Thursday, 31 December 2015

अबकी बार किसका पश्चिम बंगाल ?



संदीप कुमार मिश्र : एक के बाद एक राज्यों के चुनाव किसी उत्सव से कम नहीं होते हैं।इन चुनावो से जनता को जहां अपना नेता चुनने की स्वतंत्रता मिलती है।तो वहीं मीडिया को खबर और टीआरपी में बने रहने का अवसर भी।बिहार का चुनाव संपन्न हुआ और अब पश्चिम बंगाल की बारी है।देखना बड़ा दिलचस्प होगा कि अबकि बार किसका पश्चिम बंगाल...।

दरअसल चर्चा इसलिए भी कि क्या जिस प्रकार से वामपंथी दलों का सफाया करके ममता दीदी नें पश्चिम बंगाल की बागड़ोर अपने हाथ में संभाली थी,तो क्या इस बार खुद ममता बनर्जी के सफाए की तैयारी है ?ऐसा इसले भी कि केन्द्र में सत्तारूढ़ बीजेपी यही चाहेगी कि बंगाल में कमल खिले।दोस्तों पश्चिम बंगाल में ममता दीदी की सरकार का पांच साल का कार्यकाल समाप्त होने वाला है और कुछ महिनों बाद ही चुनावी शंखनाद भी होना है।ऐसे मे ममता बनर्जी की हर हाल में यही कोशिश होगी कि वो बीजेपी का बंगाल के सपना पूरा ना होने दे और इसके लिए ममता कुछ भी करने को तैयार रहेंगी।ममता की कोशिश बंगाल में भी गठबंधन की हो सकती है।

इसके पीछे आप जो चाहे वो तर्क लगा सकते हैं, बीजेपी की कुछ सिटों पर जीत या फिर शारदा घोटाला में सीबीआई की कार्यवाही में आयी तेजी।ममता दीदी का डर लाजमी है क्योंकि अगर शारदा घोटाले में कुछ बडे नाम उजागर होते हैं तो ममता की मुश्किलें बढ़ना स्वभाविक है।इसमें भी कोई शक नहीं कि बीजेपी ममता के कारनामें का खुलासा करके सत्ता के करीब पहुंच जाए।

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई शारदा घोटाले की जांच कर रही है।इस नजरिये से इस मामले में सियासत की गुंजाइश कम हो जाती है लेकिन फिर भी ऐसा कैसे हो सकता कि सियासत ना हो।क्योंकि सुप्रीम कोर्ट खुद सीबीआई को केन्द्र सरकार का तोता कह चुकी है।लेकिन एक बात तो तय है कि ममता बनर्जी की मुश्किले सीबीआई की कार्यवाही में आई तेजी से तय है।

कुछ दिनो पहले की ही बात है कि सीबीआई ने टीएमसी के बड़े नेता और पार्टी के जनरल सेक्रेटरी शंकूदेव पांडा से पूछताछ की थी,जिसके कुछ दिन बाद ही ममता बनर्जी नें उन्हे पार्टी से निकाल बाहर किया। कहा जाने लगा कि पांडा महोदय ने बडे प्यार से सीबीआई के सामने सब कुछ कह दिया और कई नेताओं के नाम भी गिनाए।इसलिए ही ममता नें पांडा को पार्टी से शहीद कर दिया।


आपको याद होगा कि इससे पहले सीबीआई ने टीएमसी के कई दिग्गजों जैसे मदन मित्रा, श्रिंजॉए बोस और कुनाल घोष से पहले ही पुछताछ कर चुकी है। मीडिया में लीक हुई खबरों के मुताबिक कुनाल घोष ने तो सीबीआई के सामने यहां तक दावा किया है कि शारदा घोटाले में पार्टी सुप्रीमों ममता बनर्जी को भी फायदा पहुंचा है।वहीं शारदा घोटाले की इस जांच के दौरान ममता के कई करीबियों ने पार्टी से दूरी भी बना ली है। इसमें खासतौर पर कभी ममता के बेहद करीबी रहे मुकुल रॉय भी थे जो पिछले 10 महीनों से पार्टी से बाहर थे और माना जा रहा था कि वह टीएमसी के जवाब में नई पार्टी बनाने की जुगत में लगे हैं।कहने का मतलब ममता दीदी जिस साफगोई से बाते करती हैं उतनी ही साफगोई से शारदा घोटाले में शामिल भी रही हैं..!

खैर,शारदा घोटाला हमारे देश का अबतक का ऐसा सबसे बडा घोटाला है जिसे सियासत का सबसे बड़ा स्कैंडल माना जा रहा है और ऐसे में उसका पूरा ताना बाना ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी के आसपास ही बुना गया है तो यह एक गंभीर मुद्दा भी है और समस्या भी।मतलब साफ है कि पश्चिम बंगाल चुनाव से पहले अगर शारदा घोटाला मामले में असलियत सामने आ गयी तो ममता बनर्जी का बड़ा नुकसान होना तय है और संभव है कि बंगाल की सियासत में एक ऐसा उलटफेर हो जिसका अंदाजा किसी ने ना लगाया हो अबतक।


अंतत: कहना गलत नहीं होगा कि शारदा घोटले में जिस प्रकार से सीबीआई ने फुर्ती दिखाई है,उससे ममता दीदी की तबियत नासाज होनी तय है।लेकिन थोड़ा इंतजार आप भी करिए हम भी करते हैं। क्योंकि पूरी पिक्चर तो अभी बाकी है मेरे दोस्त...।

Wednesday, 30 December 2015

ऑड ईवन फॉर्मूले पर बच्चों को केजरी शपथ


संदीप कुमार मिश्र : दोस्तों 1 जनवरी से देश की राजधानी दिल्ली में ऑड ईवन का फॉर्मूला लागू हो जाएगा।जिसकी सफलता की कामना सीएम केजरीवाल के साथ दिल्ली की जनता भी कर रही होगी.क्योंकि सांस है तो आस है।प्रदुषण की मार सिर्फ सीएम के लिए ही नहीं सर किसी के लिए है।दिल्ली साप सुथरी होगी तो उसका लाफ हर किसी को मिलेगा।वायु स्वच्छ होगी तो रोग सभी के दूर होंगे।1 जनवरी के नजदीक आते ही दिल्ली में हलचल बढ़ गयी है।काम बडा है और समय कम। इसलिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मौजूदगी में सैकड़ों स्कूली बच्चों ने प्रदूषण से लड़ने और सम-विषम योजना के लिए अपने माता-पिता को मनाने की शपथ ली।


दरअसल राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय के छात्रों को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने कहा, ‘‘अपने माता-पिता, रिश्तेदारों और दोस्तों को सम-विषम योजना का पालन करने के लिए हम मनाएं।क्योंकि यह हमारे स्वास्थ्य और जीवन के लिए महत्वपूर्ण है।सीएम ने कहा कि अगर आप किसी को भी सम-विषम योजना का उल्लंघन करते हुए देखें तो अपनी कार की खिड़की का कांच नीचे करें,और उस व्यक्ति से कहें कि वह घर वापस चले जाएं। अगर वह व्यक्ति दिनभर में 10 बार ऐसी टिप्पणी सुनेगा तो यह उनके विवेक को प्रभावित करेगा और उन्हें अपनी कार घर पर छोड़ने के लिए प्रेरित करेगा। छात्रों के शपथ लेने से पहले से मुख्यमंत्री ने छात्रों से कहा कि वे अपने अभिभावकों और रिश्तेदारों को कारपूल करने के लिए प्रेरित करें। उन्हें बस या दिल्ली मेट्रो की सवारी करने के लिए कहें।


दोस्तों आप भी कुछ खास बातों का विशेष ध्यान रखें-क्योंकि कूड़ा जलाने वालों पर कार्यवाही संभव है, साथ ही कंस्ट्रक्शन करने वालों को भी जिम्मेदारी से काम करना होगा,वहीं राजधानी में आनेवाले ट्रकों के रूट में भी बदलाव किया गया है।1-15 जनवरी तक ऑड ईवन फॉर्मूला लागू हो रहा है,जिसके तहत 1 अप्रैल से सड़कों की वैक्यूम क्लीनिंग की जाएगी,साथ ही बच्चों को अपने माता-पिता को ऑड ईवन फॉलो करने के लिए मनाना की बात भी केजरीवाल ने कही।सीएम ने अपने संबोधन में ये भी कहा कि हम जल्द ही सड़कों को री-डिजाइन करेंगे और साइकिल ट्रैक बनाएंगे।जिससे कार पूल करने से लोगों को मदद मिलेगी।किसी भी शहर में ऑड-ईवन हमेशा के लिए नहीं होता, प्रदूषण बढ़ने पर ही इसे लागू किया जाता है।



अंतत: 1 से 15 जनवरी तक दिल्ली में ऑड ईवन फॉर्मूला चलाया जाएगा।जिसके लिए दिल्ली पुलिस और सिविल डिफेंस वर्कर मिलकर रिहर्सल भी करेंगे।ताकि 1 जनवरी से लागू होने वाले ऑड-ईवन फॉर्मूले के दौरान कोई दिक्कत न हो। गुरुवार को ऑड-ईवन का ट्रायल होगा, जो सुबह 9 बजे से लेकर 11 बजे तक चलेगा। ट्रायल के दौरान कोई जुर्माना नहीं लगेगा। इस दौरान वॉलंटियर ट्रैफिक पुलिस के साथ मिलकर काम करेंगे।खौर हम तो यही उम्मीद करेंगे कि ये फार्मूला सफल हो और लोगों को प्रदुषण से निजात मिले। 

बिहार में फिर लौट रहा जंगलराज...?



 संदीप कुमार मिश्र : नीतीश कुमार ने जब 2015 में बिहार की सत्ता पर एक बार फिर शानदार तरिके से वापसी कि तो उम्मद और आस भी जगी कि अब बिहार में विकास होगा।वहीं एक संशय भी मन में था कि महागठबंधन के मुख्य घटक दल यानि लालू प्रसाद यादव का साथ।जिसपर बीजेपी ने खुब चुटकी भी ली,कि एक बार फिर जंगलराज की वापसी हो जाएगी बिहार में अगर नीतीश जीते तो।

क्योंकि बिहार जब चुनाव उत्सव का आनंद उठा रहा तब, तब विपक्ष ने ये मुद्दा बड़े जोरशोर से उठाया था कि नीतीश-लालू की जीत से जंगलराज की वापसी होगी।लेकिन बिहार की जनता ने बीजेपी के मुद्दे को उस वक्त नकार दिया था और बिहार के सत्ता की चाभी नीतीश-लालू को थमा दी, जिसमें लालू की कामयाबी नीतीश से बेहतर रही।

लेकिन अब एक बार फिर से सवाल उठने लगे हैं कि क्या बिहार में जंगलराज की वापसी हो रही है, या ऐसा कहना अभी थोड़ी जल्दबाजी होगी?

दरअसल जिस प्रकार से  बीते दिनों बिहार में दो इंजीनियरों की हत्या का मामला अभी सुलझा भी नहीं था कि एक और इंजीनियर की हत्या कर दी गई।ऐसे में क्या माना जाए कि राज्य में अपराधियों के दिलों में कानून-व्यवस्था का खौफ खत्म होता जा रहा है।क्या ला एण्ड आर्डर का कोई महत्व नहीं रह गया है बिहार में..?

सवाल इसलिए भी उठना लाजमी है कि एक तरफ तो नीतीश की अगुवाई में बिहार की तस्वीर और तकदीर बदलने की बात की जाती है, कारोबार लगाने और विकास के वादे किए जाते हैं, तो वहीं दूसरी तरफ  सड़कें बनवा रहे इंजीनियर मारे जाते हैं।ऐसे में नीतीश कुमार की सुशासन सरकार बिहार में कितने निवेशकों को खींचने में कामयाब रहेगी, इसका अंदाजा आप लगा सकते हैं।और खासकर तब, जब सरकार बनने से पहले ही जंगलराज वापसी की आशंका जतायी जाती रही हो।
क्या कहना गलत होगा कि बिहार में 12 साल बाद फिर से रंगदारी,धनउगाही का पुराना रोग लौट आया है? सवाल इसलिए भी उठता है कि दरंभगा जिले में दो इंजीनियरों की हत्या रंगदारी ना देने पर ही दिनदहाड़े की गई।

एक नजर उन चंद दो महिनो पर डालते हैं जब नीतीश कुमार ने 2015 में बिहार की सत्ता संभाली,और बढ़ गया अपराध-

27 दिसंबर को सीतामढ़ी में डॉक्टर पी पी लोहिया के घर पर गोलाबारी हुई ।डॉक्टर से 5 लाख की रंगदारी मांग गई थी।जिसके बाद पूरा परिवार दहशत में है। 26 दिसंबर को दरभंगा में दो इंजीनियरों की हत्या कर दी गई,कारण रहा  5 लाख की रंगदारी मांगना। वहीं वैशाली में दो समुदायों में लड़ाई हुई, इस दौरान बदमाशों ने एक पुलिस इंस्पेक्टर अजीत कुमार की पीट-पीटकर हत्या कर दी।अपराध के ग्राफ में एक कदम आगे बढ़ते हुए अपराधीयों ने दरभंगा में एएसपी विजय कुमार पासवान की चाकू मारकर हत्या कर दी।साथ ही बिहार को शर्मसार करते हुए राजधानी पटना में 12 साल की दलित लड़की से डीएम ऑफिस के कैंपस में ही रेप किया गया। वहीं पटना में ही महिला पुलिस के साथ छेड़खानी की गई।


अंतत: सवाल उठता है कि क्या बीजेपी के आरोपों में सच्चाई थी,या फिर नीतीश कुमार महागठबंधन करके कहीं खुद को कमजोर महसूस कर रहे हैं।   या जंगलराज भाग 2 कहना अभी जल्दबाजी है...?  

     

हरिद्वार : धर्म और दर्शन की नगरी पार्ट-2


संदीप कुमार मिश्र:  साथियों पिछले लेख में हमने धर्म नगरी हरिद्वार के बारे में जानने की कोशिश की।एक सरल और सुलभ प्रयास करने की सार्थक पहल की।लेकिन हरि अनंत हरि कथा अनंता।ठीक ऐसी ही हमारी धर्म संस्कृति इतनी अद्भुत और विशाल है,कि इसका कोई और-छोर नहीं है।यही हमारी पहचान भी है।सरलता,मधुरता,ज्ञान और धर्म की संस्कृति ही हमें विश्व गुरु बनाती है। सर्वधर्म समभाव की भावना ही हमे अनेकता में एकता का संदेश देती है।

खैर,हरिद्वारा के संबंध में कुछ और जानकारी आपको देने का प्रयास कर रहा हुं,ईश्वर की कृपा और आपलोगों के स्नेह से-

धर्म और दर्शन की नगरी हरिद्वार: भक्ति, आस्था और श्रद्धा की पावन नगरी हरिद्वार में अनेक देवी-देवताओं के मंदिर हैं।इन्हीं में से एक मायादेवी का मंदिर है।मायादेवी को हरिद्वार की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। शहर के बीचोबीच स्थित ये मंदिर एक सिद्धपीठ है।ये देश का एकमात्र ऐसा शक्तिपीठ है, जहां भगवती के विखंडित अंग नहीं बल्कि भक्तों को मां के सर्वांग दर्शन मिलते हैं। 

हरिद्वार के विल्व पर्वत पर स्थित मां मनसा देवी का मंदिर भी श्रद्धालुओं के लिए खास महत्व रखता है।इस मंदिर को भी सिद्धपीठ का दर्जा हासिल है।मनसा देवी मां दुर्गा का ही रुप हैं।मंदिर में मां मनसा देवी की तीन मुख और पांच भुजाओं वाली अष्टनाग वाहिनी मूर्ति है। मां के मंगलकारी रुप का दर्शन पाकर भक्त धन्य-धन्य हो जाते हैं।मंदिर के आसपास का पूरा वातावरण भक्तिमय है।जिसे मां के दर्शन को आने वाले भक्त भी महसूस करते हैं। यहां आकर ऐसा लगता है, मानों यहां की हर चीज मां की आराधना में डूबी हुई है।पहाड़ी पर बसे मनसा देवी मंदिर तक जाने के लिए पहले तो थोड़ी मुश्किल होती थी, लेकिन अब इस मंदिर तक तक रोप-वे के जरिए आसानी से पहुंचा जा सकता है।जिसे देवी उड़नखटोला कहा जाता है।पहाड़ की चोटी से हरिद्वार का खूबसूरत नजारा देखने को मिलता है।


वहीं हरिद्वार में ही नील पर्वत पर चंडी देवी का मंदिर भी है।ये मंदिर सात सौ मीटर की उंचाई पर स्थित है।कहते हैं इस मंदिर का निर्माण कश्मीर के राजा सुचेत सिंह ने 1929 ई. में करवाया था।कहा जाता है, कि आदि गुरु शंकराचार्य ने आठवीं शताब्दी में चंडी देवी की मूल प्रतिमा यहां स्थापित करवाई थी। पौराणिक कथाओं के अनुसार सिद्धिदाता चंडीदेवी ने इसी स्थान पर शुंभ और निशुंभ का वध किया था। और आज यहां पहुंचने वाले भक्त मां चड़ी के दर्शन कर अपने अंदर की आसुरी प्रवृतियों का खात्मा करते है।मां गंगा के किनारे ऊंचे-ऊंचे पहाड़ो की तलहटी में भी कई मंदिर स्थित है।जहां प्रकृति और आध्यात्म का तादात्म देखने को मिलता है।

हरिद्वार के ही कनखल नगर के दक्षिण में स्थित है दक्ष महादेव मंदिर। इस मंदिर का निर्माण माता सती के पिता महाराज दक्ष की याद में बनवाया गया था।पौराणिक कथा के अनुसार सती के पिता राजा दक्ष ने यहां एक विशाल यक्ष का आयोजन किया था।जिसमें भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया गया था।अपने पति का ये अपमान माता सती बर्दाश्त नहीं कर सकी और यज्ञ कुंड में आत्मदाह कर लिया। इससे शिव के अनुयायी गणों ने उत्तेजित हो कर दक्ष की हत्या कर दी।जिसे  बाद में भगवान शिव ने पुनर्जीवित कर दिया। शास्त्रों में भी दक्ष महादेव मंदिर को मुख्य तीर्थस्थल कहा गया है।

स्कंदपुराण के केदारखंड में भगवान शिव ने कहा है, कि जो मनुष्य दक्षेश्वर महादेव के दर्शन किए बिना तीर्थाटन करेंगे उनकी यात्रा निष्फल होगी। इसे शिव की ससुराल और दक्ष नगरी भी कहते हैं। हरिद्वार में सबसे पावन कुछ है, तो वो हैं मां गंगा।मां गंगा के घाट पर कई पौडियां बनी हुई हैं।जिसमें सबसे प्रसिद्ध हर की पौड़ी है।यह स्थान भारत के सबसे पवित्र घाटों में एक है।मान्यता है, कि यहां स्नान करने से जन्म-जन्म के पाप मिट जाते हैं।हर की पौड़ी के चारो तरफ कई मंदिर है।जिसमें एक मंदिर मां गंगा का है। मां गंगा के अलावा यहां भगवान विष्णु, भगवान शिव और ब्रह्माजी का भी मंदिर हैं।हर की पौड़ी पर मां दुर्गा का मंदिर भी श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है।इस पवित्र घाट पर शाम को महाआरती का आयोजन होता है।जिसका नजारा अदभूत होता है।इस दौरान गंगा नदी में प्रवाहित असंख्य दीपों की शोभा देखने लायक होती है।


हर की पौड़ी के दक्षिण में स्थित है,कुशावर्त घाट।जो हरिद्वार का एक महत्वपूर्ण पौराणिक तीर्थ है।कहा जाता है, कि महर्षि दत्तात्रेय ने इसी जगह पर एक पैर पर होकर घोर तपस्या की थी।इस घाट का निर्माण महारानी अहिल्याबाई ने कराया था।कुशावर्त घाट पर स्नान के साथ ही पिण्डदान का विशेष महत्व है। यही बजह है, कि यहां श्रद्वालु मुंडन कर्म के साथ-साथ पितरों को पिण्ड अर्पित करने आते हैं।पुण्य अर्जन के लिए यहां लोगो को गौ माता को चारा खिलाते भी देखा जाता है।हरिद्वार की एक और पवित्र स्थली है-सप्तऋषि आश्रम।ये आश्रम हरिद्वार से दो कोस की दूरी पर सप्तसरोवर घाट के पास स्थित है।इस आश्रम के समीप गंगा सात धाराओं में बहती है।इस कारण इस स्थान को सप्तसरोवर भी कहा जाता है।सप्तऋषि आश्रम में सप्तऋषि मंदिर के अलावा दूसरे कई देवताओं के भी मंदिर है।जिसमें गंगेश्वर महादेव का मंदिर सबसे प्राचीन है।सप्तऋषि आश्रम में श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए चालीस से भी ज्यादा कुटीर बने हुए हैं, जहां के प्राकृतिक सौंदर्य को शब्दों में नहीं पिरोया जा सकता है।

अंतत: साथियों धर्म और दर्शन की नगरी के संबंध में लिखकर जब मन भाव और भक्ति से सराबोर हो जाता है तो आप समझ सकते हैं कि हरिद्वार जाकर किसी श्रद्धालू को कैसा महसूस होता होगा।धन्य है भारत भूमि और धन्य है हमारी सभ्यता संस्कृति।कोटिश: नमन।

धर्म और दर्शन में आगे भी आप सभी इष्ट मित्रों तक सार्थक और सुंदर जानकारी पहुंचाने का प्रयास आप की प्रेरणा से जारी रहेगा,आपके उत्साहवर्धन का आकांक्षी...संदीप कुमार मिश्र।


Tuesday, 29 December 2015

हरिद्वार : धर्म और दर्शन की नगरी


संदीप कुमार मिश्र : भारत देवों की नगरी है, धर्म यहां के लोगों की रगों में लहू बनकर दौड़ता है। आस्था और श्रद्धा की हर पल बहती बयार, भारत के धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर की अहम पहचान है।हरिद्वार, देश की वो धार्मिक नगरी , जिसकी यात्रा इंसानी जिंदगी को पावन बना देती है। हरिद्वार, हिन्दूओं के लिए सदियों से आस्था और श्रद्धा का अहम तीर्थ रहा है।शिवालिक की तराई में मौजूद ये शहर, भक्त और भगवान के बीच बेहद मजबूत कड़ी के रूप में मौजूद है।हरिद्वार गंगोत्री से निकलने वाली मां गंगा का प्रवेश द्वार है, इसके अलावा इस शहर को भारत की धार्मिक राजधानी होने का गौरव भी हासिल है।

हरि के द्वार हरिद्वार में अंधेरे को चीरती हुई सूरज की पहली किरणें, जब रौशनी बिखेरती हैं, तो यहां महज एक नए दिन का आगाज नहीं होता, बल्कि हरिद्वार की हर नई सुबह आस्था और श्रद्धा की नई ऊर्जा को उजियार करती है।भक्ति यहां की वादियों में भाव बनकर बहती है और आस्था स्वभाव।उपरवाले की महिमा को महसूस करने की आस, लाखों लोगों के लिए उस वक्त एहसास बन जाता है, जब वो हरिद्वार की पावन भूमि पर कदम रखते हैं।ये हरिद्वार की पुण्य भूमि का ही असर है कि रूप यहां पल भर में स्वरूप में तब्दील हो जाता है।वरना इंसान की क्या बिसात कि इस देवनगरी में कदम रखते ही उसे भक्त का दर्जा मिल जाए। हरिद्वार का नजारा अद्भुत, अलौकिक व अविस्मरणीय है। देवभूमि उत्तराखंड में स्थित हरिद्वार भारत के सात सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में एक है।

अनादिकाल से ही हरिद्वार को मायापुरी, कपिला, गंगाद्वार और हरिदर्शन जैसे धार्मिक नामों से जाना जाता रहा है।इसके अलावा पूरे हरिद्वार में सिद्धपीठ, शक्तिपीठ और अनेक नए पुराने मंदिर शहर के वातावरण में धर्म और आस्था की खुशबु घोलते हैं। देवनगरी हरिद्वार जिस अहम वजह से पूरे भारतवासियों के दिल में आस्था बनकर धड़कती है, वो हैं मां गंगा।हरिद्वार में बहने वाली पवित्र गंगा की महिमा इतनी अपार है कि, इसके पावन जल के स्पर्श मात्र से ही जीवन धन्य हो जाता है।यह सर्वमान्य है कि युगों पूर्व भगीरथ गंगा की धारा को धरती पर लाये थे। भगीरथ गंगा की धारा को हिमालय के जिस मार्ग से लेकर मैदान में आए वह मार्ग जीवनदायिनी दिव्य औषधियों व वनस्पतियों से भरा हुआ था।इस कारण भी गंगाजल को अमृत तुल्य माना जाता है।धर्मनगरी हरिद्वार में गंगा का अपना विशेष आध्यात्मिक महत्व है।सबसे पहले मां गंगा जहां हिमालय के शिखर से उतरती है वह स्थान गंगा महाद्वार कहलाता है और मां गंगा जहां पर्वत मालाओं से निकलकर समतल मैदान में आती है उसे गंगाद्वार कहते हैं। इसी गंगाद्वार को हरिद्वार के नाम से जाना जाता है।

मां गंगा के हरिद्वार तक आते-आते भागीरथी, मंदाकिनी, अलकनंदा की धारा एक हो जाती हैं। इसके अलावा यहां आते-आते कई अन्य जल स्रोत भी मां गंगा की गोद में समा जाते हैं।जिसके बाद प्रयाग और काशी होती हुई गंगा मईया की पावन धारा बंगाल की खाड़ी में मिल जाती हैं।ये देवतुल्य नदी हम भारतीयों के लिए सिर्फ नदी नही है..बल्कि, हमारी आस्था,हमारे जीवन का आधार और संस्कृति की पहचान है।यही वजह है, कि मां गंगा के किनारे बसा हरिद्वार तीर्थों में भक्तों का अहम पड़ाव है।यहां होने वाली मां गंगा की आरती अद्भूत है।मन भक्ति भाव से भर जाता है।
कहते हैं भूखे पेट भजन न होय गोपाला, और जब आप हरिद्वार की पावन धरती हों तो, ये मुमकिन नहीं आपका पेट खाली रह जाए।क्योंकि यहां खाने पीने तमाम ऐसे विकल्प मौजूद हैं जो आपकी धार्मिक यात्रा को आनंद से भर देंगे।यही नहीं हरिद्वार में रहने और इस पावन नगरी में पहुंचने की चिंता भी आप अपने जेहन से निकाल दें।परंपरागत खाने के शौकीनों के लिए भी हरिद्वार कई विकल्प है।यहां कई रेस्तंरा है। जहां श्रद्धालु शाकाहारी खाने का आनंद उठा सकते हैं।हरिद्वार में सिर्फ शाकाहारी खाना ही मिल पाता है।मांसाहारी खाना हरिद्वार में वर्जित है।चोटीवाला रेस्टोरेंट यहां का काफी मशहुर रेस्तंरा है।कई दशकों से ये रेस्तंरा श्रद्धालुओं की पसंद बना हुआ है।

अगर आप खरीददारी के शौकीन हैं तो हरिद्वार में इसका लुत्फ उठाया जा सकता है।यहां के बाजारों में भी धार्मिकता का असर साफ दिखाई देता है।हर की पौड़ी के नजदीक स्थित दुकानों में पूजा-पाठ के समान से लेकर रंग-बिरंगी चुड़ियां, लहठी, मालाएं, तो मिलती हीं है।धार्मिक साहित्य प्रेमियों की जिज्ञासा भी यहां आकर पूरी हो जाती है।

देवनगरी हरिद्वार पहुंचने के लिए वायुमार्ग, रेलमार्ग और सड़क मार्ग तीनों की ही बेहतर सुविधा मौजूद है।देहरादून का जौली ग्रांन्ट एयरपोर्ट यहां का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है। हरिद्वार से एयरपोर्ट की दूरी लगभग 45 किमी है। एयरपोर्ट से हरिद्वार के लिए बस या टैक्सी की सेवाएं हर पल मौजूद है।हरिद्वार रेलमार्ग से भी देश के अधिकांश हिस्सों से जुडा है।इसके अलावा हरिद्वार का देश के कई अहम राज्यों से सीधा संपर्क है।देश की राजधानी दिल्ली से यहां रोजाना बसे खुलती हैं।इसके अलावा राज्य परिवहन की बसे भी हरिद्वार के लिए अपनी सेवाएं महैया कराती हैं।यहां आने वाले श्रद्धालुओं के ठहरने की भी पर्याप्त सुविधाएं हैं।हरिद्वार में करीब 500 से ज्यादा धर्मशालाएं हैं, जहां कम पैसों में बेहतर सुविधाएं मिलती हैं।वही हरिद्वार में होटलों के अलावा सरकारी गेस्टहाउसेज भी बने हुए हैं।हरिद्वार की यात्रा करने वाला व्यक्ति जीवन के सत्य से रुबरु हो जाता है।पावन गंगा में डुबकी के साथ प्राचीन मंदिरों के दर्शन श्रद्धालुओं के लिए यादगार पल बन जाते हैं।यही कारण है, कि यहां जो भी आता है, उत्साह से भरा होता है और लौटता है, प्रकृति की अनुपम निधि और भगवद् भक्ति से सराबोर होकर।

अंतत: दोस्तों धर्म नगरी हरिद्वार की महिमा इतनी अपरंपार है कि यहां आने का सौभ्गय जिसे भी मिल जाए,उसका जीवन धन्य हो जाता है।

हरि के द्वार यानि हरिद्वार के बारे में कुछ और भी रोचक और पौराणिक जानकारी अगले लेख में...।

Monday, 28 December 2015

ये कैसा “कांग्रेस दर्शन”..?


संदीप कुमार मिश्र : सियासत में दोस्तों मुद्दों की कमी नहीं है।एक ढ़ुंढ़ो हजार मिलते हैं।हमारे देश में सत्ता पक्ष हो या फिर विपक्ष।दोनो एक दूसरे के लिए मुद्दे लेकर तैयार बैठे रहते हैं।अब कांग्रेस को ही लिजिए।कांग्रेस की मुम्बई से निकलने वाली पत्रि‍का 'कांग्रेस दर्शन' में  पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के सात ही पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर कई आपत्तिजनक लेख छापे गए है।इस पत्रिका में जहां सोनिया गांधी के पिता को फासीवाद सैनिक बतलाया गया है,तो वहीं जवाहर लाल नेहरू के फैसलों पर सवाल उठाए गए हैं।अब साब विपक्ष कैसे चुप बैठता और मीडिया को तो जितनी खबर मिल जाए कम ही है। लेकिन सवाल तो है ही कि ये कैसा कांग्रेस दर्शन...?


दरअसल कांग्रेस की मुंबई यूनिट के इस मुखपत्र में कहा गया है कि भारत के सामने कश्मीर, चीन और तिब्बत जैसे समस्याओं के लिए जवाहर लाल नेहरू जिम्मेदार हैं।इस पत्रिका में स्पस्ट तौर पर कहा गया है कि जवाहर लाल नेहरू को स्वतंत्रता सेनानी और पूर्व गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की बात मानना चाहिए थी। आपको बता दें कि शायद ही कांग्रेस पार्टी ने इससे पहले इन दोनों नेताओं के बीच के मतभेद को कभी उठाया गया हो।लेकिन 'कांग्रेस दर्शन' में अब इस मुद्दे को उठाकर सियासत में एक नऊ बहस को जन्म दे दिया है।इस लेख को 15 दिसंबर यानी की सरदार बल्लभ भाई पटेल की पुण्यतिथि के मौके पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए लिखा गया था।देश के दोनो बड़े नेताओं के संबंध में कांग्रेस दर्शन में कहा गया कि, 'पटेल के उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री बनने के बावजूद दोनों नेताओं के बीच रिश्ते तनावपूर्ण रहे और दोनों बार-बार इस्तीफा देने की धमकी देते रहे।'


मित्रों इस पत्रि‍का को पूर्व कांग्रेस सांसद और वरिष्ठ नेता संजय निरुपम की देखरेख में निकाला जाता है,इस पत्रिका के कर्ताधर्ता वही हैं।लेकिन बवाल बढ़ता देख संजय निरुपम ने माफी मांगी और कहा कि, 'लेख में जो शब्द इस्तेमाल किए गए हैं, वो आपत्त‍िजनक हैं और इस भयंकर गलती को करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।' 

कांग्रेस दर्शन में कहा गया कि सरदार वल्लभभाई पटेल के जन्म दिवस(31 अक्टूबर) को 2014 से नेशनल यूनिटी डे के तौर पर मनाया जा रहा है। लगता है कि मुंबई स्थानीय कांग्रेस कमेटी (एमआरसीसी) ये भूल गई है कि इसे विपक्षी दल बीजेपी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ये कहते हुए शुरू किया था कि कांग्रेस ने अपने नेता को भुला दिया है। वहीं इस लेख में कहा गया कि राजीव गांधी से शादी करने के बहुत समय बाद सोनिया ने भारत की नागरिकता अपनाई थी। साथ ही उनके पिता को फासीवादी सैनिक भी कांग्रेस दर्शन में बताया गया।साथ ही ये भी लिखा गया कि ‘‘ सोनिया गांधी ने कैसे 1997 में कांग्रेस की प्राथमिक सदस्य के तौर पर पंजीकरण कराया और वह 62 दिनों में पार्टी की अध्यक्ष बन गयी' उन्होंने सरकार गठित करने की भी असफल कोशिश की।'

अंतत: अब सच क्या है,ये तो कांग्रेस अध्यक्ष ही जाने या फिर कांग्रेस के बुजुर्ग और आला नेता या फिर संजय निरुपम जो इस महान कांग्रेस दर्शन के संचालक हैं।लेकिन चर्चा के लिए इस दर्शन में मुद्दा तो दे ही दिया।





Sunday, 27 December 2015

2015 पीएम मोदी ने विदेश दौरा कर रचा इतिहास


संदीप कुमार मिश्र : मोदी सरकार के सत्ता पर काबिज होने के बाद प्रधानमंत्री ने एक के बाद एक लगातार विदेशी दौरे किए।जिस प्रकार से बेहद सजग और सक्रिय होकर पीएम मोदी ने विदेशी सरजमी भारत का परचम लहराया वो शायद अब तक के किसी प्रधानमंत्री के शासन काल में देखने को नही मिला।ये जानना बड़ा ही दिलचस्प होगा कि साल 2015 में विदेशी सरजमी पर पीएम मोदी ने कहां-कहां दौरा किया।
10 और 11 मार्च, 2015 सेशेल्स यात्रा

दोस्तों 34 साल में सेशेल्स की यात्रा करने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं नरेंद्र मोदी।सेशेल्स की यात्रा में पीएम ने हिन्द महासागर स्थित इस द्वीपीय देश को भारत की ओर से दूसरा ड्रोनियर विमान देने की घोषणा की।सात ही तटीय निगरानी राडार परियोजना को भी प्रारंभ किया। मोदी और माइकल ने इस दौरान जल क्षेत्र मापन, अक्षय ऊर्जा, ढांचागत सुविधाओं के विकास और नौवहन चार्ट सौदा तथा इलेक्ट्रानिक नौसंचालन संबंधी चार्ट से जुड़े चार अहम समझौते पर हस्ताक्षर किये। मोदी ने इस अवसर पर सेशेल्स के नागरिकों को तीन महीने के लिये निशुल्क वीजा देने की भी घोषणा की है।आपको बता दें कि सेशेल्स की आबादी 90 हजार है, और जिनमें से 10 प्रतिशत भारतीय मूल के लोग हैं।ये छोटी सी यात्रा कई मायने में खास रही।

11 और 12 मार्च, 2015 मॉरिशस यात्रा


विदेशी यात्राओं के क्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अगला पड़ाव मॉरीशस था।जहां पीएम मोदी ने बेहद महत्वपूर्ण अवसंरचना परियोजनाओं के लिए मॉरीशस को 50 करोड़ डॉलर का रियायती ऋण देने की पेशकश की।वहीं दोनों देशों के बीच समुद्री अर्थव्यवस्था सहित पांच समझौतों पर हस्ताक्षर किए।साथ ही मॉरीशस ने कर मामले में भारत के साथ सूचनाएं साझा करने की पेशकश भी की।आपको बता दें कि मॉरीशस में बहुसंख्यक रुप में भारतीय रहते हैं।

13 और 14 मार्च, 2015 श्रीलंका यात्रा


पीएम मोदी की यात्राओं का अगला पड़ाव श्रीलंका था।जहां मुद्रा विनिमय समझौता, व्यापार संतुलन के लिए कस्टम समझौता,300 मिलियन डॉलर से अधिक क्रेडिट लाइन और बनारस विश्वविद्यालय के साथ शैक्षिक आदान-प्रदान संबंधी समझौता किया गया। भारत ने श्रीलंका को 1.6 अरब डॉलर की मदद देने का भरोसा भी दिया और रेल क्षेत्र को 3.18 लाख डॉलर दिए जाने की प्रतिबद्धता दर्शाई । भारत और श्रीलंका के बीच आर्थिक, वीजा और कस्टम पर भी समझौता हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, 'श्रीलंका को हम दोस्त और पड़ोसी होने की जिम्मेदारी के रूप में देखते हैं,और हर प्रकार का सहयोग बने रहने की उम्मीद करते है।'
मार्च 2015 का अंतिम पड़ाव सिंगापुर यात्रा


2015 मार्च के अंतिम दिनो में पीएम मोदी ने सिंगापुर की पहली यात्रा में ली कुआन यू के अंतिम संस्कार में भाग लिया।आपको बता दें कि ली कुआन यू सिंगापुर के प्रथम प्रधानमंत्री थे। बाद में वे भारत-सिंगापुर राजनयिक संबंध के स्वर्ण जयंती समारोह का हिस्सा बने।इस यात्रा से भी पीम मोदी ने सबका ध्यान अपनी और खिंचा।
9 से 11 अप्रैल, 2015 फ्रांस यात्रा


फ्रांस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने रेलवे, स्पेस रिसर्च, परमाणु ऊर्जा, विज्ञान, तकनीकी और मरीन टेक्नोलॉजी के क्षेत्रों सहित 20 अन्य समझौतों और सहमति-पत्रों पर हस्ताक्षर किए। देश के विकास के लिहाज से फ्रांस यात्रा बेहद अहम रही क्योंकि इस यात्रा से मेक इन इंडिया को बल मिला।
12 से 14 अप्रैल, 2015 जर्मनी यात्रा


पीएम मोदी ने जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल और  व्यापार जगत के तमाम नेताओं और विदेशों में बसे भारतीयों से मुलाकात की। भारत में निवेश करने के क्रम में जर्मन उद्योग के शीर्ष मुख्य कार्यकारी अधिकारी के साथ गोलमेज सम्मेलन में भा पीएम मोदी ने अपनी इस यात्रा में शिरकत की।एंजेला मर्केल के साथ हनोवर मेसे औद्योगिक मेले का उद्घाटन भी पीएम ने किया। आपको बता दें कि हैनोवर व्यापार मेला दुनिया का सबसे बड़ा औद्योगिक मेला कहा जाता है। साथ ही मोदी ने बर्लिन में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पौत्र सूर्य कुमार बोस से भी मुलाकात की। पीएम मोदी की जर्मनी यात्र भी भारत के लिहाज से बेहद खास रही।
14 से 17 अप्रैल, 2015 कनाडा यात्रा


कनाडा यात्रा यूरेनियम की खरीद के साथ कुल 13 समझौते किए गए। जिनमें रेलवे, सुरक्षा, नागरिक विमानन, शिक्षा एवं कौशल का विकास, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता आदि को लेकर कई महत्वपूर्ण समझौते शामील थे। अपने कनाडा यात्रा के पहले दिन ही पीएम मोदी ने एक महत्‍वपूर्ण करार किया। इस करार के तहत कनाडा भारत को अगले पांच साल में तीन हजार टन यूरेनियम की आपूर्ति करेगा। इसका इस्‍‍तेमाल भारत में परमाणु ऊर्जा बनाने में किया जाएगा, जिससे देश में बिजली की किल्‍लत खत्‍म होगी।आपको बता दें कि कनाडा की कंपनी आने वाले पांच सालों तक 1793 करोड़ रुपये मूल्य का यूरेनियम भारत को मुहैया कराएगी।
14 से 16 मई, 2015 चीन यात्रा


अब तक के अपने सबसे महत्वपुर्ण दौरे का पीएम मोदी का अगला पड़ाव था चीन ।जहां दोनो देशों के बीच 63 हजार करोड़ रुपए निवेश के 24 करार पर हस्ताक्षर हुए।जिसमें मुख्य रुप से माइनिंग एंड मिनरल सेक्टर में सहयोग, एजुकेशन एक्सचेंज प्रोग्राम, चीन के सहयोग से अहमदाबाद में महात्मा गांधी स्किल डेवलपमेंट इंस्टिट्यूट का निर्माण, भारत के सहयोग से चीन में योग कॉलेज खोलने पर सहमति बनी। इसके साथ ही तमाम अन्य क्षेत्रों में सहमती बनी और करार हुए।
17 से 18 मई, 2015 मंगोलिया यात्रा


मंगोलिया को बुनियादी ढांचा विकास के लिए मोदी ने अपनी इस यात्रा में एक अरब डॉलर का ऋण मुहैया करने की घोषणा की। वहीं दोनों देशों ने अपने संबंधों को रणनीतिक साझेदारी तक पहुंचाया और असैन्य परमाणु सेक्टर जैसे क्षेत्रों में संभावनाएं तलाशने के लिए रक्षा सहयोग मजबूत करने पर राजी हुए।मंगोलिया में ट्रेन चलाने, साइबर सिक्युरिटी सेंटर बनाने में भी भारत ने मदद की भी पेशकश की।
18 से 19 मई, 2015 दक्षिण कोरिया यात्रा


दक्षिण कोरिया ने भारत को स्मार्ट सिटी के बुनियादी ढांचे के विकास के साथ ही  रेलवे, ऊर्जा उत्पादन और अन्य विविध क्षेत्रों के लिए 10 अरब डॉलर मुहैया करने का फैसला किया। दोनों देश अपने द्विपक्षीय संबंध को एक विशेष रणनीतिक साझेदारी तक पहुंचाने के लिए सहमत हुए।पीएम मोदी और राष्ट्रपति पार्क गीयून हाई ने रक्षा, व्यापार और निवेश तथा क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ाने पर चर्चा की ।
6 से 7 जून, 2015 बांग्लादेश यात्रा

बेहद करीबी पड़ोसी देश बांग्लादेश जहां  6 जून की सुबह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी दो दिवसीय यात्रा के लिए ढाका पहुंचे।जहां बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने प्रोटोकॉल से अलग हटते हुए हज़रत शाहजलाल अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे पर स्वयं पहुंचकर प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत किया।इस यात्रा में दोनो देशों के बीच कई समझौते हुए।
6 से 13 जुलाई, 2015 रूस समेत कई मध्य एशियाई देशों की यात्रा


विदेशी सरजमीं पर आगे बढ़ते हुए पीएम मोदी रूस के साथ ही पांच अन्य मध्य एशियाई देशों की यात्रा की।पीएम नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स और शंघाई सहयोग संगठन (sco) के सम्मेलनों में हिस्सा लिया और अपने पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ तथा अन्य नेताओं से बातचीत की।आपको बता दें कि 8 दिवसीय दौरे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उजबेकिस्तान, कजाखस्तान, रूस, तुर्कमेनिस्तान, किर्गिजस्तान और ताजकिस्तान गए।ये यात्रा अब तक की पीएम की सबसे लंबी यात्रा रही।
16 से 17 अगस्त, 2015 संयुक्त अरब अमीरात


प्रधानमंत्री मोदी ने संयुक्त अरब अमीरात का दो दिवसीय दौरा किया।इस यात्रा के पहले दिन पीएम मोदी शेख जायद मस्जिद गए। आपको बता दें कि यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी मस्जिद है।ऐसा कहा जाता है कि मोदी ने जीवन में संभवत: पहली बार किसी मस्जिद में कदम रखा।इस यात्रा के दौरान ही अरब में मंदिर बनाने की भी पेशकश की गई।
सितंबर 2015, डब्लिन, आयरलैंड के साथ अमेरिका यात्रा

अपने सितंबर की यात्रा में पीएम मोदी संयुक्त राष्ट्र के दौरे पर गए जहां मोदी ने जी-4 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया। दरअसल यह ब्राजील, जापान, जर्मनी और भारत का संगठन है, जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के दावेदार हैं। इस दौरान पीएम मोदी ने डब्लिन और आयरलैंड का भी दौरा किया।
नवंबर 2015 ब्रिटेन यात्रा


ब्रिटेन के दौरे पर प्रधानमंत्री मोदी ने महारानी एलिजाबेथ और शाही परिवार के साथ भोजन किया।वहीं  अपने समकक्ष प्रधानमंत्री डेविड कैमरन के साथ बातचीत की और बेंबली स्टेडियम में भारतीय मूल के हजारों लोगों को संबोधित किया।जो किसी भी भारतीय के लिए ऐतिहासिक क्षण था।
नवंबर 2015 तुर्की यात्रा


पीएम मोदी ने तुर्की के अंताल्या में जी-20 देशों के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया। इस सम्मेलन को मुख्यतः पर्यावरण सम्मेलन होना था लेकिन पेरिस पर आतंकी हमले के बाद मुख्य ध्यान आतंकवाद और आईएस से लड़ने पर रहा।क्योंकि पेरिस में आतंकी संगठन ISIS ने हमला कर दिया था।जिसमें कई लोगों की जान गई थी।
नवंबर 2015 मलेशिया, सिंगापुर यात्रा


अपने यात्रा के सिलसिले और देस को मजबुती की राह पर आगे बढ़ाते हुए पीएम का अगला पड़ाव था दक्षिण पूर्व एशिया।जहां अपनी चार दिन की यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने मलेशिया और सिंगापुर की यात्रा की। दोनों देशों की यात्रा के दौरान व्यापारिक संबंधों को मजबूत बनाने और भारत में निवेश आकर्षित करने के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए गये।
29 से 30 नवंबर 2015 फ्रांस यात्रा

साल 2015 अपने अंतिम पड़ाव की ओर आगे बढ़ रहा था लेकिन पीएम मोदी के बढ़ते कदम थमने का नाम नहीं ले रहे थो सो उनकी विदेश यात्रा का अगला पड़ाव एक बार फिर फ्रांस था। अपने दो दिनो की यात्रा में फ्रांस की राजधानी पेरिस में अहम जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में पीएम ने भाग लिया और भारत द्वारा पेश किए गए अंतरराष्ट्रीय सौर गठजोड़ की शुरूआत की। सम्मेलन में भारत ने जलवायु परिवर्तन को कम करने की अपनी मजबूत प्रतिबद्धता साझा की।मोदी ने इस यात्रा के दौरान जलवायु सम्मेलन से इतर अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा से मुलाकात की और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो एबे के साथ द्विपक्षीय बैठक की।पीएम की ये यात्रा बेहद खास और कामयाब रही।
दिसंबर 2015 रुस, अफगानिस्तान और पाकिस्तान यात्रा

साल 2015 का अंतिम महिना दिसंबर,जब देश में ठंड़ ने शानदार दस्तक दे दी थी,और संसद का शीतकालिन सत्र समाप्त हो चुका था।लेकिन विश्व में भारत की पहचान और शांति संदेश को आगे बढ़ाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी रुस की दो दिवसिय यात्रा पर निकल पड़े,जहां व्लादीमिर पुतिन के साथ कई अहम मुद्दों पर बात हुई और समझौते हुए।रुस के बाद पीएम मोदी का अगला एक दिवसिय पड़ाव था अफगानिस्तान।जहां प्रधानमंत्री ने अफगान संसद के नए भवन का उद्दाटन किया और संसद को संबोधित किया।इसके बाद विश्व के सभी देशों को चैंकाते हुए पीएम मोदी अचानक पाकिस्तान पहुंच जाते हैं,जहां नवाज शरीफ उनका स्वागत करते हैं,पीएम मोदी भी भी अपने समकक्ष नवाज शरीफ के नातीन की निकाह पर आशिर्वाद देकर भारत लौट आते हैं। पाकिस्तान की यात्रा से मोदी ने अपने सानदार और जानदार राजनीतिक,कुटनीति का परिचय दिया।जिसकी श्वभर में प्रशंसा हुई।



अंतत: इन यात्राओं से आप समझ सकते हैं कि किस प्रकार से देश के विकास की राह आसान करने के लिए प्रधानमंत्री दौरे पर दौरा कर रहे हैं।उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले समय में भारत की साख विश्व पटल पर नई उर्जा,महाशक्ति और शांति दूत के रुप में होकर उभरेगी।