Saturday 7 November 2015

रंगोली संग दीवाली:खुशियों की अभिव्यक्ति



संदीप कुमार मिश्र: दोस्तों रंग-बिरंगी रंगोली हमारी भारतीय सभ्यता संस्कृति की परिचायक है। हमारी संस्कृति में पर्व,त्योहार और उत्सवों का खासा महत्व है।अतिथि देवो भव: के देश भारत में सब कुछ बेहद खास होता है।आतिथ्य और स्वागत की परंपरा का निर्वहन करते हुए हमारे यहां धरों के द्वार पर सुंदर-सुंदर रंगोलीयां बनाई जाती है।रंगोली हमारी प्रसन्नता और अतिथियों के सत्कार के साथ ही तीज,त्योहारों का प्रतीक है। मित्रों रंगोली किसे नहीं लूभाती ।हमारे देश में त्योहार कोई भी हो रंगोली के बिना खुशियां फीकी और अधूरी ही मानी जाती है।दरअसल रंगोली एक संस्कृत का शब्द है,जिसका अर्थ है रंगों के द्वारा अभिव्यक्ति।जी हां मित्रों  रंगों से सजी रंगोली वास्तव में हमारे प्रसन्नता की अभिव्यक्ति का ही माध्यम है।त्योहारों के दौरान हमारे यहां फर्श पर कच्चे रंगों से बनाई जाने वाली रंगोली एक हिंदू लोक संस्कृति और कला है।रंगोली का जिक्र हमारे शास्त्रों पुराणों में भी किया गया है।

कहा जाता है कि रंगोली का उद्भव और विकास भगवान ब्रह्मा जी के एक वाक्य से जोड़ा जाता है। कहते हैं अमूक राज्य के एक मुख्य पुरोहित के पुत्र की मृत्यु से दुखी राजा व प्रजा ने भगवान ब्रह्मा से प्रार्थना की कि वे उसे जीवित कर दें। ब्रह्मा जी ने कहा कि यदि फर्श पर कच्चे रंगों से मुख्य पुरोहित के पुत्र की आकृति बनायी जायेगी तो वह उसमें प्राण डाल देंगे।जब पुरोहित के पुत्र की आकृति बनाई गई तो पुरोहित का पुत्र जीवित हो उठा। तभी से आटे, चावल, प्राकृतिक रंगों एवं फूलों की पंखुड़ियों के द्वारा भगवान ब्रह्मा को धन्यवाद स्वरूप रंगोली बनाने की परंपरा आरम्भ हो गयी।
दोस्तों रंगोली की परंपरा की मूलतः शुरुआत महाराष्ट्र से मानी जाती है।और शनै: शनै: यह अनूठी और सुंदर परंपरा पूरे देश में शुरु हो गई। हमारे देश के दक्षिण हिस्से में रंगोली को कोलम, उत्तर भारत में चैर पूरना, राजस्थान में मांडणा, बिहार में अरिपन या अइपन कहा जाता है और पश्चिम बंगाल, उड़ीसा में अल्पना के रूप में जाना जाता है। रंगोली की खासियत होती है कि इसे बनाने में पिसे हुए सूखे प्राकृतिक कच्चे रंगों को आटे में मिलाकर फर्श में सुन्दर आकृतियां बनायी जाती हैं। रंगोली बनाने में अंगूठे और उंगली की चुटकी का इस्तेमाल किया जाता है।

 आईए आपको रंगोली के कुछ प्रकारों से अवगत कराते हैं,जिसे आप दीवाली के पावन अवसर पर घर में बनाकर खुशियों का इजहार कर सकते है। माता लक्ष्मी के आगमन का शुभ अवसर होता है दीपावली।और कहते है मां लक्ष्मी का स्वागत रंगोली के बिना अधूरा होता है। शुद्धता एवं सात्विकता की प्रतीक दीपावली के पांचों दिन आंगन में जब खूबसूरत रंगों से बनी रंगोली सजी हो तो किसे अच्छा नहीं लगेगा।


बाजार में उपलब्ध रेडीमेड रंगोली

अब तो बाजार में रेडीमेड रंगोली भी उपलब्ध हैं, जो स्टिकर के रूप में कई डिजाइंस व आकार में रहती हैं। इन्हें आप जहां चाहे वहां चिपका सकते हैं। इसके अतिरिक्त रंगोली बनाने के लिए तरह-तरह के डिजाइन वाले सांचे भी उपलब्ध होते हैं, जिनकी सहायता से आप कम समय में सुंदर व कलात्मक रंगोली तैयार कर सकती हैं।

फ्री-हैंड रंगोली
फ्री-हैंड रंगोली असल में रंगोली का आधुनिक रूप है। यदि ड्राइंग में आपका हाथ सधा हुआ है तो फ्री-हैंड रंगोली आपके लिए अच्छा विकल्प है। ये बिना किसी अनुशासन के खुद ही अपनी कल्पनाओं को जमीन पर उतारने की विध्ाा है। इसमें आप जैसे चाहे आकार बना सकते हैं। चाहे तो आप किसी पौराणिक पात्र की रचना कर सकती हैं या फिर फूल-पत्ती कार्टून की या किसी दृश्य की। इसमें रंग-संयोजन की भी छूट होती है।

क्ले रंगोली
मार्केट में तरह-तरह की क्ले किट उपलब्ध है। क्ले रंगोली को आप फर्श, प्लेट, लकड़ी की शीट आदि पर बना सकती है। क्ले को अच्छे से गूंथते हुए रंगोली की आकृति तैयार कर उसे रंग-बिरंगे मोती, कांच, नग, शंख, लेस आदि से सजाया जाता है। इस रंगोली को बनाने का एक फायदा यह है कि इसके बनाने पर जगह साफ रहती है और यह एक जगह सेट हो जाती है। क्ले रंगोली को आप अपने लिविंग रूप के कॉर्नर में बनाकर डेकोरेट भी कर सकती हैं।

फूलों से बनाएं रंगोली
दक्षिण भारत में ज्यादातर फूलों की रंगोली ही बनाई जाती है। यदि आपके पास भी बड़ी मात्रा में फूल उपलब्ध हों तो आप भी इस आकर्षक रंगोली को बनाकर अपना घर-द्वार सजा सकती हैं। अलग-अलग रंगों के फूलों से सजी रंगोली बेहद खूबसूरत दिखाई देती है। इन रंगोली पर दीयों की चमक पड़ते ही दमक उठता है घर-अंगना। तो फिर आप भी सजा लीजिए इस दीपावली पर रंगों की खूबसूरती अपने द्वार ताकि मां लक्ष्मी आप पर प्रसन्न रहें।

बनाएं पारंपरिक रंगोली
पारंपरिक रंगोली बिंदु डालकर कभी सीधी तो कभी घुमावदार रेखाओं से बनाई जाने वाली आकृतियां हैं। इसमें कभी ज्यॉमेट्रिकल आकृतियां बनती हैं या जुड़ती है तो कभी फूल-पत्तियों के आकार भी बनते और जुड़ते हैं। ये रंगोली बनाने का सबसे पारंपरिक रूप है। जो लोग बिगिनर्स हैं उनके लिए रंगोली बनाने का यह बहुत आसान उपाय है। सफेद रंग या चावल के आटे से आउट लाइन बनाकर अपनी रूचि के अनुसार इनमें रंग भरे जाते हैं या आउट लाइन बनाकर यूं ही छोड़ दिया जाता है।

मित्रों इस प्रकार से आस्था और विश्वास के देश में रंगोली बनाएं,और शुभ दीवाली की खुशियों में आनन्द पाएं।दीवाली की आप सभी को ढ़ेरों शुभकामनाएं।।


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