संदीप कुमार मिश्र : ऐसा पहली बार हुआ है कि रिश्तों की कड़वाहट को कम करते हुए
11 साल बाद भारत का कोई प्रधानमंत्री पाकिस्तान की सरजमीं पर पहुंचा है।जिसकी किसी
ने कल्पना भी नहीं थी,और खासकर तब जब दोनो देशों के रिश्ते बातों से कम गोलियों से
ज्यादा हो रहे हों।लगातार सीमा पर पाकिस्तान गोलियां बरसाता है,जिसका जवाब सीमा पर
हमारे जवान दे रहे हैं,ऐसे में अचानक पीएम मोदी का पाकिस्तान पहुंच जाना किसी हैरत
से कम नहीं है।
दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रुस से वापस लौटते वक्त अपने एक दिवसीय
अफगानिस्तान के दौरे पर थे,जिसके बाद मोदी को भारत आना था,लेकिन उन्होंने अचानक लाहौर जाने और पीएम नवाज शरीफ से
मुलाकात करने का ऐलान कर दिया।ये खबरे कानोकान मीडिया को नहीं मिली।एक तरफ जहां मोदी
के पाक पहुंचे पर दोनो तरफ के राजनीतिक पंड़ितों और विशेषज्ञों को हैरत में डाल
दिया वहीं ये उम्मीद भी बंधी कि दोनो देशों के बीच बढ़ी दूरियां शायद कुछ कम हो।
दरअसल दोस्तों दोनों देश कभी एक ही थे,लेकिन दोनो देशों के बंटवारे के बाद
रिश्तों में हमेशा कड़वाहट ही रही।कभी भी दोनो देशों के संबंध मधुर नहीं
रहे।लगातार संबंधों में उतार-चढाव बना रहा।लेकिन देश की सत्ता में जब केंद्र में मोदी
सरकार काबिज हुई जिसके बाद भी दोनों देशों के रिश्ते कभी सुधरते नजर आए, तो कभी बिगड़ते दिखे।
आईए जानने की कोशिश
करते हैं कि मई 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद दोनो देशों के रिश्ते कैसे रहे-
दोस्तों आपको याद होगा कि मई 2014 में
जब नरेंद्र मोदी ने केंद्र में सरकार बनायी तो शपथ ग्रहण समारोह में नवाज शरीफ को
भी न्योता दिया।ये पहला मौका था जब मोदी-नवाज की मुलाकात हुई थी।वहीं इसके अगले
दिन दोनों प्रधानमंत्रीयों के बीच एक औपचारिक मुलाकात भी हुई। लेकिन जब भारत और
पाकिस्तान के विदेश सचिवों ने आपसी बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए अगस्त 2014 में मुलाकात करने का
फैसला किया तो भारत के सचिवों का पाकिस्तान जाना तय हुआ। लेकिन उससे पहले ही
पाकिस्तान के हाई कमिश्नर ने दिल्ली में कश्मीर के अलगाववादियों से मुलाकात की।जिसपर
भारत ने कड़ी आपत्ती जताई थी और विदेश सचिवों की यात्रा रद्द हो गयी थी।और दोनों
देशों के बीच फिर से तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गयी थी।
इसी कड़ी में नवंबर 2014 में जब नेपाल की राजधानी काठमांडू में हुए 18 वां सार्क
सम्मेलन हुआ तो दोनो देशों के प्रधानमंत्रीयों की मुलाकात तो हुई, लेकिन दोनों के
बीच द्विपक्षीय वार्ता नहीं हुई।साथ ही दोनों नेताओं ने ही बातचीत के सिलसिले को
आगे बढ़ाने में कोई रुची नहीं दिखाई।इसी क्रम में रूस के ऊफा में भी जब दोनो
नेताओं की मुलाकात हुई तो बातचीत के सिलसिले को आगे बढ़ाने की उम्मीद जताई गई और
अगस्त 2015 में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार (NSA) स्तर की वार्ता पर आम सहमति बनी थी।जो आगे जाकर नहीं हो
पाई। क्योंकि अगस्त में NSA स्तर की वार्ता से पहले पाकिस्तान ने पुन: एक बार कश्मीर के मुद्दे को हवा
दे दी और कहा कि कश्मीर का मुद्दा उठाए बिना दोनों देशों के बीच वार्ता संभव नही हो
सकती।साथ ही पाकिस्तान ने तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की बात कहकर अलगाववादी नेताओं
से मुलाकात करने की बात कही जो भारत को कतई गंवारा नही था।आकिरकार दोनो देसों के NSA स्तर की वार्ता रद्द हो
गई।
वार्ता के क्रम को आगे बढ़ाने के लिहाज से ही 30 नवंबर को पेरिस में
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नवाज शरीफ के बीच फिर मुलाकात हुई और आतंकवाद पर
वार्ता के लिए सहमती बनी।इसी कहम को आगे बढ़ाते हुए बैंकॉक में गुपचुप तरिके से NSA स्तर की वार्ता हुई,जिसकी
मीडिया को कानोकान खबर नहीं हुई।वार्ता के सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए भारतीयविदेश
मंत्री सुषमा स्वराज पाकिस्तान के इस्लामाबाद जाती हैं और द्विपक्षीय वार्ता को
आगे बढ़ाने का प्रयास करती हैं। आपको बता दें कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय
वार्ता 2008 में मुंबई हमलों के बाद से रुक गई थी।
अंतत: खैर पहले रुस की दो दिवसीय यात्रा,फिर अफगानिस्तान की एक दिवसिय यात्रा और
अचानक पाकिस्तान का दौरा।जिसकी खबर खुद पीएम मोदी ट्वीट कर बताते हैं कि उन्होंने
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से फोन पर बात की और उन्हें जन्मदिन की बधाई दी
और वह लाहौर पहुंच गए।बहरहाल आप कह सकते हैं आने वाले समय में इसके क्या परिणाम
निकलेंगे, ये तो भविष्य की बात है लेकिन दोनों देशों के बीच रिश्तों को सुधारने की ये एक
कोशिश जरुर ऐतिहासिक है।
No comments:
Post a Comment