Friday, 18 December 2015

वह आदमी


वह आदमी
जिंदगी को
अपनी तरह से जीता
एक अलग किस्म का
आदमी है वह
वह सफेद कपड़ों की तरह
बर्दास्त नहीं कर पाता गंदगी
सच बोलने के जुर्म में
नकार दिया गया है वह
उसके पास
सिर्फ एक ही चेहरा है
या
चेहरे बदलने की कला से
वाकिफ़
नहीं है वह
शायद उसे पसंद नहीं है
चेहरा बदलना
मैं करीब हूं उसके
और उसके दू:खों की आंच
छू रही है मुझे,
और मैं अब....पसीने से...तर-ब-तर हो गया हूं...।।।




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