संदीप कुमार मिश्र: 200 साल तक गुलामी की जंजीरो में जिस
देश ने हमें बांध रखा था,आज उसी देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत का शिरमौर
बनकर पहुंचे तो हमारी उम्मीदें और उत्साह भी बढ़ गए। क्योंकि नमो का ग्रेट ब्रिटेन
का ये दौरा कई मायनों में बेहद खास है।दरअसल एक दशक बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री
का यह पहला लंदन दौरा है। दोस्तों ब्रिटेन और हमारे देश भारत का बड़ी ही गहरा
संबंध है।हमारा देश तकरीबन सात दशक पहले अंग्रेजों की गुलामी की बेड़ियों को काटकर
आजाद हुए थे।लेकिन प्लासी की लड़ाई को अगर हम अंग्रेजों से युद्ध का आधार माने तो लगभग
200 साल तक अंग्रेज हमारे देश में शासन करते रहे। इतने लंबे अर्से तक आप किसी भी
राष्ट्र में रहे तो असर भी साफ दिखता है ।
देश तो आजाद हुआ लेकिन अंग्रेजीयत हमारे
देस में नजर आने लगी वहीं हमारी भारतिय संस्कृति की छाप यूरोपिय देशों में देखने
मिलने लगी।भारत और ब्रिटेन के बीच रिश्ते परवान चढ़ने लगे जिनको मिलकर दोनो देश के
लोगों ने सजाया और संवारा। हमारे भारतीय मूल के तकरीबन 14 लाख नागरिक ब्रिटेन में रहते है और भारतियता को बरकरार रखे हुए हैं। विश्व के
नजरिए से देखें तो हमारा देश भारत सबसे तेजी से विकास करने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था
का देश है।ग्रेट ब्रिटेन के लिए निश्चिततौर पर तेजी से विकास करते भारत के बाजार
और नए औद्योगिक माहौल किसी आकर्षण से कम नहीं है।इसके उलट भारत की बात करें तो
प्रधानमंत्री का प्रयास है कि ग्रेट ब्रिटेन की टेक्नोलॉजी को भारत लाया जाय।नरेंद्र
मोदी का हर संभव ये प्रयास है कि ग्रेट ब्रिटेन 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम का भागीदार बने।इस बात को डेविड कैमरन भलीभांति जानते हैं कि भारत विश्व
के चंद ऐसे देशों में से है, जहां इनवेस्ट करने पर बेहतर मुनाफा
प्राप्त किया जा सकता है,और भारत ही वो देश है जहां औद्योगिक विकास के लिए बेहतर
संभावनाएं विद्यमान है।
हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह यात्रा इसलिए भी खास है, क्योंकि पीएम बनने के
बाद मोदी जी ने जो छवी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनाई थी, वह भी कसौटी पर है। ब्रिटेन के साथ उद्योग-व्यापार के समझौते इस यात्रा की कामयाबी
लिखेंगे। इसलिए ब्रिटेन भी मोदी की अगवानी में कोई कसर छोड़ती नजर नही आई। दरअसल
नरेंद्र मोदी की अंतरराष्ट्रीय जगत मे
शानदार छवि 2014 के लोकसभा चुनावों में शानदार जीत के बाद बनी थी।और मोदी
जी लंदन दौरा बिहार में ऐतिहासिक चुनावी हार के बाद पहले विदेश यात्रा पर हैं। आपको
याद होगा कि बिहार चुनाव के पहले और चुनाव के दौरान कट्टरपंथी लोगों और संगठनों के
बयानों और करतूतों की पूरी दुनिया में चर्चा हो रही थी। नरेंद्र मोदी पर ये आरोप
भी लगे कि वो ऐसे तत्वों को नियंत्रित करने में पूरी तरह से नाकाम रहे हैं।शायद
नमो के विदेश दौरे में ये पहली बार देखने को मिला कि उनके स्वागत में कुछ प्रदर्शन
भी हुए,अनचाहे सवाल भी पूछे गए और विरोध का सामना भी करना पड़ा।विदेशी अखबारों की
सुर्खिया जहां लंदन में नमो के भव्य स्वागत बने,व्यापार में सहयोग को बढ़ाने की
खबरे बनी तो बिहार चुनाव के दौरान घटे घटनाक्रम भी छाए रहे।जिससे आहत नजर आए
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने भाषणों में सहिष्णुता
के पक्ष को प्रभावी ढ़ंग से रखा और असहिष्णुता को बर्दाश्त न करने की बात कहनी
पड़ी।
भारत और ग्रेट ब्रिटेन के संबंध गहरे होने के पिछे अनेको
कारण है जिसमे सबसे बड़ी जो बात है वो ये कि ब्रिटेन में रहने वाले ज्यादातर भारतीय मूल के कई लोगों ने वहां उद्योग-व्यापार में खुब नाम कमाए हैं और अपना
लोहा मनवाया है।सरलता और सुलभता के लिहाज से देखें तो दोनो ही देश एक दूसरे की
सभ्यता और संस्कृति से भली भांति वाकिफ हैं।जिससे संबंधो को प्रगाड़ बनाने में
आसानी होगी।नरेंद्र मोदी ने सकारातंमक पहल करते हुए कहा कि ग्रेट ब्रिटेन भारत के
लिए यूरोपीय संघ का प्रवेश द्वार है।
मेहरबानी नहीं
बराबरी चाहिए: नरेंद्र मोदी
भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित करते
हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लंदन के वेम्बले स्टेडियम में बड़े ही जोरदार
तरीके से कहा कि विश्व भारत की शक्ति को पहचानता है,और अब "हम दुनिया से मेहरबानी नहीं चाहते,अगर हम चाहते हैं तो बराबरी चाहते हैं,और
मैं 18 महीनों के अनुभव से कह सकता हूँ कि आज भारत के साथ जो भी बात करता है वो
बराबरी से बात करता है।हमसे जुड़ना चाहता है तो विन-विन फ़ॉर्मूला के साथ जुड़ना
चाहता है,आगे बढ़ना चाहता है तो क़दम से क़दम मिलाकर आगे बढ़ना चाहता है।मैं इसे
आने वाले भविष्य के शुभ संकेत के रूप में देखता हूँ."
अपने भाषण में मोदी ने ये भी घोषणा की
कि 15 दिसंबर से लंदन और अहमदाबाद के बीच सीधी उड़ान शुरू होगी। आपको बता दें कि लंदन
के वेम्बले स्टेडियम में मौजूद लगभग 50 हज़ार लोगों को मोदी ने एक घंटे
से भी ज़्यादा देर तक संबोधित किया।इस दौरान मोदी ने कहा कि, "2019 में महात्मा गांधी के जन्म के 150 साल पूरे हो रहे हैं।मेरे दो सपने
हैं- पहला सफ़ाई और दूसरा चौबीस घंटे बिजली पहुंचाने का। इसके लिए हमने सौर ऊर्जा, वायु ऊर्जा और अक्षय ऊर्जा से 150 गीगावॉट ऊर्जा पैदा करने का कार्य
शुरू किया है।"
मोदी ने कहा, "हम टैंक, पनडुब्बी, हल्के-भारी सभी तरह के हथियार ख़ुद बनाना चाहते हैं. आज विश्व की सबसे बड़ी
हथियार कंपनियां भारत के साथ वार्ता कर रही हैं।मैं दुनिया से कहना चाहता हूँ कि
भारत विश्व की एक छठी आबादी है। भारत की सुरक्षा विश्व की सुरक्षा की गारंटी है।"मोदी
यहीं नहीं रुके आगे बढ़ते हए नमो ने कहा कि "मेरे लिए एफ़डीआई का
मतलब फ़ॉरेन डाइरेक्ट इंवेस्टमेंट नहीं बल्कि फ़र्स्ट डेवेलप इंडिया है,बीते साल
के मुक़ाबले भारत में विदेशी निवेश में चालीस फ़ीसदी की वृद्धि हुई है।ये इस बात
का प्रतीक है कि विश्व का भारत के प्रति विश्वास बढ़ रहा है।"
मोदी ने अपने भाषण में जन धन योजना का
भी ज़िक्र किया साथ ही स्वच्छ भारत अभियान के मुद्दे पर बोलते हुए कहा कि, "ये अभियान बहुतों को बुरा लगा था लेकिन मुझे अच्छा लगा था, इस काम को मैंने
शुरू किया है, पहला काम उठाया टॉयलेट बनाने का. और मैं विदेश में रहने वाले भाइयों-बहनों का
आभार व्यक्त करता हूं कि कई विदेश में रहने वाले भाइयों-बहनों ने अपने गांवों में
सार्वजनिक शौचालय बनवाए।"
इतना ही नही भारतिय समुदाय के लोगों को
देखकर गदगद भाव से ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कैमरन ने भी कहा कि, "एक चायवाला कभी दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की सत्ता नहीं पा सकता लेकिन
मोदी ने उन्हें ग़लत साबित किया।उन्होंने सही कहा था कि 'अच्छे दिन आने वाले हैं'. डेविड कैमरन ने कहा कि मैं इससे आगे
बढ़कर ये कहूंगा कि 'अच्छे दिन ज़रूर आएंगे।"
भारत और ब्रिटेन में चरमपंथ का मुद्दा उठाते हुए
कैमरन ने कहा कि हमारे और आपके सामने चरमपंथ का ख़तरा है।आपने मुंबई में चरमपंथ
झेला हमने लंदन में।चरमपंथियों का मक़सद एक ही है।हमारे देशों को बांटना।लेकिन टीम
इंडिया और टीम यूके मिलकर इससे लड़ सकते हैं, जीत सकते हैं।निश्चित तौर पर
भारतिय प्रधानमंत्री का लंदन दौरा बेहद खास रहा और प्रभावी रहा। तमाम समझौते हुए।
अंतत: इतना तो कहा ही जाता है कि फिलहाल विदेशी सरजमी पर रह रहे भारतिय मूल के
लोगों के साथ अंग्रेजों के दिल में नरेंद्र मोदी ने भारत की सानदार छवी गढ़ दी
है।जिसका आने वाले समय में सकारात्मक परिणाम देश को देखने को मिलेगा।।
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