Wednesday, 9 December 2015

मैं इंदिरा की बहू हूं, किसी से नहीं डरती : चाहे भले जीएसटी लटक जाए…!


संदीप कुमार मिश्र : संसद की शीत सत्र एक बार फिर हंगामें की भेंट चढने को तैयार है...जिसके लिए तरोताजा मुद्दा तैयार हुआ वो है हेराल्ड का।जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी शामिल हैं।जब बात साब गांधी परिवार की हो तो सभी मुद्दे गौंड हो जाते है इस देश में।अब कांहे की असहिष्णुता,कांहे का विकास की बात और कांहें का जीएसटी।सत्र के आगाज से पहले कुछ उम्मीद थी कि जीएसटी बिल पास हो जाएगा लेकिन जिस प्रकार से संसद में लगातार हंगामा हो रहा उसे देखकर नहीं लगता कि कोई भी महत्वपूर्ण कार्य इस बार भी संसद में हो पाएगा।अब तो ऐसा लगने लगा है कि संसद के शीत सत्र में गर्मी का एहसास देने के लिए कांग्रेस ने कमर कस ली है,इसके लिए चाहे भले ही जनता की गाढ़ी कमाई का सत्यानाश हो जाए।

दरअसल नेशनल हेराल्ड के विवादास्पद मामले पर जिस तरह से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि , मैं इंदिरा की बहू हूं, किसी से नहीं डरती...और अपनी मां के सुर मे सुर मिलाते हुए राहुल गांधी ने कहा कि सरकार बदले की भावना से कारवाई कर रही है और मेरा मुंह बंद कराना चाहती है, मगर मैं चुप नहीं रहूंगा...।इस तरह की बातें बहुत कुछ कह जाती हैं और ये अहसास करा देती हैं कि संसद में क्या होने वाला है।

अब साब इस प्रकार के दोनों बयानों से ये तो जाहिर हो गया कि सरकार और विपक्ष की जिस खाई को प्रधानमंत्री मोदी भरना चाहते थे वो कांग्रेस के सांसदों के तेवर देखकर संभव नहीं लगता। और यही कारण है कि संसद के शीतसत्र में ना तो जीएसटी बिल पास होगा और ना ही कोई और महत्वपूर्ण कार्य हो पाएगा।वहीं बीजेपी कांग्रेस पर यह आरोप लगा रही है कि कोई भी राजनीतिक दल कारोबार को कैसे कर सकती है। जबकि बीजेपी पर पलटवार करते हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि बीजेपी भी केनस्टार म्युचुअल फंड में पैसा लगा चुकी है, और डिविडेंड भी हासिल किया है।साथ ही सिब्बल ने ये भी कहा कि बीजेपी ने भी एक अखबार चलाया हुआ है, और इनकमटैक्स के रिर्टन में घाटा भी दर्शाया था।

दरअसल इस पूरे मामले में खुद सुब्रमण्यम स्वामी ने चुनाव आयोग से पूछा था कि किसी भी राजनीतिक दल के पैसे खर्च करने के नियम क्या हैं,जिसके जबाब में चुनाव आयोग ने स्पस्ट कहा कि किसी भी राजनीतिक दल के पास पैसा कैसे आता है, उसका तो नियम है लेकिन कोई भी दल उसे कैसे खर्च करता है,इसका कोई भी प्रावधान नहीं है। ऐसे में किसी दल द्वारा लोन देना, लोन माफ करना कोई अपराध नहीं है...आपको बता दें कि यंग इंडियन ने कंपनी एक्ट के माध्यम से एसोसिएट जर्नल्स का अधिग्रहण किया था। जिसका दो तिहाई बहुमत से शेयर होल्डरों ने प्रस्ताव पास किया और यह सब एक्ट्रा ऑडिनरी जेनरल मींटिंग में हुआ।वहीं कांग्रेस का ये कहना है कि यंग इंडियन सेक्शन 25 कंपनी है, यानि यह चैरिटी के लिए है और प्रॉफिट या कोई डिविडेंट नहीं ले सकती। ऐसे में सोनिया या राहुल पर फायदा उठाने का आरोप किसी भी सूरतेहाल में नहीं लगाया जा सकता।

खैर कांग्रेस और सरकार की इस लड़ाई में नुकसान जनता का है क्योंकि संसद का शीतकालीन सत्र नहीं चलने से जीएसटी जैसे महत्वपूर्ण बिल पास नहीं हो पाएंगे।अब लगता कुछ ऐसा है कि 19 दिसंबर तक कांग्रेस इस मुद्दे को किसी न किसी तरह जिंदा रखेगी, क्योंकि कांग्रेस ने यह तय कर लिया है कि राहुल और सोनिया अदालत में पेश होंगें और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटाऐंगे। यानि ये मान लिया जाए कि हेराल्ड की लड़ाई लंबी चलने वाली है।क्योंकि कहीं ना कहीं ऐसा लगता है कि कांग्रेस नहीं चाहती है कि संसद के शीतकालीन सत्र में जीएसटी पारित हो। यदि शीतकालीन सत्र में जीएसटी पास नहीं होता है, तो यह 2016 के अप्रैल से लागू भी नहीं हो पाएगा।

अंतत: विपक्ष और सरकार की लड़ाई में नुकसान जनता का हो रहा है।जिसपर सभी विपक्षी दलों को सोचने की जरुरत है, और खासकर सत्तापक्ष को ज्यादा।क्योंकि सरकार आप हैं,और जनता की जवादेही आपकी ही होगी।विपक्ष का क्या है 44 से 4 पर आ जाएंगे लेकिन आप ने तो अच्छे दिन का वादा किया था उसका क्या होगा,...ये तो आपको ही सोचना होगा,जनता सब जानती है..लोकतंत्र का महाउत्सव पांच साल बाद फिर आता है...तब जवाब देना भारी पड़ जाएगा जनाब...।सोचिए....क्या करना है...?


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