Tuesday, 24 November 2015

गले ही तो मिले थे साब,हम भी तो नेता ही हैं...।


संदीप कुमार मिश्र: अरे भाई गले मिलने से तो प्रेम बढ़ता है,संबंध मजबूत होते हैं,भेदभाव खत्म होता है।फिर ना जाने क्यूं खामखां लोग पड़ गए हैं लालू यादव और अरविंद केजरीवाल साब के पीछे।अरे भाई एक शिष्टाचार है गले मिलना।कहते हैं दिल मिले ना मिले हाथ मिलाते रहीए।और यही अरविंद जी ने किया।भई एक मंच पर जहां देस के सभी सहिष्णु नेता जी इक्ट्ठा होंगे तो गलबहींया तो होंगे ही ना।

दरअसल बिहार में नीतीश कुमार यानि सुशासन बाबू के शपथ ग्रहण समारोह में अरविन्द केजरीवाल का जाना और बीच मंच से लालू यादव से हाथ मिलाने हुए गले लगना आज केजरीवाल साब को महंगा पड़ गया।ऐसा इसलिए हुआ कि लगातार सुचिता की बात करने वाले अरविंद बाबू स्वच्छ राजनीति की बात करके सियासत में आए थे,लेकिन हम भूल गए थे कि अब वो भी राजनीतिक शख्सियत हैं और दिल्ली के सीएम हैं,भई उनकी भी महत्वकांक्षा है,कि दिल्ली की सियासत से आगे निकलकर देश की सियासत करें। लेकिन भईया विपक्ष का क्या करें,कोई मुद्दा ही नहीं छोड़ता सियासत करने का, अब हंगामा बढ़ा तो आप की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में लालू से गले मिलकर विरोध से जूझ रहे दिल्ली के सीएम ने इस मुद्दे पर भी अपना पक्ष साफ करने की कोशिश की।

अब बात निकली ती तो दुर तलक जाएगी ही सो अरविंद बाबू के गुरु अन्ना हजारे ने भी इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा कि,-अच्छा है कि मैं अलग हो गया वरना लोगो आज केजरीवाल की तरह मेरे ऊपर भी ऊंगली उठाते।
अब राजनीति का क्या करें साब कि कुछ तो लोग कहेंगे,हां आपने सफाई तो जरुर दी कि आप वंशवाद का विरोध करते हैं और लालू यादव से आपका कोई सम्बंध नहीं है लेकिन बात फिर भी वहीं आकर अटक जाती है कि विपक्ष तो मुद्दा बनाएगा ही ना।

दोस्तों अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि, 'मैं बिहार गया था। नीतीश जी अच्छे आदमी हैं। जनता ने ही मुझे उनके अच्छे कामों के बारे में बताया है। हमने वहां बीजेपी के खिलाफ काम किया और महागठबंधन का समर्थन किया। नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण में मैं मंच पर था। लालू ने ही जबर्दस्ती मेरा हाथ पकड़कर उठा दिया और मुझे गले भी लगाया।' वाह रे साब आप इतने कमजोर निकले कि लालू जी ने आपको खिंचकर गले लगा लिया।


अब साब केजरीवाल जी आप लाख सफाई दें लेकिन आपने जिस बीजेपी के अश्वमेध घोड़े को दिल्ली में रोका था तो वो कहां ये मौका हाथ से जाने देती सो उसने लालू यादव से गले मिलते हुए आप का शानदार पोस्टर छापकर दिल्ली में लगा दिया और आपका मजाक उड़ाया।इतना ही नहीं पोस्टर पर लिखा गया कि- कहां गई केजरीवाल की सुचिता, दरअसल, दिल्ली के अशोका रोड पर लगे बीजेपी के एक पोस्टर में लालू और केजरीवाल को गले मिलते दिखाया गया और इसमें लिखा गया है कि 'अन्ना कल की बात हैं... अब लालू जी का साथ है'

अंतत: राजनीति तो होगी,अवसर कोई नहीं छोड़ेगा,क्योंकि सियासत में अब यही होगा,जो हो रहा है,लेकिन इससे उपर उठकर सोचने की जरुरत है,जिससे जनहीत हो।


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