Friday, 18 December 2015

सोनिया गांधी,राहुल गांधी...नेशनल हेराल्ड मामले में...हाजिर हों...!


संदीप कुमार मिश्र : देश में पल पल बदलती सियासत और हर पल बदलते पैंतरे,किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं। दोस्तों कल यानि शनिवार को एक नेशनल ड्रामा देकने के लिए तैयार हो जाईए..जी हां नेशनल हेराल्ड मामला...वही मामला जिसे लेकर कांग्रेस ने संसद के शीतकालीन सत्र का सत्यानास कर दिया।जनता की गाढ़ी कमाई की ऐसी तैसी कर दी थी,खुब हो हंगामा संसद में मचाया गया,कई पार्टीयों ने भी खूब सुर में सुर मिलाकर गला फाड़ा।

लेकिन अब शनिवार को कांग्रेस की मुखिया सोनिया गांधी और राहुल बाबा दिल्ली में निचली अदालत के सामने पेश होने जा रहे हैं।दरअसल नेशनल हेराल्ड मामले को कांग्रेस राजनीति से प्रेरित मान रही है,इसलिए तैयारी भी पूरी राजनीतिक तरीके से ही कर रही है।

मित्रों आप माने या ना माने लेकिन नेशनल हेराल्ड मामला किसी राष्ट्रीय नौटंकी से कम नहीं है।जिसमें एक के बाद एक खेल केला जा रहा है,जिसके नए एपिसोड में लोकेशन दिल्ली का पटियाला हाउस कोर्ट  है,जहां नया एपिसोड सूट होना है। दरअसल सोनिया गांधी और राहुल गांधी की पेशी कहने के लिए तो एक आसान सी जुडीशियल प्रक्रिया है।जिसमें कोर्ट के सामने सोनिया और राहुल को पेश होकर एक पर्सनल बॉन्ड भरना होगा। मामला जब इतना हाईप्रोफाइल परिवार से जुड़ा हो तो नैशनल ईवेंट कैसे ना बने और कांग्रेस पार्टी इसका राजनीतिक लाभ क्यों ना उठाए।क्योंकि इसी मुद्दे की वजह से कांग्रेस ने संसद नहीं चलने दी और सरकार ने जनता के बीच इस बात को अच्छी तरह से फैलाया,जिसमें कांग्रेस की खुब किरकिरी हुई।  

अब नेशनल हेराल्ड के जिन्न को लेकर कांग्रेस का प्लान है कि शनिवार दोपहर पूरा देश आश्चर्यचकित होकर राजनीति की तथाकथित साजिश का चश्मदीद बने। पहला प्लान फेल हो जाने के बाद कांग्रेस  चाहती है कि कोर्ट में पेश होकर देश की आवाम को ये दिखा दिया जाए कि किस तरह सत्ता के मद में चूर होकर मोदी सरकार सोनिया और राहुल को खामखां अदालती चक्कर में डालकर कठघरे में खड़ा कर रही है।

सोनिया के सिपहसालार ये भी चाहते हैं कि सोनिया गांधी के दर्द को देश का दर्द बना दिया जाए।उनकी पीड़ा को देश की पीड़ा बना दी जाए।लेकिन कौन कहे साब देश की आवाम तो पहले से ही पीड़ित है आपके शासन में हुए भ्रस्टाचार से,महंगाई से,गरीबी से,अमीरों और गरीबों के बीच बढ़ी दूरी से। खैर अपने इस राष्ट्रव्यापी पीड़ा अभियान को सफल बनाने के लिए कांग्रेस आलाकमान पूरे जोरशोर से तैयारीयों को अंजाम दे रहा है,जिसके तहत देश के अन्य राज्यों से भी कार्यकर्ताओं को दिल्ली बुलाने का प्लान है।

अब भई संसद में शक्ति तो सिमट ही गई लेकिन बाहर दिखाने से शायद कुछ प्रभाव पड़ जाए। इसीलिए कांग्रेस का मुख्यमंत्री हो या फिर मंत्री, प्रदेश अध्यक्ष या कार्यकर्ता, सभी स्तब्ध हैं और वेदना की इस घड़ी में पूरी संवेदना के साथ कांग्रेस आलाकमान के कदम से कदम मिलाते हुए अदालत तक मार्च करते देखे जाएं ऐसा संभव है...।ये भी संभव है कि जिस समय कोर्ट में कार्यवाही चले, कांग्रेसी सेवकों की लंबीचौंड़ी कतार कोर्ट के बाहर विलाप भी करे।क्योंकि इसी ऐपिसोड से कांग्रेस का भविष्य निर्धारित होगा।ऐसा कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है...!

मित्रों नेशनल हेराल्ड मामला इतना भी बड़ा मामला नहीं है कि इतना बवाल काटा ।क्योंकि अक्सर देखा गया है कि लगभग सभी बड़े राजनीतिक और कॉरपोरेट घरानों में पुश्तैनी संपत्ति पर कब्जा जमाने के लिए ऐसी ही तरीके अपनाए जाते हैं। ये मामला थोड़ा अलग इस मायने में है कि नेशनल हेराल्ड की चल-अचल संपत्ति के साथ ही गांधी परिवार की अमूर्त संपत्ति का मामला भी है। यह बात अलग है कि इस पूरे मामले में अदालत को सिर्फ वित्तीय घोटाले से सरोकार है।जिसकी जांच पड़ताल कोर्ट हर हाल में करना चाहती है कि आखिर कैसे आजादी के लिए बनाया गया जवाहर लाल नेहरू का नेशनल हेराल्ड नाम के हथियार में जंग लग गई। साथ ही, कैसे आजादी के इस हथियार के नाम पर पड़ी अकूत अचल संपदा कंपनी का रूप ले लेती है और किसे यह फायदा पहुंचा रही है?साब अपनी समझ तो इतनी ही है ज्यादा समझ के लिए कल का इंतजार करें..।

लेकिन जब पूरा मामला आजादी के पहले से शुरू हुआ हो और गांधी परिवार के शासन से जुड़ा रहा हो तो इसमे पॉलिटिकल वेनडेटा की संभावना बने हम इसे भी अस्वीकार नहीं कर सकते।अब साब इस पूरे मामले को जब राजनीति में स्वामीयों के स्वामी सुब्रमण्यन स्वामी  ने उजागर किया हो तो आप समझ सकते हैं कि उनका राजीव, सोनिया और राहुल से कितना स्नेह रहा होगा....और स्वामी किस हद तक जांच पड़ताल कर सकते हैं।

दिलचस्प होगा इस नाटक का आखिरी सीन कि पॉलिटिकल वेनडेटा से शुरू हुआ यह सियासी घटनाक्रम  किस करवट बैठता है।क्योंकि किसी भी फिल्म का आखिरी सीन ही आगे की पटकथा तैयार करती है। इसलिए शनीवार को शनी की कृपा किस पर बरसती है कांग्रेस पर या सरकार पर ये देखना दिलचस्प होगा।लेकिन एक बात तो साफ है कि क्लाइमेक्स तो बनाए रखने के लिए सोनिया और राहुल अदालत में बॉन्ड नहीं भरेंगे।


अंतत: तैयार रहें आप भी और हम भी।सियासत के नए रंग को देखने के लिए।क्योंकि यहां शोर भी है तो हंगाम भी,विलाप भी है,आरोप-प्रत्यारोप भी है,घपला और घोटाला भी और भ्रस्टाचार भी..।नहीं है तो सिर्फ देश की गरीब आवाम का दर्द,उनके आंसू,उनका गम,उनको देने के लिए खुशी,और अधिकार....और क्या लिखें साब.......आप सब जानते ही हैं.....। 


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