संदीप कुमार मिश्र : दोस्तों उत्तर प्रदेश के मुखिया अखिलेश यादव का कहना है कि
प्रधानमंत्री की कुर्सी पर मुलायम सिंह यादव हों और उपप्रधानमंत्री राहुल गांधी बने।
दरअसल ये बातें यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप
समिट में एक सवाल के जवाब में कुछ उसी तरह से दिया जवाब।जबकि इस समिट में राहुल
गांधी भी शिरकत कर रहे थे,लेकिन दर्शक दीर्घा में बैठे राहुल गांधी ने इस बात पर मुस्कुराते
हुए किसी भी प्रकार की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
अब भाई सोचने और सपने देखने का अधिकार हर किसी को है। चाहे वो राजा हो या फिर
रंक। हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट में
जब अखिलेश यादव से ये पूछा गया कि क्या उनकी समाजवादी पार्टी अगले लोकसभा चुनाव
में कांग्रेस से हाथ मिलाने के बारे में सोच सकती है। इस बात पर 42 साल के अखिलेश यादव ने कहा कि 'अगर मुलायम सिंहजी(नेता जी) को
प्रधानमंत्री और राहुल गांधी को उप प्रधानमंत्री बनाया जाए, तो मैं अभी के अभी गठबंधन के लिए
हां कहता हूं।'
इस बात पर दर्शकों ने जमकर तालियों के साथ अखिलेश यादव का अभिवादन किया। आपको
बता दें कि एचटी समिट में इस वाक्ये के ठीक पहले देश के सबसे युवा सीएम अखिलेश
यादव ने कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी को अपना दोस्त बताया था।इतना ही नहीं
अखिलेश ने कहा कि राहुल यहां मौजूद हैं, आप उन्हीं से पूछ सकते हैं कि वो मेरे पुराने मित्र
हैं या नहीं।' जबकि इस पर राहुल गांधी ने
किसी तरह की प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया।
इतना ही नहीं अपने पिता और समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव की
शिकायतों को वैचारिक मतभेद बताते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि 'मां-बाप से कौन डांट
नहीं खाता। अपने पिता की शिकायतों से किसी को बुरा नहीं लगना चाहिए। हमारे बीच
अधिकारों की लड़ाई नहीं है।'बातों ही बातों में अखिलेश ने कहा कि विवादों के बारे में कहा कि उनकी सरकार के बारे
में मीडिया में हमेशा गलत ही दिखाया जाता रहा है और अपनी बात को चालु रखते हुए
उन्होने कहा कि 'मुलायम सिंहजी के जन्मदिन पर कोई विवाद नहीं होना चाहिए। कुछ लोग बंद दरवाज़ों
में जन्मदिन मनाते हैं, हमने खुलेआम मनाया। अखिलेश ने ये भी कहा कि नेताजी के
जन्मदिन पर किसी भी रुप से सरकारी पैसा खर्च नहीं किया गया।'
अपनी हर बात को
बेबाकी से कहते हुए अखिलेश ने मोदी सरकार पर भी व्यंग किया,और कहा कि 'कहां चले गए अच्छे दिन' कहते हुए अखिलेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राज्य के विकास
को गती देने के लिए और फंड की मांग करते हुए चिट्ठी में लिखा था कि 'पीएम बनने के लिए आप
यूपी आए थे, आपको तो मदद करनी पड़ेगी।'
उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री ने समिट में अपनी बात रखते हुए दादरी में अकलाक हत्याकांड
पर कहा कि 'मैंने कभी नहीं कहा था कि इस मामले को संयुक्त राष्ट्र में लेकर जाएंगे। लोग
इसे बहुत बड़ा मुद्दा बनाना चाहते थे,लेकिन पुलिस ने अपना काम वक्त पर किया। सांप्रदायिक
मतभेद पर यादव ने कहा कि ऐसी लड़ाई से समाजवादियों को कभी कोई फायदा नहीं हुआ है।
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए अखिलेश ने कहा कि सांप्रदायिक होना आसान है, धर्मनिरपेक्ष होना
मुश्किल।
अंतत:
2017 में
उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनाव का सामना अखिलेश यादव को करना है।2019 तो अभी
दूर है। आने वाले समय में देखना बड़ा दिलचस्प होगा कि 2017 में अखिलेश यादव की जीत
का आधार क्या होगा..?
भ्रस्टाचार,विकास,बेरोजगारी,महिला सुरक्षा,या फिर ला एण्ड आर्डर।क्या अखिलेश के
शासन में प्रदेश में शांति व्यवस्था कायम हो पाई है...क्योंकि ऐसे ही कुछ मुद्दे
2019 में देश की दिशा तय करेंगे।
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