संदीप कुमार मिश्र: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री मिया नवाज शरीफ ने एक बार अलापा कश्मीर राग... ये
जानते हुए भी की कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था और रहेगा।दरअसल महिला अलगाववादी
संगठन 'दुखतरन-ए-मिल्लत' की नेता आसिया अंद्राबी को मिया नवाज ने एक पत्र लिखकर उनकी भूमिका की सराहना
की और अपनी सरकार की ओर से नैतिक, राजनीतिक और कूटनीतिक
सहयोग की प्रतिबद्धता जताई..शरीफ साब का वही पुराना राग,बकवास भरी दलील कि कश्मीर
पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव पुराने हो चुके हैं तथा उन्होंने इन प्रस्तावों को
जल्द लागू करने का आह्वान किया।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने यह पत्र आसिया
अंद्राबी की ओर से भेजी गई चिट्ठी के जवाब में लिखा हैं। आसिया ने कश्मीर मुद्दे
पर पाकिस्तान सरकार की नीति को लेकर संतोष प्रकट किया था।नवाज शरीफ ने आसिया से
कहा कि, 'आपकी ओर से मौजूदा रणनीति में विश्वास
प्रकट करना मेरे लिए संतोष का विषय है। कश्मीर मुद्दे को पाकिस्तान भौगोलिक अथवा
सीमा विवाद के तौर पर नहीं देखता। जहां तक हमारा सवाल है तो यह मुद्दा 1947 में भारत के बंटवारे के साथ जुड़े फार्मूले के क्रियान्वयन से संबंधित है।'
इतना ही नहीं भारत पर निशाना दागते हुए मिया
नवाज ने कहा कि, 'कश्मीर मुद्दे को लंबे समय तक बनाए रखने
का यह मतलब नहीं है कि संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव अपनी प्रासंगिकता खो चुके हैं।' उन्होंने कहा, 'अतीत में पाकिस्तान
कश्मीरियों को उनके संघर्ष के लिए नैतिक, राजनीतिक और कूटनीतिक सहयोग प्रदान करने में पीछे नहीं रहा है और इंशा अल्ला
आगे भी वह कश्मीरियों के साथ अधिक प्रतिबद्धता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा
रहना जारी रखेगा।'
दरअसल मई 2014 में बीजेपी की देश में जब सरकार बनी तब एक बार लगा कि पाकिस्तान के साथ बातचीत
को लेकर भारत सरकार की नीतियों में बदलाव देखने को मिलेगा। पाकिस्तान की ओर से
होने वाली उकसावे की कार्रवाई,सीमा पार से आतंकवादियों की घुसपैठ या फिर नियंत्रण
रेखा पर लगातार हो रही गोलीबारी का भारत सरकार मुहंतोड़ जवाब देगी।जिसका संकेत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने शुरुआती दिनों में यह कह कर दे दिया था कि
बातचीत और गोलीबारी साथ-साथ नहीं चल सकती।
कहीं ना कहीं भारत को यह भी समझना होगा
कि पाकिस्तान कभी भी हमार पड़ोसी मित्र देश नहीं हो सकता।पहले जहां पाक अमेरिका की
गोद में बैठकर हमारे देश भारत के लिए लगातार नापाक हरकतें करते आ रहा था तो वहीं
अब वह चीन की गोद में जा बैठा है। वक्त आ गया है कि पाकिस्तान को उसी की भाषा में
जवाब दिया जाए जब तक उसे उसी की भाषा में जवाब नहीं दिया जाएगा तब तक वह ऐसे ही लगातार
घाव हमें देता रहेगा।जो पाकिस्तान सिर्फ गोली की भाषा समझता हो,जिसके घर में खाने
के लाले पड़े हों वो हमेसा हमें धमकी देता रहता है,उसे चिंता इस बात की नहीं कि
उसके यहां शिक्षा का स्तर कैसे बढ़ाया जाए,समाज को जागरुक कैसे किया जाए,विश्व में
अपनी छवी कैसे सुधारी जाए...उसे तो बस ये सोचना है कि आतंकवाद के जनक का ताज उससे
कोई ना छिन ले।
तभी तो हाफिज सईद और दाउद इब्राहिम जैसे मानवता के दुश्मनो के लिए
जन्नत बन गया है पाकिस्तान।वहां कि हुकूमत फौज और आतंकी संगठन की गुलाम होती
हैं,प्रधानमंत्री एक मोहरा मात्र होते हैं और बात करते हैं कश्मीर की। एक के बाद
एक लगातार आतंकी वारदातें इस बात की तस्दीक करते हैं कि पाकिस्तान अपनी हरकतों से
बाज आने वाला नहीं है,और उसे उसी की भाषा में जवाब देना चाहिए।निश्चित तौर पर भारत
सरकार को पाकिस्तान के साथ कड़ाई से पेश तो आना ही चाहिए साथ ही अलगाववादी नेताओं
पर भी लगाम लगानी चाहिए,जो खाते तो हमारे देश का अन्न हैं लेकिन गाते हैं पाकिस्तान
का और झंड़े लहराते हैं आईएसआईएस का।ये कहने में कोई गुरेज नहीं होगा किसी भी
भारतिय को कि देशद्रोही विचारधाराओं के साथ निर्दयता और क्रुरता से सरकार को पेश
आना चाहिए..।खैर उम्मीद ही नहीं पूरा विश्वास है कि भारत सरकार पाकिस्तान की हर
नापाक हरकत का मुंहतोड़ जवाब दे रही है और आगे भी देगी।।
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