वह आदमी
जिंदगी को
अपनी तरह से जीता
एक अलग किस्म का
आदमी है वह
वह सफेद कपड़ों की तरह
बर्दास्त नहीं कर पाता गंदगी
सच बोलने के जुर्म में
नकार दिया गया है वह
उसके पास
सिर्फ एक ही चेहरा है
चेहरे बदलने की कला से
वाकिफ़
नहीं है वह
शायद उसे पसंद नहीं है
चेहरा बदलना
मैं करीब हूं उसके
और उसके दू:खों की आंच
छू रही है मुझे,
और मैं अब....पसीने से...तर-ब-तर हो गया हूं...।।।
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