Thursday, 17 December 2015

अखिलेश सरकार,लोकायुक्त और सुप्रीम कोर्ट


संदीप कुमार मिश्र: उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा सूबा। जहां से बनती देश की सियासत।जहां से संसद में चुनकर आते हैं सबे ज्यादा सांसद।आप समझ सकते हैं कि देश की सियासत में उत्तर प्रदेश की क्या भूमिका है।जहां पर है अखिलेश यादव की समाजवादी सरकार। दरअसल अखिलेश सरकार को जोर का झटका धीरे से देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आखिरकार उत्तर प्रदेश में लोकायुक्त नियुक्त कर दिया। जी हां रिटायर जज वीरेंद्र यादव को यूपी का लोकायुक्त बनाया गया है। कोर्ट के इस फैसले ने लंबे समय से यूपी में फंसी लोकायुक्त की नियुक्ति के मामले में एक बार फिर से प्रदेश की अखिलेश सरकार को बैकफुट पर खड़ा कर दिया।

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर्ड जज जस्टिस वीरेंद्र सिंह को यूपी का लोकायुक्त नियुक्त किया। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को लोकायुक्त के लिए पांच नाम देने को कहा था। लेकिन यूपी सरकार पांच नाम नहीं दे पाई।जिसके बाद अखिलेश सरकार को एक बड़ा झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आखिरकार उत्तर प्रदेश का लोकायुक्त तय कर दिया। उत्तर प्रदेश की सरकार को सुप्रीम कोर्ट में पहले भी कई बार झटका दे चुकी है...।

नजर डालते हैं उन फैसलों पर जिसमें यूपी सरकार हुई थी किरकिरी-

 9 अक्टूबर 2015 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी लोकसेवा आयोग के सचीव रिजवानुल रहमान को हटाने का आदेश दिया था जो कि सरकार नहीं चाहती थी।वहीं 14 अक्टूबर 2015 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) के अध्यक्ष पद पर अनिल यादव की नियुक्ति को 'अवैध' करार देते हुए रद्द कर दिया। साथ ही अदालत ने अखिलेश यादव की यूपी सरकार को इसके लिए आड़े हाथ लिया कि उसने उनकी 'ईमानदारी और पात्रता' के बारे में उचित जांच के बगैर ही उन्हें नियुक्त करके 'अपने संवैधानिक कर्तव्यों का उल्लंघन किया। इसके बाद  हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष लाल बिहारी पांडेय की नियुक्ति को अवैध घोषित करते हुए पद से हटाने का आदेश दिया था।इसी क्रम में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माध्यामिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के अध्यक्ष सुनिल कुमार को पद के लिए योग्यता नहीं रखने के कारण बर्खास्त करने के आदेश दिया था। साथ ही यूपी के कद्दावर अधिकारियों में गिने जाने वाले प्रोन्नत आईएएस अधिकारी एसपी सिंह को भी हाईकोर्ट ने तत्काल पद से हटाने के आदेश दे दिए थे।

इस पूरे मामले पर विपक्ष की भूमिका अदा कर रही पार्टी बीजेपी के प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक का कहना है कि फिलहाल मामला चाहे लोकायुक्त का हो या फिर उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग का। हर जगह यूपी सरकार को मात खानी पड़ी है और यह कहना गलत नहीं होगा कि यूपी सरकार के फैसलों में कोर्ट के बढ़ते हस्तक्षेप ने सरकार की भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए है।वहीं कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सत्यदेव त्रिपाठी का कहना है कि फिलहाल देश के इतिहास में पहली बार लोकायुक्त की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट के दखल से सरकार के होश फाख्ता हो गए हैं।

आपको बता दें कि रिटायर्ड जस्टिस वीरेंद्रसिंह का जन्म 4 जनवरी 1949 को हुआ। 1977 में पीसीएस (जे) में वो पहली बार अपॉइंट हुए और 1989 में हायर ज्यूडिशियल सर्विस के लिए प्रमोट हुए। 13 अप्रैल, 2009 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में ज्वॉइनिंग हुई, अप्रैल, 2011 तक यहां रहे।


अंतत: उत्तर प्रदेश में लोकायुक्त की नियुक्ति काफी लंबे समय से विवादों में रही।लेकिन सरकार को आईना दिखाते हुए आकिरकार यूपी में लोकायुक्त की नियुक्ती हो गई।अब देखना होगा कि आने वाले समय में अखिलेश सरकार का कदम क्या होता है...लेकिन बड़ा सवाल यही है कि आकिर अखिलेश सरकार क्यों नियुक्ति में कर रही थी आनाकानी।खैर 2017 अब दूर नहीं है जब यूपी में विधान सभा चुनाव होने है। से पब्लिक है साब सब जानती है और जल्द ही करेगी वोट की चोट।

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