Sunday, 8 November 2015

महागठबंधन की ऐतिहासिक जीत या बीजेपी का गिरता जनाधार..?


संदीप कुमार मिश्र: मित्रों बिहार का चुनाव खत्म हुआ और नीतीश कुमार की अगुवाई में महागठबंधन ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की,नीतीश कुमार जी को सबसे पहले तो हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं कि बिहार में सुशासन का ग्राफ लगातार आप आगे बढ़ाते रहें।बिहार की जनता को भी हार्दिक बधाई कि आपने जनादेश निश्चिततौर पर अपनी इच्छा के मुताबिक दिया और नीतीश कुमार पर भरोसा जताया।बिहार की सम्मानित जनता अब आशा और उम्मीद करती है कि नीतीश कुमार के साथ लालू जी का गठबंधन विहार को आगे बढाने के लिए कदम से कम मिलाकर काम करेगा और जंगलराज की अवधारणा को खत्म करेगा।

बड़ा सवाल उठता है कि लोकसभा का आम चुनाव खत्म हुए अभी 2 साल भी नहीं हुए थे।देश की सम्मानित जनता ने विशाल और प्रचंड बहुमत से बीजेपी को सत्ता की कमान सौंपी थी।सबका साथ सबका विकास और एक भारत श्रेष्ठ भारत की बात करने वाली बीजेपी सत्ता पर काबिज हुई।और बीजेपी के मुखिया नरेंद्र मोदी की अगुवाई मे सरकार बनी।विकास पुरुष के रुप में नरेंद्र मोदी ने केंद्र में सरकार बनाई।जिसके बाद एक-एक करके बीजेपी ने कई राज्यों में कमल खिलाया।लेकिन विकास का रथ अचानक राजधानी दिल्ली में आकर रुक गया।जब अरविंद केजरीवाल की आप ने दिल्ली में ऐतिहासिक जीत दर्ज की।एक बार फिर बिहार में नीतीश की अगुवाई में महागठबंधन ने मोदी की अगुवाई में बीजेपी गठबंधन को करारी शिकस्त देते हुए बिहार में ऐतिहासिक जीत दर्ज की।


मित्रों मजे की बाद देखिए लोकसभा चुनाव के बाद जिस भी राज्य में चुनाव हुआ वहां जीत ऐतिहासिक ही हुई।जहां बीजेपी की सरकारें बनी,वहां की बात छोड़ दें तो दिल्ली और बिहार में ऐसा ही देखने को मिला।ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बीजेपी की साख गिर रही है,जनता का बीजेपी से मोह भंग हो रहा है।क्या बीजेपी के विकास के दावे और वादे अब झुठे लग रहे हैं। क्योंकि जिस उम्मीद आशा से नता ने बीजेपी पर भरोसा जताया था क्या वो सब इतिहास की बातें हो गयी अब।विकास,महंगाई, बेरोजगारी, भ्रस्टाचार की बातें क्या सिर्फ चुनावी मुद्दे बन कर रह गए।अब तो विचार भी होगा,चिंतन भी होगा और मंथन भी।क्योंकि हार का कारण ढ़ुंढे जाते हैं और जीत के मायने होते हैं।ऐसे में अब बड़ा सवाल यही उठता है कि क्या बीजेपी का जनाधार गिर रहा है...?

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