संदीप कुमार मिश्र : जब भी हमारे जहन में राम मंदिर आंदोलन का ख्याल आएगा, तब-तब
वीएचपी के संरक्षक अशोक सिंघल का ख्याल मन में आ जाएगा। दरअसल अशोक सिंघल जी ही वो
शख्सियत थे, जिन्होंने देश मे ही नहीं और विदेशों में भी विश्व हिंदू परिषद को एक नई पहचान
दी और नई ऊंचाई पर ले गए। विश्व हिंदू परिषद में एक दौर आया जब संघ से प्रचारक के
बाद वीएचपी में बतौर महासचिव रहे अशोक सिंघल जी वीएचपी की पहचान बन गए।
आपको बता दें कि युग पुरुष अशोक सिंघल जी का जन्म 15 सितंबर 1926 को उत्तर प्रदेश के आगरा
में हुआ था, और उन्होंने हिंदू विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की थी। लेकिन
स्नातक करने के दौरान ही अशोक सिंघल जी आरएसएस से जुड़े और फिर प्रचारक बन गए।
प्रचारक रहते हुए अशोक जी ने देश के कई प्रदेशों में संघ के लिए काम किया साथ ही
अन्य प्रांत प्रचारक का जिम्मा भी संभाला। लेकिन साल 1981 में अशोक जी को विश्व
हिंदू परिषद में भेज दिया गया।
जिस मुख्य कार्य के लिए अशोक सिंघल जी हमेशा याद आएंगे उनमें मुख्य है समाज
में दलितों के साथ तिरस्कार की भावना और उसके चलते हो रहे धर्म परिवर्तन को रोकने
के लिए उनकी अहम भुमिका की। अशोक सिंघल जी के प्रयास से ही दलितों के लिए अलग से 200 मंदिर बनाए गए और
उन्हें हिंदू होने की अहमियत समझायी। इतना ही नहीं देश में हिंदुत्व को फिर से एकजुट
और मजबूत करने के लिए 1984 में धर्मसंसद के आयोजन में अशोक सिंघल जी ने ही मुख्य
भूमिका निभाई थी और इसी धर्म संसद में साधु संतों की बैठक के बाद राम जन्म आंदोलन
की नींव पड़ी थी।
दरअसल राम मंदिर आंदोलन को भले ही बीजेपी के बड़े नेताओं के साथ जोड़कर देखा
जाता रहा है, लेकिन वास्तव में अशोक सिंघल जी के प्रयास के चलते ही राम मंदिर आंदोलन का व्यापक
विस्तार पूरे देश में हुआ। 1989 में अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास के बाद अशोक सिंघल
ने राम मंदिर आंदोलन को हिंदुओं के सम्मान से जोड़ने में अहम भूमिका तो निभाई ही
साथ ही देश भर में आंदोलन के लिए लोगों को एकत्रित भी किया। बहुत कम लोग अशोक
सिंघल के बारे में जानते हैं कि वे शास्त्रीय गायन के भी अच्छे जानकार थे, और पंडित
ओमकार ठाकुर जी से बाकायदा हिंदुस्तानी संगीत की भी शिक्षा ली थी।
इस संसार में जो आया है उसे जाना ही होगा।लेकिन विरले ही लोग ऐसे होते हैं
जिन्हे तहेदिल से पिढ़ियां याद करती है। विश्व हिंदू परिषद के संरक्षक और
अंतर्राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष अशोक सिंघल जी ऐसे ही थे।गुड़गांव के मेदांता
अस्पताल में उनका निधन हो गया। डॉक्टरों के अथक प्रयास के बावजूद उन्हें नहीं बचाया
जा सका। 89 साल के अशोक सिंघल जी को सांस से संबंधी परेशानी थी और 20 अक्टूबर को इलाहाबाद में
तबीयत खराब होने के बाद उन्हे गुडगांव के मेदांता अस्पताल लाया गया था।लेकिन 17
नवम्बर 2015 को अशोक सिंघल जी अपनो को हमेशा के लिए अलविदा कह गए।देश उन्हे उनके
देशहित के पूनीत कार्य के लिए सदा याद रखेगा।संबोधन के सभी साथियो की तरफ से अशोक
सिंघल को श्रद्धांजलि व नमन।।।
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