Thursday, 31 December 2015

अबकी बार किसका पश्चिम बंगाल ?



संदीप कुमार मिश्र : एक के बाद एक राज्यों के चुनाव किसी उत्सव से कम नहीं होते हैं।इन चुनावो से जनता को जहां अपना नेता चुनने की स्वतंत्रता मिलती है।तो वहीं मीडिया को खबर और टीआरपी में बने रहने का अवसर भी।बिहार का चुनाव संपन्न हुआ और अब पश्चिम बंगाल की बारी है।देखना बड़ा दिलचस्प होगा कि अबकि बार किसका पश्चिम बंगाल...।

दरअसल चर्चा इसलिए भी कि क्या जिस प्रकार से वामपंथी दलों का सफाया करके ममता दीदी नें पश्चिम बंगाल की बागड़ोर अपने हाथ में संभाली थी,तो क्या इस बार खुद ममता बनर्जी के सफाए की तैयारी है ?ऐसा इसले भी कि केन्द्र में सत्तारूढ़ बीजेपी यही चाहेगी कि बंगाल में कमल खिले।दोस्तों पश्चिम बंगाल में ममता दीदी की सरकार का पांच साल का कार्यकाल समाप्त होने वाला है और कुछ महिनों बाद ही चुनावी शंखनाद भी होना है।ऐसे मे ममता बनर्जी की हर हाल में यही कोशिश होगी कि वो बीजेपी का बंगाल के सपना पूरा ना होने दे और इसके लिए ममता कुछ भी करने को तैयार रहेंगी।ममता की कोशिश बंगाल में भी गठबंधन की हो सकती है।

इसके पीछे आप जो चाहे वो तर्क लगा सकते हैं, बीजेपी की कुछ सिटों पर जीत या फिर शारदा घोटाला में सीबीआई की कार्यवाही में आयी तेजी।ममता दीदी का डर लाजमी है क्योंकि अगर शारदा घोटाले में कुछ बडे नाम उजागर होते हैं तो ममता की मुश्किलें बढ़ना स्वभाविक है।इसमें भी कोई शक नहीं कि बीजेपी ममता के कारनामें का खुलासा करके सत्ता के करीब पहुंच जाए।

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई शारदा घोटाले की जांच कर रही है।इस नजरिये से इस मामले में सियासत की गुंजाइश कम हो जाती है लेकिन फिर भी ऐसा कैसे हो सकता कि सियासत ना हो।क्योंकि सुप्रीम कोर्ट खुद सीबीआई को केन्द्र सरकार का तोता कह चुकी है।लेकिन एक बात तो तय है कि ममता बनर्जी की मुश्किले सीबीआई की कार्यवाही में आई तेजी से तय है।

कुछ दिनो पहले की ही बात है कि सीबीआई ने टीएमसी के बड़े नेता और पार्टी के जनरल सेक्रेटरी शंकूदेव पांडा से पूछताछ की थी,जिसके कुछ दिन बाद ही ममता बनर्जी नें उन्हे पार्टी से निकाल बाहर किया। कहा जाने लगा कि पांडा महोदय ने बडे प्यार से सीबीआई के सामने सब कुछ कह दिया और कई नेताओं के नाम भी गिनाए।इसलिए ही ममता नें पांडा को पार्टी से शहीद कर दिया।


आपको याद होगा कि इससे पहले सीबीआई ने टीएमसी के कई दिग्गजों जैसे मदन मित्रा, श्रिंजॉए बोस और कुनाल घोष से पहले ही पुछताछ कर चुकी है। मीडिया में लीक हुई खबरों के मुताबिक कुनाल घोष ने तो सीबीआई के सामने यहां तक दावा किया है कि शारदा घोटाले में पार्टी सुप्रीमों ममता बनर्जी को भी फायदा पहुंचा है।वहीं शारदा घोटाले की इस जांच के दौरान ममता के कई करीबियों ने पार्टी से दूरी भी बना ली है। इसमें खासतौर पर कभी ममता के बेहद करीबी रहे मुकुल रॉय भी थे जो पिछले 10 महीनों से पार्टी से बाहर थे और माना जा रहा था कि वह टीएमसी के जवाब में नई पार्टी बनाने की जुगत में लगे हैं।कहने का मतलब ममता दीदी जिस साफगोई से बाते करती हैं उतनी ही साफगोई से शारदा घोटाले में शामिल भी रही हैं..!

खैर,शारदा घोटाला हमारे देश का अबतक का ऐसा सबसे बडा घोटाला है जिसे सियासत का सबसे बड़ा स्कैंडल माना जा रहा है और ऐसे में उसका पूरा ताना बाना ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी के आसपास ही बुना गया है तो यह एक गंभीर मुद्दा भी है और समस्या भी।मतलब साफ है कि पश्चिम बंगाल चुनाव से पहले अगर शारदा घोटाला मामले में असलियत सामने आ गयी तो ममता बनर्जी का बड़ा नुकसान होना तय है और संभव है कि बंगाल की सियासत में एक ऐसा उलटफेर हो जिसका अंदाजा किसी ने ना लगाया हो अबतक।


अंतत: कहना गलत नहीं होगा कि शारदा घोटले में जिस प्रकार से सीबीआई ने फुर्ती दिखाई है,उससे ममता दीदी की तबियत नासाज होनी तय है।लेकिन थोड़ा इंतजार आप भी करिए हम भी करते हैं। क्योंकि पूरी पिक्चर तो अभी बाकी है मेरे दोस्त...।

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