Saturday, 12 December 2015

मोदी और आबे के मिलन का साक्षी काशी का दशाश्वमेध घाट



संदीप कुमार मिश्र : मोदी सरकार के सत्ता पर काबीज होने के बाद देश उम्मीदों की अंगड़ाई लेने लगा।हर किसी की जुबान से एक श्वर में एक आवाज निकली की अच्छे दिन आने वाले हैं,जिसकी झलक कहीं ना कहीं देखने को भी मिल रही है लेकिन मात्र ड़ेढ़ साल में में हम देस को विकास की सर्वोच्च शिखर पर पहुंचा दें ऐसा हो नहीं सकता,लेकिन सरकार द्वारा किए जा कार्य की गती को देखकर उम्मीद जरुर की जा सकती है।जैसा की देखने को भी मिल रहा है।विश्व पटल पर भारत की पहचान लगातार बढ़ती जा रही है।श्व के सभी शक्तिसाली और विकसीत देशों को भी लगने लगा है कि भारत भविष्य की बड़ी आर्थिक संभावनाओं का देश है।जिसके लिए मौदी सरकार लगातार बेहतर प्रयास कर रही है।यहां तक की अमेरिका के राष्ट्रपति बराक औवामा भी मोदी को मैन आप एक्शन कह कर संबोधीत करते हैं।


खैर काशी को क्योटो बनाने का सपना दिखाने वाले जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बनारस पहुंचकर गंगा आरती में शरीक हुए।विश्व का सबसे प्राचीन नगर और देश की धार्मिक और सांस्कृति राजधानी कहा जाने वाला अल्हड़ शहर वाराणसी दोनों नेताओं के स्वागत के लिये सज-धज कर पलक पांवड़े बिछाए तैयार था। जब दोनों नेता गंगा आरती में शिरकत करने के लिए दशाश्वमेध घाट पहुंचे तो वातावरण भक्तिमय हो चुका था और सुरक्षा व्यवस्था चौकन्नी हो गई थी ।


आपको बता दें कि गंगा आरती में सम्मिलित होने से पूर्व दोनों नेता गंगा पूजन में शरीक हुए साथ ही  दोनों नेताओं ने करीब 10 मिनट तक चले गंगा पूजन में विधिवत पूजा-अर्चना भी की।प्रकांड पंडितों ने मोदी और आबे के माथे पर तिलक किया और वैदिक मंत्रों के बीच दोनों प्रधानमंत्रियों ने गंगा की आरती उतारी।


सबसे मजे की बात ये रही कि जापानी पीएम शिंजो आबे भारतीय परिधान में दशाश्वमेध घाट पहुंचे।इससे पहले राजधानी दिल्ली में दोनों देश भारत में बुलेट ट्रेन चलाने के लिए 98 हजार करोड़ रुपये के एक करार समते कुछ अन्य समझौते पर दस्तखत किए। जापानी शहर क्योटो की तरह ही काशी के धरोहरों को संजोने, और ट्रैफिक व्यवस्था के साथ ही बुनियादी ढांचा के सुधारने पर बातचीत के आगे बढ़ने की लगातार कोशिशें हो रही है।वाराणसी की पावन धरती पर दोनो नेताओं के आगमन पर बाबतपुर एयरपोर्ट से लेकर दशाश्वमेध घाट तक स्वागत और सुरक्षा का अभूतपूर्व इंतजाम किया गया था।यही नहीं सुरक्षा का खास ध्यान रखते हुए तीनों सेनाओं का भी सहयोग लिया गया। शिंजो अबे के स्वागत में एयरपोर्ट से होटल गेट-वे के बीच करीब 22 किमी के सफर में रास्ते के दोनों छोर पर स्कूली बच्चे भारत-जापान के झंडे लहराते दिखें,जिसमें भारतिय संस्कृति की झलक साफ देखी जा रही थी।



इतना ही नहीं दशाश्वमेध के पावन घाट पर देव दीपावली की तरह भव्य गंगा आरती आंखों को ही नहीं मन को शांती और सुकुन देने वाली थी। देशी-विदेशी फूलों की सुगंध घाटों पर अद्भूत महक बिखेर रहे थे।सेना के इंजीनियरों ने गंगा में तैरने वाले मंच पर दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल के बैठने की व्यवस्था की।दोनों देशों के डेढ़ सौ से ज्यादा प्रतिनिधि भी काशी में गंगा आरती के गवाह बने।


अंतत: बाबा विश्वनाथ की नगरी और यहां को लोगों के लिए दो देशों के प्रमुखों का स्वागत अद्भूत था।उम्मीद ही नहीं विश्वास भी है कि काशी को कितना भी आधुनिक क्यों ना बनाया जाए लेकिन काशी अपनी प्रचीनता नहीं खोएगी और शिंजो अबे के इस दौरे के बाद जिस विकास की बात मोदी सरकार बनने के बाद लगातार होती रही है उसे गति मिलेगी।आपको ये भी बता दें कि वाराणसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र भी है,जिसके बिकास और स्वच्छता की बात मोदी लगातार करते रहते हैं।




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