषशैय्या पर श्रीविष्णु की चरण सेवा करती हुर्इ…..जय मां लक्ष्मी।।



=आरती=

ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता |
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥ॐ जय लक्ष्मी माता....
उमा रमा ब्रम्हाणी तुम जग की माता |
सूर्य चद्रंमा ध्यावत नारद ऋषि गाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता....
दुर्गारुप निरंजन सुख संपत्ति दाता |
 जो कोई तुमको ध्याता ऋद्धि सिद्धी धन पाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता....
तुम ही पाताल निवासनी तुम ही शुभदाता |
कर्मप्रभाव प्रकाशनी भवनिधि की त्राता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता....
जिस घर तुम रहती हो ताँहि में हैं सदगुण आता |
सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता....
तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता |
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता....
शुभ गुण मंदिर सुंदर क्षीरनिधि जाता |
 रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहीं पाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता....
महालक्ष्मी जी की आरती जो कोई नर गाता |
उँर आंनद समाता पाप उतर जाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता....
स्थिर चर जगत बचावै कर्म प्रेर ल्याता |
रामप्रताप मैया जी की शुभ दृष्टि पाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता....
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता |
तुमको निसदिन सेवत हर विष्णु विधाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता

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