संदीप कुमार मिश्र : सियासत में दोस्तों मुद्दों की कमी नहीं है।एक ढ़ुंढ़ो हजार
मिलते हैं।हमारे देश में सत्ता पक्ष हो या फिर विपक्ष।दोनो एक दूसरे के लिए मुद्दे
लेकर तैयार बैठे रहते हैं।अब कांग्रेस को ही लिजिए।कांग्रेस की मुम्बई से निकलने
वाली पत्रिका 'कांग्रेस दर्शन' में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के
सात ही पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर कई आपत्तिजनक लेख छापे गए है।इस
पत्रिका में जहां सोनिया गांधी के पिता को फासीवाद सैनिक बतलाया गया है,तो वहीं जवाहर लाल नेहरू के फैसलों पर सवाल उठाए
गए हैं।अब साब विपक्ष कैसे चुप बैठता और मीडिया को तो जितनी खबर मिल जाए कम ही है।
लेकिन सवाल तो है ही कि ये कैसा कांग्रेस दर्शन...?
दरअसल कांग्रेस की मुंबई यूनिट के इस मुखपत्र में कहा गया है कि भारत के सामने
कश्मीर, चीन
और तिब्बत जैसे समस्याओं के लिए जवाहर लाल नेहरू जिम्मेदार हैं।इस पत्रिका में
स्पस्ट तौर पर कहा गया है कि जवाहर लाल नेहरू को स्वतंत्रता सेनानी और पूर्व गृह
मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की बात मानना चाहिए थी। आपको बता दें कि शायद ही
कांग्रेस पार्टी ने इससे पहले इन दोनों नेताओं के बीच के मतभेद को कभी उठाया गया
हो।लेकिन 'कांग्रेस दर्शन' में अब इस मुद्दे को उठाकर सियासत में एक नऊ बहस को जन्म दे दिया है।इस लेख को
15 दिसंबर यानी
की सरदार बल्लभ भाई पटेल की पुण्यतिथि के मौके पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए
लिखा गया था।देश के दोनो बड़े नेताओं के संबंध में कांग्रेस दर्शन में कहा गया कि,
'पटेल के उप
प्रधानमंत्री और गृह मंत्री बनने के बावजूद दोनों नेताओं के बीच रिश्ते तनावपूर्ण
रहे और दोनों बार-बार इस्तीफा देने की धमकी देते रहे।'
मित्रों इस पत्रिका को पूर्व कांग्रेस सांसद और वरिष्ठ नेता संजय निरुपम की
देखरेख में निकाला जाता है,इस पत्रिका के कर्ताधर्ता वही हैं।लेकिन बवाल बढ़ता देख
संजय निरुपम ने माफी मांगी और कहा कि, 'लेख में जो शब्द इस्तेमाल किए गए हैं, वो आपत्तिजनक हैं और इस
भयंकर गलती को करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।'
कांग्रेस दर्शन में कहा गया कि सरदार वल्लभभाई पटेल के जन्म
दिवस(31
अक्टूबर) को 2014 से नेशनल यूनिटी डे के तौर पर मनाया जा रहा है। लगता है कि मुंबई स्थानीय
कांग्रेस कमेटी (एमआरसीसी) ये भूल गई है कि इसे विपक्षी दल बीजेपी के प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी ने ये कहते हुए शुरू किया था कि कांग्रेस ने अपने नेता को भुला दिया
है। वहीं इस लेख में कहा गया कि राजीव गांधी से शादी करने के बहुत समय बाद सोनिया
ने भारत की नागरिकता अपनाई थी। साथ ही उनके पिता को फासीवादी सैनिक भी कांग्रेस
दर्शन में बताया गया।साथ ही ये भी लिखा गया कि ‘‘ सोनिया गांधी ने कैसे 1997
में कांग्रेस की
प्राथमिक सदस्य के तौर पर पंजीकरण कराया और वह 62 दिनों में पार्टी की अध्यक्ष बन
गयी'। उन्होंने सरकार गठित
करने की भी असफल कोशिश की।'
अंतत:
अब सच क्या
है,ये तो कांग्रेस अध्यक्ष ही जाने या फिर कांग्रेस के बुजुर्ग और आला नेता या फिर
संजय निरुपम जो इस महान कांग्रेस दर्शन के संचालक हैं।लेकिन चर्चा के लिए इस दर्शन
में मुद्दा तो दे ही दिया।
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