Friday, 6 November 2015

नरक चतुर्दशी:महात्म्य,महत्व और विधान


संदीप कुमार मिश्र: भारतीय सनातन संस्कृति बृहद औऱ विशाल है,प्रकृति के सबसे करीब है।समाज को जोड़ने का कार्य करती है।हिन्दूत्व का विकास करती है हमारी संस्कृति। हिन्दूत्व का तात्पर्य हिन्दूस्तान के उत्थान से है ना कि पतन से।और उत्थान तभी संभव होता है जब देश में सहिष्णुता बनी रहे।इसी सहिषअणुता को बरकरार रखने का कार्य हमारे यहां मनाए जाने वाले तीज त्योहार करते हैं।दरअसल नरक चतुर्दशी का त्योहार प्रत्योक वर्ष कार्तिक कृष्ण चतुदर्शी को यानी शुभ दीवाली के एक दिन पूर्व मनाया जाता है।चतुर्दशी तिथि यानि नरक चतुर्दशी को हम छोटी दीपावली के नाम से भी जानते है।शास्त्रों मे कहा गया है कि इस दिन प्रातः काल स्नान करके यम तर्पण और शाम के समय दीप दान का विशेष महत्व है।

भागवत पुराण में ऐसी चर्चा है कि भगवान श्री कृष्ण ने कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी तिथि को ही नरकासुर नाम के असुर का वध किया था।ये वही नरकासुर था जिसने 16 हजार कन्याओं को बंदी बना रखा था। नरकासुर का वध करके के पश्चात भगवान श्री कृष्ण ने कन्याओं को बंधन मुक्त करवाया।लोक निंदा के भय से जब इन कन्याओं ने अंतर्यामी प्रभू,जगत के पालनहार श्री कृष्ण से कहा कि समाज उन्हें स्वीकार नहीं करेगा,इसलिए समाज में रहने का उपाय हे माधव आप ही सुझाएं तक कन्हईया ने समाज में इन कन्याओं को सम्मान दिलाने के लिए रानी सत्यभामा के सहयोग से इन सभी कन्याओं से विवाह कर लिया,और सभी बंदी कन्याओं का उद्धार किया..।यही वो पावन अवसर था जब नरकासुर का वध करके 16 हजार कन्याओं के बंधन मुक्त होने के शुभ अवसर पर नरक चतुर्दशी के दिन से दीपदान की परंपरा प्रारंभ हुई।वहीं एक दूसरी कथा भी नरक चतुर्दशी के संबंध में कही जाती है जो लोक में प्रचलित है।कहा जाता है कि नरक चतुर्दशी के दिन प्रात: स्नान करके मृत्यू के देवता यमराज की पूजा एवं संध्या के समय दीप दान करने से नर्क के यतनाओं और अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है।इसलिए भी संसार में नरक चतु्र्दशी के दिन दीपदान और पूजा का विधान प्रारंभ हुआ।

 स्नान मुहूर्त- 05:11 से 06:43
अवधि-1घंटा32मिनट
चतुर्दशी तिथि का प्रारम्भ समय-9नवम्बर2015 को 07:06 बजे से
चतुर्दशी तिथि का समाप्ती समय-10नवम्बर2015 को 09:23 बजे तक

कहते हैं कि नरक चतुर्दशी के दिन सूर्य उदय से पहले उठकर लौकी को सिर के उपर से धूमाना चाहिए,और फिर उसके बाद शरीर पर उबटन लगाना चाहिए जिसमें तिल का तेल अवश्य मिला हो, स्नाना करना चाहिए।इस प्रकार करने से हमारा सौंदर्य बढ़ता है,और मनुष्य नरकगामी होने से भी बच जाते हैं।नरक चतुर्दशी के दिन हमें नित्य स्नान करने के बाद भगवान विष्णु और कृष्ण मंदिर में जाकर भगवान की आराधना करनी चाहिए,जिसे हमारे धर्म शास्त्रों में अत्यधिक  पुण्यदायी कहा गया है।ऐसा करने से हमारे पाप कटते हैं और हमें सौन्दर्य की प्राप्ति होती है। नरक चतुर्दशी के दिन शाम के समय हमे नहा धोकर,साफ और स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए,और घर  के कुल देवता की पूजा करनी चाहिए।कहा गया है कि घर के कुल देवता और अपने पुरखों की पूजा हमेशा शुभ फलदायी होती है।अत: आज के दिन इनकी पूजा करनी चाहिए और उन्हें नैवेद्य चढ़ा कर दीप जलाना चाहिए।

साथ ही मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि जगत के पालनहार भगवान विष्णु ने आज ही के दिन वामन रूप में अवतार लिया था।इस दिन दान-पूण्य करने का विशेष महत्व बताया गया है,जिससे की माता लक्ष्मी की कृपा हम पर सदैव बनी रहे।कहते हैं कि नरक चतुर्दशी के दिन विधि-विधान से पूजा-पाठ करने से मनुष्य को मनचाहा फल प्राप्त होता हैं और उसे नरक की यातनाओं से मुक्ति मिल जाती है।

इसी दिन देवाधीदेव महादेव के एकादश अवतार बजरंगबली भगवान हनुमान जी महाराज की जयंती भी मनाई जाती है।हनुमान जी महाराज की पूजा पंचोपचार विधि से करनी चाहिए।इस पूजा में पूरुषों के बाद ही स्त्रियों को पूजा करनी चाहिए। पूजा के बाद घर के चारों दिशाओं में दीपक को जलाने चाहिए साथ ही एक दीपक घर के मुख्य द्वार पर रखना चाहिए। नरक चतुर्दशी पर यमतर्पण, आरती, अभ्यंगस्नान, यमदीपदान, ब्राह्मणभोज, शिवपूजा, वस्त्रदान, प्रदोष पूजा, दीप प्रज्वलन करने से कहा गया है कि मनुष्य अपने सभी पाप बंधन से मुक्त हो कर ईश्वर की कृपा का पात्र बनता है।
नरक चतुर्दशी आपके जीवन में खुशियां लेकर आए,उन्नती और तरक्की के दरवाजे आप के लिए खुल जाएं,ईश्वर से हमारी यही प्रार्थना है।नरक चतुर्दशी की आप सभी स्नेही मित्रों को कोटि-कोटि बधाई।।


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