संदीप कुमार मिश्र : समय बदल रहा है,सोच बदल रही है,देश की आधी आबादी अब घरो में रहकर अपना दायरा
सिर्फ चूल्हा-चौका तक ही नहीं रखना चाहती।ना ही सिर्फ घर की चहारदिवारी के अंदर
बंधकर रहना चाहती है।समय के साथ जरुरतों को दायरा बढ़ता जा रहा है,और बढ़ते दायरे
ने बमारे विस्तार को गती दी है।जिस वजह से आज हमारे देश की महिलाएं परिवार और समाज
को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।अर्थ प्रधान समाज में पैसा आज सबसे बड़ी
बुनियादी जरुरत है,जिसके लिए हमारे समाज में अब महिलाएं परिवार को आर्थिक रुप से
सशक्त बनाने के लिए हर तरह के कदम उठा रही हैं।जैसे आफीसों में टिफिन सर्विस
पहुंचाना,सिलाई-कढाई
करना,छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना आदि।इस प्रकार के कार्य करके महिलाएं अपनो परिवार के आर्थिक
पक्ष को मजबूत बना रही हैं।इस प्रकार के सहयोह से जहां परिवार का मनोबल बढ़ रहा है
वहीं जरुरते भी ठीक से पूरी हो रही हैं।मतलब साफ है कि एक औरत सिर्फ पत्नी,मां,बहन
ही नहीं अपने जीवनसाथी की एक सच्ची सहयोगी भी बन रही हैं जो कदम से कदम मिलाकर
परिवार को मजबूत बना रही हैं।
एक तरफ जहां महिलाएं की आधुनिक पसंद स्मार्ट फोन बन गई है,जिससे जागरुक महिलाएं अब व्हट्सएप पर
चैटिंग भी कर रही हैं तो सहेलियों संग ग्रुप चैट भी,
जोक्स और वीडियोज़
शेयर कर रही हैं तो आफिस के काम भी निपटा रही हैं।और तो और जम कर नेट पर आनलाइन
शापिंग भी।उन्हें सब पता है कि कपड़े, फिटवियर और कॉस्मैटिक्स की दूनिया में सस्ते और
अच्छे प्रोडक्ट कहां मिलते हैं।
किसी भी महिला के लिए सजना संवरना पहली प्राथमिकता होती है,ऐसे में हमारे समाज
में भारतीय महिलाएं में भी अब सबसे ज्यादा खूबसूरत दिखने की होड़ मची हुई है।जिसके
लिए वे खुद पर भी खुब समय और पैसा भी खर्च कर रही हैं। इतना ही नहीं घर की रसोई हो
या फिर खानपान की बात।आज देश की महिलाएं हर प्रकार का फैसला लेने के लिए स्वतंत्र
हैं।हालांकि भारतीय गृहीणी इस बात को भी बखुबी जानती हैं कि परिवार को एक साथ लाने
के लिए घर पर खाना बनाना उनके जीवन का एक अहम हिस्सा है। इसलिए खानपान में कुछ नया
करके परिवार और बच्चों को खुश रखने में भी महिलाएं कोई कोर कसर नहीं छोड़ती हैं।
साब अब तो स्कूटी आज की महिलाओं की सबसे भरोसेमंद साथी बन गयी है। जवान हो या
अधेड़, शादीशुदा
हो या सिंगल, सभी के घर में आपको एक टू-व्हीलर जरूर मिल जाएगा।अब तो महिलाएं घर के फैसलों
में भी जमकर हिस्सा ले रही हैं,जबकि किसी जमाने में उन्हे पर्दे में रहने के लिए
बाध्य होना पड़ता था। घर की जिन्मेदारी हो या फिर बाहर की,संचय की बात हो सा फिर
चीज त्योहार पर खर्च करने की,महिलाएं हर विधा में हर स्तर पर सफल हो रही है,जरुरत
थी तो उन्हें अवसर देने की।
अंतत: समय बदल रहा है,जरुरत इस
बात की है कि महिलाओं को हम समाज में उचित स्थान दें,उन्हे दोस्त,सच्चे साथी का दर्जा
दें।यकिन मानिए जीवन के हर संघर्ष पथ पर मील का पत्थर साबित होंगी महिलाएं।किसी भी
सभ्य समाज की कल्पना तभी कि जा सकती है जब स्त्री-पुरुष मिलकर एक साथ चलें।जमाना
बदल रहा है दोस्तों सपेरों का देश अब माउस चलाना सीख गया गया है,माउस से चांद पर
भी पहुंच गया है।सफर लगातार आगे बढ़ रहा है।इस आनंद को बढ़ाने के लिए जरुरी है कि-
एक कदम तुम चलो,और
एक कदम हम,मंजिल मिल ही जाएगी।
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