संदीप कुमार मिश्र : एक के बाद एक संसद की कार्यवाही लगातार बाधित हो रही है,कभी
किसी मुद्दे पर तो कभी किसी।मोटी मोटी तनख्वाह पाने वाले पूंजीपती सांसद संसद में
हंगामा करके गरीबों का हक मार रहे हैं।नेताओं का तो कुछ नहीं जा रहा लेकिन जनता की
गाढ़ी कमाई हंगामें की भेंट चढ़ रही है।जिसकी जवाबदेही कोई भी पार्टी लेने को
तैयार नहीं है।सरकार विपक्ष से संसद चलने का आग्रह कर रही है,और विपक्ष लगातार
संसद की कार्यवाही को हंगामें की भेंट चढ़ा रहा है जिसकी वजह से जनहीत के तमाम
महत्वपूर्ण बिल पास नहीं हो पा रहे है।ये सही है कि लोकतंत्र में विपक्ष को आवाज
उठाने का हक है,विरोध करने का अधिकार है लेकिन ऐसे भी विरोध का क्या फायदा कि संसद
ठप्प हो जाए।
दरअसल कांग्रेस लगातार संसद के शीतसत्र में हंगामा कर रही है,क्योंकि सरकार ने
कहीं ना कहीं उसकी दुखती रग पर हाथ रख दिया है,जिसकी वजह से संसद नहीं चल पा रही
है,जिसके जवाब में आज प्रधानमंत्री को संसद में बोलना ही पड़ा।जब लगातार संसद
हंगामें की भेंट चढ़ रहा था तो कहीं ना कहीं आजिज होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
ने अप्रत्यतक्ष रुप से कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा।प्रधानमंत्री ने साफ कहा कि
ये दुख की बात है कि संसद नहीं चल रही है।एक समाचार पत्र के कार्यक्रम में पीएम मोदी का कहना था कि मनतंत्र से देश नहीं
चल सकता और लोकतंत्र को सबसे बड़ा खतरा मनतंत्र से ही है।लोकतंत्र किसी की मर्जी और पसंद
के अनुसार काम नहीं कर सकता है।
क्योंकि लगातार संसद की कार्यवाही में बाधा पड़ने से हक गरीबों का मारा जाता
है।संसद की कार्यवाही अगर शुचारु रुप से चलती तो सिप्फ जीएसटी ही नहीं,और भी गरीबों की भलाई से संबंधीत अटके हुए काम संसद में
पास हो पाते। आपको बता दें कि कांग्रेसी सांसदों के कथित ‘बदले की राजनीति’ के विरोध में हंगामा किए
जाने की वजह से संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही बीते तीन दिनों से लगातार बाधित
हो रही है और संसद में किसी भी प्रकार का काम नहीं हो पा रहा है।
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में ये भी कहा कि अगर ईमानदारी से कोशिश की जाए तो
बदलाव मुमकिन है। देश के विकास के लिए भागीदारी बहुत जरूरी है। हर छोटे काम के लिए
सरकार पर निर्भरता ठीक नहीं। हम भारत की विकास यात्रा को एक जन आंदोलन बनाएं। पीएम
का ये भी कहना था कि जन सामर्थ्य को स्वीकार करें, तभी वह सच्चे अर्थ में लोकतंत्र
में परिणत होता है।
अंतत:
कांग्रेस
सहीत अन्य सभी विपक्षी पार्टीयों को सोचने की जरुरत है कि संसद की कार्यवाही पर
नजर सिर्फ देश की जनता की ही नहीं,विश्व भर की लगी रहती है।ऐसे में संसद की
कार्यवाही को ठप करके हम क्या साबीत करना चाहते हैं।लोकतंत्र को सही मायने में समझने
की जरुरत है,और संविधान की बाते करने भर से काम नहीं चल सकता बव्कि उसे सही मायने
में क्रियान्वीत करने की जरुरत है।देश आगे बढ़ रहा है,अपनी पहचान को भारत नीत नई
उंचाईंयों पर ले जा रहा है,जिसमें हम सब सहयोगी की भूमिका में रहें ना कि निराशा
पैदा करें।वरना चुनाव तो हर पांच साल बाद आता ही है,हिसाब देश की सम्मानित जनता कर
ही लेगी।
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