संदीप कुमार मिश्र : साल 2015 अपने अंतिम पड़ाव पर है ऐसे में देश के सभी बड़े
चेहरों की उपलब्धियों और नाकामियों पर लोगों की नजर जरुर जाएगी।हमने भी सोचा कि
क्यों ना ये जानने की कोशिश की जाए कि देश की सर्वोच्च सत्ता पर बैठे सुप्रिम पावर
की उपलब्धियों के बारे में सबसे पहले जाना जाय।तो दोस्तों नाम समझ में आया देस के
लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम। मित्रों नरेंद्र मोदी की काम करने की अपनी
एक स्टाइल है वो हमेशा लीक से हटकर काम करने के तरिंको के लिए जाने जाते हैं।
हम सब के लिए ये जानना बड़ा दिलचस्प होगा कि मोदी सरकार बनने के बाद नमो की
विकास की रफ्तार कैसी रही।चलिए जानने की कोशिश करते हैं-
दोस्तों अक्सर हम तीज त्योहार अपने परिवार के साथ ही मनाना पसंद करते
हैं।लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी दीवाली सियाचिन की बर्फीली चोटियों पर
सैनिकों का हौसला बढ़ाने के लिए उनके साथ मनाने के लिए पहुंच गए। प्रधानमंत्री मोदी
के इस प्रयास देश की सीमा पर दिन-रात डटे हमारे जवानो की जहां हौंसला अफजाई हुई वहीं
देश के आम लोगों में भी अच्छा संदेश गया।
देश के जवानों के
साथ पीएम का प्रेम जगजाहिर है सो हाल ही में हुई INS विक्रमादित्य
पर कमांडर कॉन्फ्रेंस का सुझाव भी पीएम मोदी ने ही दिया। जिसकी वजह से जो कॉन्फ्रेंस
हमेशा दिल्ली में हुआ करती थी वो कोच्चि से 50 किलोमीटर दूर समंदर में हुई।इस
कांफ्रेंस में पीएम मोदी ने जहाज पर सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों की मौजूदगी
में कंबाइम्ड कमांडर्स कॉन्फ्रेंस की अध्यक्षता की।इस प्रयास से देश ही नहीं
विदेशों में एक अच्छा संदेश गया।
वहीं काशी को क्योटो बनाने का मोदी का सपना जगजाहिर है।जिसके लिए देश में ऐसा पहली
बार हुआ कि दो देशों के मुखिया बाबा विश्वनाथ की नगरी वाराणसी में गंगा घाट पर एक
साथ नजर आए। 12 दिसंबर को काशी के मशहूर दशाश्वमेध घाट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान
के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने एक साथ गंगा आरती की। साथ ही जापानी पीएम के साथ कई
अन्य समझौते भी किए,जिसमें भारत में बुलेट ट्रेन लाने का प्रस्ताव भी शामिल है।
राजनीति का मोदी स्टाइल देश विदेश में हर किसी को खुब भा रहा है। आपको याद
होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक और काम पहली बार किया जी हां जो पहले कभी
नहीं हुआ। दरअसल ऐसा पहली बार हुआ कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनफिंग भारत आए तो
पहले अहमदाबाद गए। जहां पर पूरे पारंपरिक तरीके से उनका स्वागत किया गया और यहीं
पर चीन और गुजरात सरकार के बीच तीन अहम समझौतों पर भी दस्तख्त हुए।जबकि पहले ऐसा
होता कि कोई भी राष्ट्राध्यक्ष सबसे पहले राजधानी दिल्ली में आते थे।
ऐसा पहली बार हुआ जब 21 जून को पूरी दुनिया ने पहली बार विश्व योग दिवस
मनाया। जिसके लिए पहली बार देश के प्रधानमंत्री सड़क पर योग करते हुए देश के
नागरीकों के साथ दिखे। राजपथ पर रिकॉर्ड 37 हजार लोगों के साथ प्रधानमंत्री
ने सभी को योग के 18 अहम आसन करके दिखाए। इससे पहले देश को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने योग की तमाम
खासियतों के बारे में भी बताया।जिससे देश में योग के प्रति एक अच्छा संदेश गया।
विदेश में भारत की छवी और नीति को दुरुस्त करने के लिए अमेरिका न्यूयॉर्क के
मेडिसन स्कवायर में जहां हजारों से ज्यादा भारतीय जुटे थे वहां ऐसा पहली बार हुआ कि
जब अमेरिका से बाहर के किसी प्रधानमंत्री ने इतनी बड़ी तादाद में भारतीयों को
संबोधित किया हो। पीएम नरेंद्र मोदी के इस कार्यक्रम की हमारे देश की ही मीडिया ही
नहीं अमेरिकी मीडिया में भी जमकर वाहवाही लूटी। तमाम अखबारों ने पीएम के भव्य
स्वागत और उनकी लोकप्रियता को बढ़-चढ़कर छापा यहां तक की उन्हें रॉकस्टार तक कहा।इतना
ही नहीं अरमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने पीएम मोदी की कार्यशैली को देखते
हुए मैन आप एक्शन तक कहा।
गांधी जी का जन्म दिन यानि 2 अक्टूबर।ये वो दिन था जब लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी को हाथ में झाड़ू थामे कचरे की सफाई करते देखा।जिसे देखकर किसी को भी यकीन
नहीं हुआ कि देश का प्रधानमंत्री भी इस तरह सफाई करने के लिए सामने आ सकता है।यही
वो अवसर था जब सड़क साफ करने हुए देश भर में प्रधानमंत्री मोदी ने स्वच्छ भारत
अभियान की शुरुआत की।
इतना ही नहीं एक तरफ दिल्ली तो दूसरी तरफ पीएम कुछ दिनों बाद ही बाबा विश्वनाथ
की नगरी और अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी गंगा घाट की सफाई करते हुए नजर आए।
हाथों में फावड़ा लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने अस्सी घाट पर जमी मिट्टी और गंदगी को
साफ किया।और अपने स्वच्छ भारत मिशन को आगे बढ़ाने की पहल की।
भारतिय लोकतंत्र की सबसे बड़ी खूबसूरती है कि सत्ता और जनता के बीच संवाद बने
रहना चाहिए। इस जरूरत को समझते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुरु की एक
सार्थक पहल और नाम दिया मन की बात। दरअसल इस कार्यक्रम के माध्यम से हर महीने
रेडियो पर प्रधानमंत्री मोदी लोगों के बीच अपनी बात रखने और आम जन को सरकार के साथ
जोड़ने की कोशिश करते हैं और कामयाब हो रहे हैं।एक सरकारी आंकड़ों के अनुसार जब इस
कार्यक्रम की शुरुआत हुई ती तो पहली बार सरकार सीधे देश के 90 फीसदी लोगों तक पहुंची
थी।
अंतत : सियासत...बहस...आरोप-प्रत्यारोप...लगते
रहते हैं,लगते रहेंगे...क्योंकि यही लोकतंत्र की खासियत है और खूबसूरती है।लेकिन
सत्ता पर बैठी सरकारों के द्वारा जो भी सार्थक प्रयास किए जाएं या जो भी अच्छी पहल
जनहीत में हो उसकी तारीफ अवश्य करनी चाहिए और गलत कार्यों की आलोचना भी।
No comments:
Post a Comment