संदीप कुमार मिश्र : देश में शायद ही कोई ऐसी पार्टी होगी जिससे मोहभंग शुरुआती दिनों से ही मन
में होने लगे,लेकिन उम्मीद और विश्वास के दीपक ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी ('आप") को वोट देने के लिए प्रेरीत किया और दिल्ली में इतिहास रच दिया।प्रचंड
बहुमत से आम आदमी पार्टी की सरकार दिल्ली में बना दी और विपक्ष को कहीं का नहीं
छोड़ा। राजनीति में भी उम्मीद करना बेमानी नहीं है,ये आस आम आदमी पार्टी ने दिल्ली
की जनता को दिखाई।
दरअसल रालेगन के सीधे-साधे इमानदार देशभक्त अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार विरोधी
आंदोलन की जब शुरुआत की,तो भ्रस्टाचार का तो पता नहीं लेकिन आंदोलन के गर्भ से एक
पार्टी का जन्म जरुर हुआ,जिसे दिल्ली के भोले भाले आम जनमानस ने बड़े स्नेह से गले
लगाया और आस लगायी कि अब उनकी उम्मीदों को जरुर पंख लगेंगे।लेकिन अफसोस की
उम्मीदें,आशाएं,अपेक्षाएं,सपने जो टूटने के लिए ही होते हैं एक बार फिर टूट
गए।क्योंकि जन-आकांक्षाओं के साथ केजरीवाल सरकार लगातार एक के बाद एक खिलवाड़ करती
जा रही है, इसकी बानगी तकरिबन रोज ही देखने को मिल जाती है।कभी खुद इमानदारी का गोल्ड
मैडल लिए केजरीवाल साब के द्वारा तो कभी सिल्वर,ब्रांज धारी उनके विधायकों और
नेताओ के द्वारा।
अब “आप” के विधायकों की कुंडली को दरकिनार भी कर दें तो लगातार एक
के बाद एक तुगलकी फरमान जारी हो रहे हैं।अब लोकपाल को ही लें जिसपर उंगलियां उठनी
शुरु हो गयी हैं और जनलोकपाल को जोकपाल कहा जाने लगा,जबकि शिक्षा के मुद्दे पर
विवाद अभी थमा नहीं था।अब तो लगता है जैसे
दिल्ली की सरकार सत्ता पर इसलिए ही काबिज हुई थी कि जितना विवाद कर सकते हो करो।हम
तो ऐसे ही हैं जी।विवादों की फेहरिस्त में आगे बढ़ते हुए दिल्ली के सीएम अरविंद
केजरीवाल ने अपने विधायकों की तनख्वाह व सुविधाओं में चार गुना बढ़ोतरी कर दी।आप को सोचकर भी
हैरानी होगी कि अब दिल्ली के विधायकों की सेलरी प्रधानमंत्री की सेलरी से भी
ज्यादा होगी।साथ ही दिल्ली के विधायकों को किसी भी अन्य राज्य के विधायक से ज्यादा
सेलरी मिलेगी। दिल्ली की जनता को झटका देते हुए केजरीवाल साब ने एक ही झटके में विधायकों
की सेलरी 88,000 रुपए से बढ़ाकर 2 लाख 36 हजार रुपए कर दी और नए साल का गिफ्ट दे
दिया।
दिल्ली केंद्रशासित प्रदेश
है,जहां के विधानसभा में विधायकों की संख्या 70 है जिसमें 67 विधायक आम आदमी
पार्टी के हैं।वेतन बढ़ोतरी का प्रस्ताव भारी बुमत और सर्वसम्मति से विधानसभा में
पास हुआ,जिसका लाभ किसे मिलेगा,ये शायद आपको बताने की जरुरत नहीं है।मजे की बात ये
है कि इस फैसले को केजरीवाल साब ने ही पास किया जिसने कुछ दिन पहले ही दिल्ली के विधानसभा में एक ऐसा
संशोधन पास किया था जिसमें प्राइवेट स्कूलों के लिए अपने शिक्षकों को सरकारी
स्कूलों के बराबर वेतन देने की जरुरत नहीं रह गई।दिल्ली स्कूली शिक्षा अधिनियम-1973 की धारा 10(1) को अब हटा दी गई है।
जबकि इस धारा में ऐसा प्रावधान था कि मान्यता-प्राप्त निजी स्कूलों के कर्मचारियों
को अपने समकक्ष सरकारी स्कूलों के कर्मचारियों के बराबर वेतन एवं सुविधाएं देनी
होंगी।अब जरा सोचिए क्या केजरीवाल साब शिक्षकों के साथ न्याय कर रहे हैं या फिर
दोहरा नजरिया अपना रहे हैं...?
इस प्रस्ताव पर
केजराल सरकार कितनी हास्यास्पद दलील दे रही है वो भी आप जान लें।दरअसल केजरीवाल
सरकार का कहना है कि इस फैसले से निजी क्षेत्र में स्कूल खुलेंगे और शिक्षकों को
रखना आसान होगा।अफसोस होता है कि जहां प्राइवेट स्कुलों पर मनमाने ढंग से नियमों
को लागू करने पर सरकार को पाबंदी लगानी चाहिए तो इसकी जगह पर केजरीवाल सरकार अपनी रोजमर्रा
की जरूरतों को पूरा करने के लिए तरसते शिक्षकों पर ही शिकंजा कस दिया। लेकिन दोस्तों
केजरीवाल साब को इस बात की चिंता जरुर थी कि जनसेवा के नाम पर सियासत में आए उनके
संगी-साथियों की मौज-मस्ती में कोई कमी न रहे,जिसके लिए उन्होंने यात्रा भत्ता 2
लाख रुपये कर दी।
विवादों में एक कदम और आगे बढ़ते हुए केजरीवाल सरकार नें एक और ताजातरीन फैसला
प्रदुषण को देखते हुए लिया।दरअसल केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में प्रदूषण के बढ़ते
स्तर को कम करने के लिए बड़ा फैसला लिया।जिससे 1 जनवरी से दिल्ली में आप अपनी
गाड़ी को महिने में सिर्फ 15 दिन ही सड़कों पर चला सकेंगे ।यानी अगर आपकी गाड़ी का
आखिरी नंबर ऑड यानी विषम है तो वो एक दिन और इवेन यानी सम नंबर है तो एक दिन चलाई
जा सकेंगी। मतलब 1 जनवरी 2016 से एक दिन ऑड नंबर गाड़ी चलेगी तो दूसरे दिन इवेन
नंबर की गाड़ी चलेगी।यानी अगर आपकी गाड़ी का आखिरी नंबर 1 3 5 7 9 है तो वो ऑड
नंबर है, और वो एक दिन चलेगी तो दूसरे दिन 2 4 6 8 0 आखिरी नंबर वाली गाड़ी यानी
इवेन नंबर वाली गाड़ी चलेगी।जबकि ये नियम बसें, टैक्सी और ऑटो रिक्शा पर लागू नहीं होगा।इसके साथ ही दिल्ली सरकार ने दिल्ली
के बदरपुर पावर प्लांट को बंद करने का एलान भी किया।
अब साब सोचना लाजमी है कि जिसकी आदत गाड़ी से जाने की होगी क्या वो बस या
टैक्सी से सफर करेगा क्या..?क्या वो किस्त पर दो प्रकार की गाड़ी नहीं खरीद लेगा..? इसी बहाने दुसरी गाड़ी भी हो
जाएगी।खैर इस फैसले से जनता में कहीं खुशी है तो कहीं गम,वहीं वेतनवृद्धि पर भी “आप” सरकार लगातार विपक्ष के
निशाने पर है।
अंतत: विड़ंबना ये है कि केजरीवाल साब को कोई समझाए भी तो वे कह देंगे कि सब चोर हैं
जी...आपस में मिले हुए हैं जी...मैं इमानदार जी...मेरी पार्टी और मेरे विधायक
इमानदार जी....बाकी सब बेइमान...। अब साब कैसे कोई उन्हें सलाह दे सकता है,किसे
बेइमान बनना है...दरअसल यही वो नारा भी था जिसका प्रचार प्रसार करके केजरीवाल साब
ने सत्ता की ऐसी छलांग लगाई कि राजनीति के सभी सुरमा ढ़ेर हो गए।बहरहाल हम तो यही
कहेंगे माननिय मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी कि ये दिल्ली की जनता है सब जानती
है।पांच साल केजरीवाल का नारा बदलते देर नहीं लगाती है...।।
No comments:
Post a Comment