Saturday, 12 December 2015

क्या पंजाब में चलेगी अरविंद केजरीवाल की झाडू...?


संदीप कुमार मिश्र : दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी ने बेहद कम समय में एक ऐसा इतिहास रचा कि कांग्रेस और बीजेपी जैसे बड़ी पार्टीयां हवा हो गई।जिसके बाद अति उत्साह में आम आदमी पार्टी ने पूरे देशभर 2014 में लोकसभा का चुनाव लड़ा जिसमें उसकी करारी हार हुई।लेकिन पंजाब में मिली लोकसभा की चार सीटें आप पार्टी के लिए संजिवनी का काम कर गई।ऐसे में जब पंजाब में विधानसभा चुनाव नजदीक है तो क्या आम आदमी पार्टी के दावे पर मुहर लगाई जा सकती है कि पंजाब में चलेगी झाडू और सत्ता पर काबीज अकाली और बीजेपी का होगा सफाया...?

दरअसल पंजाब में अकाली दल और भाजपा जो सरकार में हैं इनके साथ ही कांग्रेस की जिस प्रकार से छवी बन रही है और अरविंद केरीवाल की आम आदमी पार्टी जिस तरह से अपनी तैयारियों में जुटी है,उससे क्या आप की दिल्ली की तरह पंजाब में भी इतिहास रच सकती है..? दिल्ली में आयोजित आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में पार्टी मुखिया अरविंद केजरीवाल ने अपने कार्यकर्ताओं से कहा था कि पंजाब में भी पार्टी को दिल्ली जैसा मौका मिल सकता है।केजरीवाल ने ये भी कहा कि, ‘दिल्ली की जीत एक चमत्कार थी। हमें बस ईमानदारी से कठिन काम करते रहना है।चुनाव के पीछे मत भागें। हमें पंजाब में भी अवसर मिलने जा रहा है,ऐसा इसलिए भी कि एक कार्यक्रम में हाल ही में केजरीवाल ने बीजेपी नेता नवजोत सिंह सिद्धू को पार्टी में आने के लिए कहा।जिसपर सिद्दू की तरफ से फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी लेकिन उनकी पत्नी का कहना था कि अगर बीजेपी अपने संबंध अकाली से नहीं तोड़ती है तो  केजरीवाल से हाथ मिला सकते हैं।

2014 के लोकसभा चुनावों में पार्टी को पंजाब में जो चार सीटें मिलीं वे सभी पंजाब से ही थीं। दो बार विधानसभा चुनावों में आप को जिताने वाली दिल्ली तक में तब पार्टी का खाता नहीं खुल सका था। उस समय आम आदमी पार्टी को पंजाब में 24.4 फीसदी वोट मिले थे। वहां पार्टी को मिली सफलता के विश्लेषण से यह बात सामने आई कि लोग कांग्रेस के साथ-साथ अकाली-भाजपा गठबंधन से भी तंग हैं।यही वजह है कि सूबे के लिए एक अनजान सी पार्टी को भी चार सीटें मिल गईं। जिससे आम आदमी पार्टी के हौंसले पंजाब में बुलंद हैं और यहीं कारण है कि  आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को यह लगने लगा कि पंजाब में पार्टी के लिए बहुत बड़ी संभावनाएं हैं।ये बात हम सब जानते हैं कि आप पार्टी के काम करने का तरिका बिल्कुल अलग है इसलिए वो लगातार पंजाब में अपने स्तर पर काम कर रही है।कुछ राजनीति पंडितों का भी कहना है छोड़ी जल्दबाजी होगी लेकिन पंजाब में आप पार्टी अपने पक्ष में माहौल बनाते दिख रही है। वहीं उनका ये भी कहना है कि 2017 के चुनाव में अकाली और भाजपा को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।साथ ही कांग्रेस के लिए कहा जा रहा है कि कांग्रेस अपने आंतरिक मतभेद से जूझ रही है। दरअसल कांग्रेस में पार्टी के वरिष्ठ नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह और प्रदेश अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा के मतभेद जगजाहिर हैं।वहीं प्रदेश में बादल के खिलाफ एंटी-इन्कंबेंसी की बात भी कही जा रही है और ऐसे भी प्रकाश सिंह बादल की सरकार पर कई तरह के आरोप भी लगते रहे हैं।ऐसे में किसी पार्टी के उदय की बात अगर की जाए तो सिर्फ विकल्प आप पार्टी ही नजर आती है।

कहना गलत नहीं होगा कि अगर अकाली सरकार पंजाब में कुछ बेहतर करके नहीं दिखाती तो नई नवेली और राजनीति में अपनी मजबूत पकड़ बना चुकी आम आदमी पार्टी 2017 के चुनावों में कब बाजी पलट दे कहा नहीं जा सकता। हालांकि अरविंद केजरीवाल के लिए पंजाब की राह इतनी भी आसान नहीं है क्योंकि पार्टी को आंतरिक मतभेद से भी जूझना पड़ा रहा है।आप पार्टी के चार में से दो सांसदों धर्मवीर गांधी और हरिंदर सिंह खालसा पर अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की गई है।इसके अलावा भी पार्टी से जुड़े कई तरह के मतभेद और विवाद मीडिया की सुर्खियों में रहे।बावजूद इसके पार्टी के हौंसले पंजाब में परवान चढ़ रहे हैं।

पंजाब में मुख्यतौर पर अकाली-बीजेपी और कांग्रेस का ही कब्जा रहा है जिसे आप पार्टी अपनी रैलियों के माध्यम से पंजाब जोड़ोरैली का नाम देकर अकाली-भाजपा सरकार के कार्यकाल में पंजाब की बदहाली का मसला और कांग्रेस के शासन में हुए भ्रष्टाचार का लगातार जिक्र कर हमला बोल रही है। इसके अलावा आप पार्टी पंजाब में भी दिल्ली की तरह ही लोगों से सीधा संवाद स्थापित करने की योजना के तहत काम कर रही है।हालांकि यहां ऐसा करना बेहद मुश्किल है।क्योंकि दिल्ली में जहां 36 लाख घर हैं, वहीं पंजाब में यह आंकड़ा 70 लाख है।कहा जा रहा है कि घरघर जाने का अभियान आप पार्टी अगले साल जनवरी से शुरू करने वाली है। इसके लिए उसने बूथ स्तर के 23,000 कार्यकर्ताओं को लगाने की योजना बनाई है। ये कार्यकर्ता घरघर जाकर लोगों से संवाद बनाने की कोशिश करेंगे।


अब अगर पंजाब में पार्टी के पक्ष में माहौल बनता हुआ नजर आ रहा है तो इसके लिए रणनीति बनाने का कार्य दिल्ली में बैठे अरविंद केजरीवाल लगातार कर रहे हैं। अरविंद केजरीवाल की दिल्ली सरकार काम दिल्ली में कर रही है लेकिन पार्टी के कार्यकर्ता उसका प्रचार पंजाब में करके अपने पक्ष में माहौल बनाने की लगातार कोशिश कर रहे हैं।

पंजाब की सत्ता पर काबीज होने के लिए आप पार्टी ने पंजाब से लेकर कनाडा तक एक कर दिया है जिसके लिए पार्टी के पंजाब प्रभारी संजय सिंह और वरिष्ठ नेता आशुतोष ने कनाडा का दौरा भी किया।जहां एक अनुमान के अनुसार अमेरिका और कनाडा जैसे देशों में 50 लाख से अधिक पंजाबी रहते हैं।जिसे कहीं ना कहीं आप पार्टी लुभाने की कोशिश कर रही है।क्योंकि पंजाब के एनआरआई ना सिर्फ पार्टीयों को चंदा देते हैं बल्कि देश की सियासत में अच्छा रसूक भी रखते हैं।

अंतत: ये कहना गलत नहीं होगा कि राजनीति में कुछ भी संभव है जिसका परिणाम हम दिल्ली में देख चुके हैं।अगर ऐसा होता है कि पंजाब की सत्ता पर भी आम आदमी पार्टी का उदय होता है तो निश्तित तौर पर देश की सियासत में अरविंद केजरीवाल कद काफी बढ़ जाएगा जिसका असर 2019 के लोकसभा चुनाव में अवश्य देखने को मिलेगा।



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